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Haryana MBBS exam scam: पंडित भगवत दयाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में बड़ा खुलासा, जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए

Haryana MBBS exam scam: पंडित भगवत दयाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में एमबीबीएस परीक्षा घोटाले की एक महीने लंबी जांच में बड़े पैमाने पर खामियां उजागर हुई हैं। तीन सदस्यीय समिति द्वारा दी गई अंतिम जांच रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।

राज्य के कई मेडिकल कॉलेजों में जड़ें जमा चुका था नकल माफिया

जांच समिति की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ है कि नकल माफिया का जाल राज्य के कई प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों तक फैला हुआ था। इस घोटाले में राज्य के तीन निजी मेडिकल कॉलेजों के छात्र और कर्मचारी भी शामिल पाए गए हैं।

3 से 6 लाख रुपये प्रति विषय वसूले जाते थे

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस नकल माफिया द्वारा प्रति विषय 3 से 6 लाख रुपये तक वसूले जाते थे। इससे यह साफ हो गया है कि यह घोटाला योजनाबद्ध तरीके से बड़े पैमाने पर किया गया था।

Haryana MBBS exam scam: पंडित भगवत दयाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में बड़ा खुलासा, जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए

परीक्षा नियंत्रक को पद से हटाया गया

जांच समिति ने पाया कि इस घोटाले में परीक्षा नियंत्रक की भूमिका संदिग्ध रही है। घोटाले की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एच.के. अग्रवाल ने परीक्षा नियंत्रक डॉ. अमरीश को तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया है। उनकी जगह डॉ. सुखदेव सिंह चंडला को परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

छह स्थायी कर्मचारी निलंबित, छह आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त

विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच रिपोर्ट को देखते हुए त्वरित कार्रवाई करते हुए छह स्थायी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। साथ ही, छह आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं पूरी तरह समाप्त कर दी गई हैं।

24 छात्र और 17 अन्य कर्मचारी घोटाले में संलिप्त

जांच रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि विश्वविद्यालय के 24 छात्र और 17 अन्य कर्मचारी इस घोटाले में लिप्त थे। इस पर संज्ञान लेते हुए कुलपति ने जांच रिपोर्ट रोहतक एसपी को भेज दी है, ताकि 41 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सके।

पहले भी हुई थी कार्रवाई, दो कर्मचारी पहले ही निलंबित

गौरतलब है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने 12 जनवरी को प्रारंभिक जांच के बाद ही दो स्थायी कर्मचारियों – रोशन लाल और रोहित को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। इसके अलावा, तीन आउटसोर्स कर्मचारी – दीपक, इंदु बाजाज और रितु की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं।

छात्र की गुप्त सूचना से खुला घोटाले का राज

इस घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ जब जनवरी के पहले सप्ताह में एमबीबीएस के एक छात्र ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों को गुप्त रूप से एक वीडियो और एक लिखित नोट भेजा। इसमें बताया गया कि नकल माफिया बड़े पैमाने पर परीक्षाओं में धांधली करवा रहा है।

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ऐसे होती थी घोटाले की साजिश, विशेष पेन से लिखी जाती थी कॉपी

छात्र द्वारा दी गई शिकायत के अनुसार, परीक्षा के दौरान ऐसे पेन का इस्तेमाल किया गया जिनकी स्याही सूखने के बाद मिटाई जा सकती थी। परीक्षा के बाद इन उत्तर पुस्तिकाओं को विश्वविद्यालय से चोरी-छिपे बाहर भेजा जाता था। इसके बाद, नकल माफिया इन पुस्तिकाओं की स्याही हेयर ड्रायर की मदद से मिटा देता था और सही उत्तर लिखकर उन्हें परीक्षा केंद्र में वापस भेज देता था।

तीन सदस्यीय समिति ने की एक महीने तक गहन जांच

छात्र द्वारा मिली शिकायत पर तत्काल संज्ञान लेते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एच.के. अग्रवाल ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया। समिति ने पूरे मामले की गहराई से जांच की और एक महीने की जांच के बाद अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी।

एफआईआर के लिए पुलिस को सौंपी गई रिपोर्ट

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एच.के. अग्रवाल ने कहा कि जांच समिति ने एमबीबीएस परीक्षा घोटाले में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं उजागर की हैं। सभी दस्तावेज रोहतक एसपी को भेज दिए गए हैं, ताकि आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सके।

घोटाले में शामिल लोगों पर होगी सख्त कार्रवाई: कुलपति

कुलपति डॉ. एच.के. अग्रवाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि विश्वविद्यालय में किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस घोटाले में संलिप्त पाए गए सभी व्यक्तियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े सुरक्षा उपाय भी अपनाए जाएंगे।

छात्रों में रोष, निष्पक्ष जांच की मांग

इस घोटाले के उजागर होने के बाद छात्रों में भी गहरा आक्रोश है। छात्रों का कहना है कि जो लोग मेहनत और ईमानदारी से परीक्षा देते हैं, उनके साथ घोर अन्याय हुआ है। छात्रों ने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।

नकल माफिया के खिलाफ कठोर कदम उठाने की जरूरत

इस घोटाले से यह स्पष्ट हो गया है कि नकल माफिया का नेटवर्क कितना मजबूत और संगठित है। ऐसे में प्रशासन को नकल माफिया के खिलाफ कठोर कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न दोहराई जाएं।

पंडित भगवत दयाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में हुए एमबीबीएस परीक्षा घोटाले ने शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम सराहनीय हैं, लेकिन यह जरूरी है कि इस मामले में संलिप्त सभी आरोपियों को न्यायिक प्रक्रिया के तहत सजा मिले। छात्रों और अभिभावकों को भी यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना होगा कि शिक्षा प्रणाली में किसी भी प्रकार की धांधली न हो।

Khabar Abtak

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