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राजनीति: बिहार में पहली बार बड़े भाई की भूमिका में होगी भाजपा; जदयू को सौ से कम सीटों पर करना होगा संतोष

बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार राजग की ओर से भले ही सीएम पद के घोषित उम्मीदवार होंगे, लेकिन गठबंधन में धमक भाजपा की दिखेगी। सीट बंटवारे से लेकर चुनावी रणनीति तय करने तक, सभी मामलों की कमान भाजपा के हाथों में होगी। भाजपा इस बार न सिर्फ जदयू से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी, बल्कि चुनावी रणनीति की कमान भी अपने पास रखेगी। इसके अलावा चुनाव प्रचार की पिच पर पीएम मोदी गठबंधन का मुख्य चेहरा होंगे।

गठबंधन में दलों की भरमार और पुराने प्रदर्शन के आधार पर जदयू को इस बार भाजपा से कम सीटें मिलेंगी। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान परिस्थितियों में जदयू के लिए अधिकतम 90 सीटों से ज्यादा की गुंजाइश नहीं है। भाजपा की कोशिश बीते चुनाव की तरह ही 110 सीटों पर चुनाव लड़ने की है। बाकी बची 43 सीटें दूसरे सहयोगियों लोजपा (आर), आरएलएसपी और हम में बंटेंगी। चूंकि लोजपा (आर) ने लोकसभा चुनाव में अपने हिस्से की सभी पांच सीटें जीती हैं, ऐसे में जदयू-भाजपा के इतर सीट बंटवारे में सर्वाधिक महत्व लोजपा (आर) को मिलेगा।

जदयू का मत प्रतिशत घटा तो भाजपा का बढ़ा
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक 2010 का विधानसभा चुनाव जदयू का पीक था। इसके बाद उसके मत प्रतिशत और सीटों में तेज गिरावट दर्ज की गई है। उस चुनाव में जदयू को 115 सीटें और 22.58 फीसदी मत मिले थे। इसके उलट भाजपा के मत प्रतिशत में 2005 से ही चुनाव दर चुनाव बढ़ोतरी हुई है। लोकसभा चुनाव में भी मत प्रतिशत की दृष्टि से भाजपा जदयू के मुकाबले बीते तीन चुनावों में बहुत आगे रहा है। ऐसे में इस आधार पर जदयू को सीट बंटवारे के दौरान अपना दिल बड़ा करना होगा।

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सीटों का अंतर हो गया कम
करीब ढाई दशक के गठबंधन में यह पहला मौका होगा जब भाजपा जदयू के मुकाबले अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी। साल 2005 में हुए दो चुनावों के अलावा 2010 के चुनाव में जदयू भाजपा से 37 से 39 अधिक सीटों पर चुनाव लड़ी थी। लोकसभा में भी 2009 तक यही सिलसिला चला था। हालांकि, भाजपा में मोदी युग की शुरुआत के बाद दोनों दलों की सीटों का अंतर लगातार कम होता गया। बीते चुनाव में जदयू जहां 115 सीटों पर चुनाव लड़ी, वहीं भाजपा के हिस्से 110 सीटें आई थी।

हिंदुत्व, विकास और सामाजिक न्याय का मिश्रण
चुनाव प्रचार के लिए भाजपा हिंदुत्व, विकास और सामाजिक न्याय का मिश्रण तैयार करेगी। पार्टी की योजना राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग मुद्दों को केंद्र में रखने की है। मसलन सीमांचल में पार्टी का हिंदुत्व और विकास को मुद्दा बनाएगी। कोसी, मिथिलांचल और भोजपुरी क्षेत्र में विकास और सामाजिक न्याय पार्टी का मुद्दा होगा। पटना सहित शहरी क्षेत्रों में पार्टी हिंदुत्व पर ज्यादा जोर देगी।

बेहतर स्ट्राइक रेट पर भाजपा की निगाहें
गठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखने के लिए भाजपा की रणनीति अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के साथ स्ट्राइक रेट महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तर्ज पर बेहतर रखने की है। भाजपा ने बिहार में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2010 के चुनाव में किया था। तब पार्टी ने अपने हिस्से की 102 सीटों में से 91 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

Khabar Abtak

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