Indian GDP: भारत की अर्थव्यवस्था को महाकुंभ से मिली ताकत, मार्च तक 4 ट्रिलियन डॉलर पार!

Indian GDP: वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, घरेलू मांग की मजबूती के कारण भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज़ गति से बढ़ रही है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत दर्ज की गई, जो चीन, अमेरिका, इंडोनेशिया, ब्राजील जैसे सभी विकसित और विकासशील देशों से अधिक है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत यह है कि महाकुंभ के भव्य आयोजन, सार्वजनिक कंपनियों के पूंजीगत व्यय में वृद्धि और गैर-तेल एवं गैर-रत्न-आभूषण निर्यात में वृद्धि के कारण चालू वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
GDP वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना
चौथी तिमाही में GDP के बेहतर प्रदर्शन के कारण, चालू वित्तीय वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। इस वृद्धि दर को प्राप्त करके भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार मार्च के अंत तक मौजूदा कीमतों पर चार ट्रिलियन डॉलर के करीब पहुंच जाएगा। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि प्रयागराज में महाकुंभ के भव्य आयोजन ने परिवहन, खाद्य, होटल जैसे कई उद्योगों को मजबूती प्रदान की है।
महाकुंभ का जीडीपी पर प्रभाव
महाकुंभ में 50-60 करोड़ लोगों की भागीदारी हुई, जिससे खर्च में वृद्धि हुई और इसका प्रभाव चौथी तिमाही की जीडीपी में स्पष्ट रूप से देखने को मिलेगा। उन्होंने बताया कि पहले और दूसरे तिमाही में चुनावों के कारण सार्वजनिक व्यय में कमी आई थी, लेकिन अब इसमें उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और इस वर्ष जनवरी तक 75 प्रतिशत पूंजीगत व्यय खर्च किया जा चुका है। इसके अलावा, गैर-तेल और गैर-रत्न-आभूषण क्षेत्र के निर्यात में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
चार ट्रिलियन डॉलर के स्तर को छूने में सफलता
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खपत बढ़ रही है, जिससे चौथी तिमाही में 7.6 प्रतिशत वृद्धि वास्तविक प्रतीत होती है। नागेश्वरन ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 3.92 ट्रिलियन डॉलर होगा और हम चार ट्रिलियन डॉलर के स्तर को लगभग छू लेंगे।
निर्माण क्षेत्र में सुधार की उम्मीद
चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन फिर से कमजोर रहा। हालांकि, कृषि और सेवा क्षेत्रों के कारण छह प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर हासिल की गई। इसके अलावा, पूंजीगत वस्तुओं के आयात में भारी वृद्धि और निजी निवेश में वृद्धि से आने वाले महीनों में विनिर्माण क्षेत्र में सुधार की उम्मीद है।
नए प्रोजेक्ट्स को मिली रफ्तार
चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में निजी निवेशकों ने दो लाख करोड़ रुपये से कम के नए प्रोजेक्ट्स की घोषणा की थी, जबकि तीसरी तिमाही में यह आंकड़ा बढ़कर सात लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। हालांकि, वैश्विक व्यापार में शुल्क वृद्धि और प्रतिबंध, डॉलर के मुकाबले रुपये की लगातार कमजोरी और शेयर बाजार में गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम भरे साबित हो सकते हैं।
चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में विभिन्न क्षेत्रों की वृद्धि दर (पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में)
क्षेत्र | वृद्धि दर (प्रतिशत में) |
---|---|
कृषि, अन्य संबंधित और मत्स्य पालन | 5.6 |
खनन और संबंधित | 1.4 |
विनिर्माण | 3.5 |
विद्युत, गैस, जल आपूर्ति आदि | 5.1 |
निर्माण | 7.0 |
व्यापार, होटल, परिवहन | 6.7 |
वित्त, रियल एस्टेट और अन्य पेशेवर सेवाएं | 7.2 |
सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाएं | 8.8 |
2024 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में विभिन्न देशों की वृद्धि दर (प्रतिशत में)
देश | वृद्धि दर (प्रतिशत में) |
भारत | 6.2 |
चीन | 5.4 |
इंडोनेशिया | 5.02 |
अमेरिका | 2.5 |
ब्रिटेन | 1.4 |
जापान | 1.2 |
फ्रांस | 0.6 |
मेक्सिको | 0.48 |
इस प्रकार, महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों, बढ़ते निजी निवेश और सरकारी खर्च में वृद्धि से भारत की अर्थव्यवस्था को नई गति मिली है। हालांकि, वैश्विक अनिश्चितताओं से सतर्क रहने की जरूरत है ताकि यह वृद्धि दर लंबे समय तक बनी रहे।