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PGI के डॉक्टरों ने बुजर्ग को मोत के मुँह से निकाला ; दांत का ईलाज करवाते समय सुई मुंह में गिरी जो फेंफड़े में फंसी ; बड़े ऑपरेशन से बचाया

हरियाणा के रोहतक स्थित पीजीआई के डॉक्टरों ने बुजुर्ग के फफड़े में फंसी सुई को 4 घंटे कड़ी मशक्कत के बाद निकाल लिया। जिसकी बदौलत बुजुर्ग सुरक्षित रहा और बड़ा ऑपरेशन भी करवाना नहीं पड़ा। दांत का ईलाज करवाते समय सुई मुंह में गिर गई थी जो फेंफड़े तक पहुंच चुकी थी। सुई निकालने के कुछ समय बाद बुजुर्ग सुरक्षित है और उसको छुट्‌टी दे दी।

पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पवन ने बताया कि रोहतक के बड़े बाजार निवासी करीब 55 वर्षीय बुजुर्ग ने प्राईवेट अस्पताल में अपने दांत का ईलाज करवाया था। जहां ईलाज के दौरान बुजुर्ग के मुंह में 2 इंच की एक नीडल (सुई) चली गई। जिसके कारण उसे PGIMS के आपातकाल में लाया गया, वहां चिकित्सकों ने सीटी स्कैन करवाया तो पता चला कि पीन उसके फेफडे़ में सांस की नली में गई हुई है। इसलिए चिकित्सकों ने बुजुर्ग को पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसन विभाग में भेज दिया।

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एक्स-रे में नहीं दिखी सुई
डॉ. पवन ने बताया कि जब मरीज की सांस की नली से सुई निकालने का प्रयास किया, तो देखा कि पिन कहीं भी नजर नहीं आ रही। मरीज का एक्सरे करवाया गया, लेकिन सुई नजर नहीं आई। बाद में सीटी स्कैन करवाकर देखा कि पिन कहां गई। दूसरे सीटी स्कैन से पता चला कि सुई बाएं फेफडे़ में बिल्कुल अंदर सांस की नली में धंसी हुई है, जोकि लोवर लोब के चौथे हिस्से में है। जिसके कारण बुजुर्ग को खांसी अधिक आ रही थी।

सांस की नली में सुई होने के चलते जान का खतरा
अब चिकित्सकों के सामने परेशानी खड़ी हो गई कि बड़ा ब्रोकोंस्कोप वहां तक पहुंच नहीं पा रहा था। छोटे ब्रोकोंस्कोप से सुई बार-बार निकल रही थी, जिसके चलते मरीज को काफी बड़ा आप्रेशन करवाना पड़ता और मरीज की सांस नली में सुई होने के चलते उसको जान का खतरा था। ऐसे में डॉ. पवन ने अपने साथी चिकित्सकों डॉ. अमन, टैक्निशियन अशोक, सुमन, सुनील व भावना के साथ मिलकर करीब 4 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद छोटे ब्रोंकोस्कोप से सांस की नली में फंसी सुई को निकाला।

नहीं करवाना पड़ा बड़ा ऑपरेशन
4 घंटे के ऑपरेशन में मरीज को थोड़ा सा रक्त स्त्राव तो हुआ, लेकिन मरीज की जान बच गई और उसे बड़ा आप्रेशन भी नहीं करवाना पडा। उन्होंने बताया कि मरीज अब पूर्ण रूप से स्वस्थ है और उसको घर भेज दिया गया है। वहीं मरीज व उसके परिजनों ने पीजीआईएमएस के चिकित्सकों का धन्यवाद किया। कुलपति डॉ. अनिता सक्सेना, कुलसचिव डॉ. एचके अग्रवाल, निदेशक डॉ. एसएस लोहचब, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. कुंदन मिततल व विभागाध्यक्ष डॉ. ध्रूव चौधरी ने डॉ. पवन की टीम को बधाई दी।

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