दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष BJP सांसद बृजभूषण शरण सिंह को नियमित जमानत दे दी है। कोर्ट ने कुश्ती महासंघ के सहायक सचिव विनोद तोमर सिंह को भी नियमित जमानत दे दी। कोर्ट ने दोनों को 25-25 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी है। कागजातों की जांच के लिए सुनवाई की अगली तारीख 28 जुलाई तय की गई है। बृजभूषण पर 6 बालिग महिला पहलवानों के यौन शोषण का केस चल रहा है। इस केस में पुलिस चार्जशीट पेश कर चुकी है।
कोर्ट ने बृजभूषण को जमानत देते हुए कई शर्तें लगाईं। कोर्ट ने कहा कि आरोपी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शिकायतकर्ताओं या गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे। कोर्ट की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे।
सुनवाई के दौरान पीड़ितों के वकील ने जमानत दिए जाने को लेकर विरोध किया। उन्होंने कहा कि सांसद राजनीतिक रूप से ताकतवर हैं और वह गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं लिहाजा उनको जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
इस पर बृजभूषण के वकील ने आपत्ति जताते हुए कहा कि गवाहों को धमकाने जैसी कोई बात अभी तक नहीं हुई है। वैसे इस तरह की कोई शर्त अगर कोर्ट लगाता है तो हम उसका पूरी तरह से पालन करेंगे।
बृजभूषण शरण सिंह की ओर से वकील राजीव मोहन ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में जहां पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है, वहां आरोपी कोर्ट से जमानत लेने का अधिकारी है। बृजभूषण भी कोर्ट में मौजूद रहे।
इसके पहले दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा कि वह न तो जमानत का विरोध और न ही उसका सपोर्ट कर रही है।
कोर्ट ने 18 जुलाई को बृजभूषण और संघ सेक्रेटरी विनोद तोमर को 2 दिन की अंतरिम जमानत दी थी।
अंतरिम जमानत के दिन सुनवाई में बृजभूषण के वकीलों ने दलील दी थी कि दिल्ली पुलिस ने बिना जांच के चार्जशीट दायर की है। इन केसों में 5 साल से ज्यादा सजा का प्रावधान भी नहीं है। कोर्ट ने जब जमानत के बारे में पूछा तो दिल्ली पुलिस ने कहा था कि बृजभूषण को गिरफ्तार नहीं किया गया है, लेकिन जमानत की शर्त होनी चाहिए। जिस पर कोर्ट ने रेगुलर के बजाय अंतरिम जमानत दी।
बृजभूषण पर रेसलर्स यौन शोषण केस की 5 अहम बातें
1. दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में कहा- गिरफ्तारी की जरूरत नहीं
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में पेश चार्जशीट में कहा था कि बृजभूषण की गिरफ्तारी की जरूरत नहीं है। बृजभूषण ने पुलिस के निर्देशों का पालन किया और जांच में शामिल हुए। दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया कि 7 साल कैद तक की सजा के मामले में आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार करने की जरूरत नहीं है।
2. सिर्फ 15 गवाहों ने आरोपों का समर्थन किया
दिल्ली पुलिस ने 108 लोगों की गवाही दर्ज की। इनमें से केवल 15 गवाहों ने पहलवानों के आरोपों का समर्थन किया। WFI स्टाफ-ऑफिस असिस्टेंट, ऑफिस स्टाफ और ऑफिस बॉय ने पहलवानों के बयानों की पुष्टि नहीं की। 93 गवाहों ने पहलवानों के आरोपों की पुष्टि नहीं की।
3. फोरेंसिक रिपोर्ट नहीं आई
दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि फोरेंसिक लैब में जमा किए गए डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट आने के बाद उन्हें सप्लिमेंट्री चार्जशीट के रूप में दायर किया जाएगा।
4. कॉल डेटा रिकॉर्ड में कुछ आपत्तिजनक नहीं मिला
पुलिस को कॉल डेटा रिकॉर्ड की जांच करने पर अब तक कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है। पुलिस के बार-बार मांगे जाने के बावजूद पहलवानों द्वारा ‘धमकी भरी कॉल’ से जुड़ा कोई सबूत नहीं दिया गया। हालांकि, इसकी पूरी रिपोर्ट आने की बात भी कही जा रही है।
5. बृजभूषण ने कहा- कभी पहलवानों से अकेले नहीं मिला
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक बृजभूषण ने बयान दिया कि वह कभी पहलवानों से अकेले में नहीं मिले। कुछ फोटो में बृजभूषण पहलवानों के साथ दिखे। हालांकि, बृजभूषण ने कहा कि अगर ऐसा होता तो वे हर फोटो में पहलवानों के साथ खड़े होते, लेकिन ऐसा नहीं है।