बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए स्वास्थ्य विभाग हर समय तत्पर- सीएमओ डॉ. ज्योत्सना
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ समाज को आगे बढ़ाओ

सोनीपत, वायरल सच ( अनिल जिंदल ), 06 जून। जिला उपायुक्त डॉ. मनोज कुमार के निर्देशन व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. ज्योत्सना की अध्यक्षता में सीएमओ कार्यालय में पीसी एण्ड पीएनडीटी की जिला सलाहकार समिति की बैठक आयोजित की गई।बैठक में प्रमुख रूप से जिला स्तर पर अल्ट्रासाउंड केन्द्रों की जांच व निरीक्षण के बारे में चर्चा की गई सर्वप्रथम बत्रा हॉट एंड लंग इंस्टीट्यूट की अल्ट्रासाउंड मशीन को दूसरी जगह शिफ्ट करने के बारे में, फोनिक्स मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल चिंतपूर्णी कॉलोनी सेक्टर 14 में अल्ट्रासाउंड मशीन के न्यू रजिस्ट्रेशन के बारे में, ऑस्कर हॉस्पिटल की सील की गई मशीन को दोबारा नया रजिस्ट्रेशन देने के बारे में, गुरु जी रावल हॉस्पिटल सेक्टर 15 द्वारा अल्ट्रासाउंड मशीन को बेचने बारे में प्रमुख रूप से चर्चा की गई। इसमें सर्वसम्मति से समिति द्वारा निर्णय लिए गए। जहां पर कमेटी बनाकर जांच की आवश्यकता थी, वहां के लिए कमेटी बनाने का प्रावधान किया गया।
इसके बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जिला स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को सुव्यवस्थित व आवश्यकता अनुसार विशेष दिशा निर्देश दिए गए। ताकि जिले की स्वास्थ्य सेवाओं के मूलभूत ढांचे में सुधार किया जा सके, व आमजन तक उत्तम स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सके।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. ज्योत्सना ने बताया कि उपायुक्त महोदय डॉ मनोज कुमार के निर्देशानुसार जिले में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान व लिंग अनुपात सुधार के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास कर रहा है।
सामूहिक प्रयास से जिले में लिंगानुपात में हुआ सुधार – पीएनडीटी नोडल अधिकारी डॉ. सुमित कौशिक
जिला पीएनडीटी के नोडल अधिकारी डॉ सुमित कौशिक ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग जिला प्रशासन के सामूहिक प्रयास से जिले में लिंगानुपात में काफी सुधार हुआ है। सामूहिक प्रयास से ही लिंगानुपात 905 तक पहुंच गया है। उन्होंने कानूनी जागरूकता के लिए एनडीपीटी एक्ट (प्री-कॉन्सेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स अधिनियम) के बारे में बताया। उन्होंने बताया की एनडीपीटी एक्ट एक भारतीय कानून है, जो गर्भावस्था के दौरान लिंग निर्धारण और लिंग-चयनात्मक गर्भपात को प्रतिबंधित करता है। इस अधिनियम को 1994 में लागू किया गया था। एनडीपीटी एक्ट का उद्देश्य लिंगानुपात को सुधारना और लड़कियों की भ्रूण हत्या को रोकना है। यह अधिनियम गर्भावस्था के दौरान लिंग निर्धारण और लिंग-चयनात्मक गर्भपात को प्रतिबंधित करके लड़कियों के अधिकारों की रक्षा करने में मदद करता है। यदि कोई लिंग जांच का मामला मिलता है। तो अधिनियम 1994 के अनुसार 3 साल की सजा व 10 हजार जुर्माने का इस अधिनियम में प्रावधान किया गया है।उन्होने बताया की गर्भवती स्त्रियों का संपूर्ण रिकॉर्ड ग्राम स्तर पर आशा वर्कर के पास होता है। यदि किसी भी स्थान पर लिंग जांच जैसी अवैध गतिविधि की जानकारी मिले, तो इसकी सूचना तुरंत जिला प्रशासन को दे।
इस अवसर पर जिला परियोजना अधिकारी प्रवीण कुमारी, एनडीपीटी के नोडल अधिकारी डॉ नितिन, पीएनडीटी डॉ. रिचा, आईएमओ डॉ. शैलेंद्र, एमओ डॉ. अलंकिता, असिस्टेंट पीएनटी प्रदीप राणा व अन्य इस दौरान उपस्थित रहे।