हरियाणा विधानसभा में पूर्व CM Hooda के कार्यकाल में पुलिस निरीक्षक भर्ती घोटाले पर हंगामा
पूर्व CM Bhupinder Singh Hooda के शासनकाल में वर्ष 2008 में हुई पुलिस निरीक्षक भर्ती में कथित अनियमितताओं को लेकर विधानसभा में दूसरे दिन भी जोरदार हंगामा हुआ। मामला इतना बढ़ गया कि हुड्डा ने यहां तक कह दिया कि अगर सदन में इस तरह के झूठे आरोप लगाए जाएंगे, तो वह सदन से इस्तीफा दे देंगे।
बुधवार को जैसे ही प्रश्नकाल समाप्त हुआ, भाजपा विधायक ओम प्रकाश यादव ने कहा कि कल भी सदन में निरीक्षक भर्ती घोटाले का मुद्दा उठा था। मैं इस पर स्पष्ट जवाब चाहता हूं, नहीं तो सदन से वॉकआउट करूंगा। इसके बाद विपक्ष ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया।
विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण ने कहा कि सरकार पहले ही इस मामले पर जवाब दे चुकी है, लेकिन दोनों पक्षों की ओर से शोरगुल जारी रहा। हुड्डा ने मोर्चा संभालते हुए अदालत के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इसमें कोई संदिग्ध बात नहीं है। सरकार कोर्ट के फैसले पर गलत टिप्पणी कर रही है।
CM नायब सैनी बोले: सरकार कराएगी जांच
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने हंगामे के बीच सफाई देते हुए कहा कि पानीपत निवासी अमित कुमार ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने लिखित परीक्षा में टॉप किया था, लेकिन इंटरव्यू में कम अंक देकर उसे बाहर कर दिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता का आरोप है कि दो उम्मीदवार अर्जुन राठी और दीपक ने परीक्षा में बैठने के बावजूद खाली उत्तर पुस्तिका जमा कर दी थी। फिर भी उन्हें चयनित कर लिया गया। सीएम ने कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए मामले की जांच कराने की बात कही।

उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर याचिकाकर्ता फैसले से संतुष्ट नहीं है, तो वह अपील कर सकता है। वहीं, इस हंगामे के कारण बजट पर चर्चा तक शुरू नहीं हो सकी।
हुड्डा का पलटवार: कोर्ट के फैसले पर चर्चा नहीं हो सकती
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सदन में मुख्यमंत्री को चुनौती देते हुए कहा कि विधानसभा में कोर्ट के फैसले पर चर्चा नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पर भी कई आरोप लग चुके हैं।
हुड्डा ने कहा, “अगर सदन में इस तरह के झूठे आरोप लगाए जाएंगे, तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।” इस पर मुख्यमंत्री सैनी ने जवाब दिया, “आप जो चाहें कह सकते हैं। यह व्यवस्था का मामला है। अगर किसी के साथ अन्याय हुआ है, तो अदालत ने उस पर टिप्पणी की है।”
हंगामा उस समय और बढ़ गया, जब परिवहन मंत्री अनिल विज ने कहा कि हुड्डा ने हाईकोर्ट के फैसले के कुछ हिस्सों को छिपा लिया है। उन्होंने कहा कि अब यह मामला कोर्ट में विचाराधीन नहीं है, बल्कि निर्णय आ चुका है। इसलिए इस पर चर्चा की जा सकती है। काफी हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने हस्तक्षेप कर सभी सदस्यों को शांत कराया और लगभग 15 मिनट बाद सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई।
सरकार लेगी एडवोकेट जनरल की राय
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार, अदालत जांच एजेंसी का काम नहीं कर सकती। याचिकाकर्ता को फैसले के खिलाफ अपील करने का अधिकार है।
सरकार ने फैसला किया है कि इस पूरे मामले में एडवोकेट जनरल की राय ली जाएगी। अगर अदालत के आदेश के अनुपालन में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) चाहेगा कि आरोपियों के हस्तलिखित नमूनों की जांच किसी विशेष एजेंसी से कराई जाए, तो सरकार इसके लिए तुरंत सेवाएं उपलब्ध कराएगी।
मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार इस मामले में पूरी पारदर्शिता के साथ जांच कराएगी, ताकि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके और निर्दोष लोगों को न्याय मिल सके।

