Haryana Board Exam: निजी स्कूलों के स्टाफ को परीक्षा ड्यूटी से किया बाहर, विरोध में उतरे संघ

Haryana Board Exam: हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड, भिवानी ने एक बड़ा फैसला लेते हुए बोर्ड परीक्षाओं के दौरान निजी स्कूलों के स्टाफ को परीक्षा ड्यूटी से बाहर रखने का निर्णय लिया है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य परीक्षाओं में नकल को रोकना बताया जा रहा है। हालाँकि, इस निर्णय का निजी स्कूलों के संघों ने कड़ा विरोध किया है।
निजी स्कूलों के संघ ने जताया कड़ा विरोध
हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड के इस फैसले पर फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन ने आपत्ति जताई है। संघ का कहना है कि सरकार और निजी स्कूलों के बीच इस तरह की अविश्वास की भावना रिश्तों में खटास पैदा करेगी। संघ के अध्यक्ष डॉ. कुलभूषण शर्मा, महासचिव वरुण जैन और बलदेव सैनी ने बोर्ड के इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन आईएएस पंकज अग्रवाल को पत्र लिखकर इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
पहले भी जारी हो चुके हैं ऐसे निर्देश
संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि इससे पहले भी कई बार निजी स्कूलों के स्टाफ को बोर्ड परीक्षाओं की ड्यूटी से बाहर रखा गया था, लेकिन तब भी सरकारी स्कूलों में नकल पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पाई थी। सवाल उठता है कि क्या सिर्फ निजी स्कूलों के स्टाफ को परीक्षा से दूर रखने से नकल की समस्या खत्म हो जाएगी?
हरियाणा बोर्ड समय-समय पर परीक्षाओं के दौरान नकल रोकने के लिए सख्त कदम उठाता रहा है। इससे पहले भी कई निर्देश जारी किए गए थे, जिनमें निजी स्कूलों के शिक्षकों को बोर्ड परीक्षा की ड्यूटी से दूर रखा गया था। लेकिन इस बार इसे लेकर कड़ा विरोध देखने को मिल रहा है।
शिक्षकों के लिए परीक्षा ड्यूटी से बचना बन चुका है आदत
सूत्रों के अनुसार, कुछ सरकारी स्कूलों के शिक्षक अक्सर परीक्षा ड्यूटी से बचने की कोशिश करते हैं। इसके विपरीत, निजी स्कूलों के शिक्षक खुद को परीक्षा ड्यूटी के लिए आगे रखते हैं। बावजूद इसके, निजी स्कूलों को बोर्ड परीक्षाओं से बाहर रखने का निर्णय सवाल खड़े करता है।
बोर्ड के अधिकारियों का मानना है कि सरकारी स्कूलों में नकल रोकने के लिए सख्त निगरानी जरूरी है, लेकिन निजी स्कूलों के शिक्षकों को बाहर रखने का कोई ठोस आधार नहीं दिया गया है।
2019 में भी लगाया गया था जुर्माना
हरियाणा बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन ने मार्च 2019 में हुई 10वीं और 12वीं की वार्षिक परीक्षाओं में ड्यूटी से गायब रहने वाले निजी स्कूलों के शिक्षकों पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। उस समय भी इस निर्णय का निजी स्कूलों द्वारा कड़ा विरोध किया गया था।





संघ का कहना है कि बोर्ड को परीक्षा में नकल रोकने के लिए समुचित व्यवस्था करनी चाहिए, न कि निजी स्कूलों को पूरी तरह से परीक्षा ड्यूटी से बाहर करने का फैसला लेना चाहिए।
क्या कहते हैं शिक्षा विशेषज्ञ?
शिक्षाविदों का मानना है कि नकल रोकने के लिए किसी भी स्कूल—चाहे वह सरकारी हो या निजी—के शिक्षकों पर संदेह करना सही नहीं है। परीक्षा में पारदर्शिता लाने के लिए दोनों ही क्षेत्रों के शिक्षकों को समान अवसर दिए जाने चाहिए।
बोर्ड के इस फैसले से निजी स्कूलों की भूमिका को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि नकल को रोकना ही मुख्य उद्देश्य है, तो बोर्ड को निगरानी तंत्र को मजबूत बनाना चाहिए, न कि केवल निजी स्कूलों को अलग करने का फैसला लेना चाहिए।
संघ ने की सरकार से पुनर्विचार की अपील
फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन ने हरियाणा सरकार और शिक्षा बोर्ड से अनुरोध किया है कि इस फैसले पर दोबारा विचार किया जाए। संघ का कहना है कि सरकार को निजी और सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए।
संघ के महासचिव वरुण जैन का कहना है कि यदि परीक्षा में पारदर्शिता लानी है, तो परीक्षा केंद्रों की सख्त निगरानी होनी चाहिए। इसके लिए सीसीटीवी कैमरे, फ्लाइंग स्क्वॉड और अन्य तकनीकी उपायों को अपनाया जाना चाहिए।
छात्रों और अभिभावकों की राय
छात्रों और अभिभावकों का कहना है कि बोर्ड को परीक्षा में नकल रोकने के लिए व्यापक रणनीति बनानी चाहिए। केवल निजी स्कूलों के शिक्षकों को बाहर करने से समाधान नहीं निकलेगा। अभिभावकों का मानना है कि यदि सरकार और बोर्ड मिलकर परीक्षा प्रणाली को और मजबूत बनाते हैं, तो यह छात्रों के हित में होगा।
सरकार का रुख और आगे की रणनीति
सरकार फिलहाल इस मुद्दे पर कोई सीधा बयान देने से बच रही है। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बोर्ड परीक्षाओं में नकल को रोकना उनकी प्राथमिकता है। यदि संघ के विरोध के कारण सरकार पर दबाव बढ़ता है, तो इस फैसले पर पुनर्विचार किया जा सकता है।
हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा निजी स्कूलों के शिक्षकों को बोर्ड परीक्षा ड्यूटी से हटाने का फैसला नकल रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है। लेकिन इस फैसले पर निजी स्कूलों के संघ ने कड़ा ऐतराज जताया है। संघ का कहना है कि यह निर्णय सरकार और निजी स्कूलों के बीच अविश्वास पैदा करेगा।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि हरियाणा सरकार और शिक्षा बोर्ड इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं। क्या बोर्ड अपने फैसले पर कायम रहेगा, या फिर संघ के विरोध को देखते हुए इस पर पुनर्विचार किया जाएगा? यह सवाल अभी भी बना हुआ है।