Haryana News: रिश्वत के बदले शिकायतें सुलझाने वाला पार्षद गिरफ्तार, अदालत की इजाजत से हुआ इलाज

Haryana News: नाटकीय घटनाक्रम में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा रंगे हाथों पकड़े गए कैथल के पूर्व पार्षद की रिमांड के पहले ही दिन तबीयत खराब हो गई। ACB की टीम को कोर्ट से अनुमति लेकर उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाना पड़ा। डॉक्टरों ने कई मेडिकल टेस्ट किए और उसे दवा दी, उसके बाद उसे रिमांड पर वापस लाया गया। अब चल रही जांच के दौरान ACB यह पता लगाने की योजना बना रही है कि आरोपी ने कितने लोगों से पैसे लिए हैं और उसका भ्रष्टाचार का नेटवर्क कितना बड़ा है।
डीसी के नाम पर ली गई रिश्वत
यह मामला तब प्रकाश में आया जब Haryana में कैथल के सेक्टर-19 निवासी कमल मित्तल नामक आरोपी को स्थानीय व्यापारी से 4 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया। चौंकाने वाली बात यह है कि उसने दावा किया कि यह पैसा डिप्टी कमिश्नर की ओर से लिया जा रहा था। उसने व्यापारी को यह धमकी भी दी कि अगर उसने पैसे नहीं दिए तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जांच में पता चला है कि कमल मित्तल का आरटीआई या सीएम विंडो पर की गई शिकायतों के निपटारे के बदले पैसे वसूलने का एक तरीका था। अधिकारी अब सरकारी अधिकारियों के साथ उसके संबंधों की जांच कर रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उसने समय के साथ कितनी रकम वसूली है।
बिल्डिंग सील की गई और फिर रिश्वत दी गई
पूरा मामला तब शुरू हुआ जब Haryana के कैथल में पुराने बस स्टैंड के पास जमीन के मालिक संदीप गर्ग नामक स्थानीय व्यापारी ने अपनी जमीन पर एक व्यावसायिक इमारत खड़ी कर ली। उसके बाद उसके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई और इमारत को सील कर दिया गया। 18 अप्रैल को एसीबी को दी गई शिकायत के अनुसार, कमल मित्तल ही उसके पास पहुंचा और पैसे के बदले में इस मुद्दे को “समाधान” करने की पेशकश की। व्यापारी ने उसे 5.20 लाख रुपये का भुगतान किया और आखिरकार इमारत पर लगी सील हटा दी गई। लेकिन राहत कुछ ही समय के लिए थी। इसके तुरंत बाद, उसी कमल मित्तल ने फिर से आरटीआई और सीएम विंडो का उपयोग करके शिकायत दर्ज कराई, जिससे व्यापारी पहले भुगतान के बावजूद कानूनी परेशानी में फंस गया।
ACB ट्रैप और डीसी की ओर से स्पष्ट चेतावनी
परेशान होकर संदीप गर्ग ने एक बार फिर कमल मित्तल से संपर्क किया और पूछा कि पैसे मिलने के बाद भी वह शिकायत क्यों कर रहे हैं। कमल का जवाब चौंकाने वाला था। उन्होंने दावा किया कि डिप्टी कमिश्नर भी पैसे की मांग कर रहे थे और उन्होंने 4 लाख रुपये और मांगे। तभी व्यापारी ने एसीबी से संपर्क करने का फैसला किया। एसीबी की टीम ने तेजी से कार्रवाई करते हुए शिकायतकर्ता को 4.20 लाख रुपये दिए और उसे एक होटल में भेज दिया, जहां कमल ने मिलने का इंतजाम किया था। जैसे ही पैसे सौंपे गए, एसीबी की टीम ने कमल को रंगे हाथों पकड़ लिया। घटना के बाद डीसी प्रीति ने कड़ा बयान जारी करते हुए कहा कि अगर कोई भी सरकारी अधिकारी के नाम पर नागरिकों से पैसे मांगता है, तो जनता को तुरंत इसकी सूचना डीसी कार्यालय में देनी चाहिए या समाधान दिवस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि ऐसे मामलों में सख्त और तत्काल कार्रवाई की जाएगी ताकि आधिकारिक नाम और शक्ति का दुरुपयोग रोका जा सके।