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Haryana सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति की बैठक स्थगित, चुनाव समिति के सदस्यों ने किया विरोध प्रदर्शन

Haryana सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति की बैठक, जो पंचकूला के सेक्टर-1 के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में शुरू हुई थी, अचानक स्थगित कर दी गई। इस निर्णय के खिलाफ समिति के चुने हुए सदस्य गेट पर धरना प्रदर्शन करने पहुंचे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। धरने में बैठे सदस्य सरकार के निर्णय पर अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे थे। धरने में “मुर्दाबाद” के नारे लगाए गए, जिसमें सरकार की नीति और कार्यशैली के खिलाफ विरोध दर्ज किया गया।

सदस्यों का कहना था कि इस बैठक में 9 सदस्य चुनाव करने थे, जिन्हें रिटायर्ड जज एच.एस. भल्ला द्वारा चयनित किया जाना था, लेकिन सरकार के निर्देशों पर कहा गया कि सदस्य चयन के लिए नियम अभी तक तैयार नहीं किए गए हैं। इसके बाद, सभी सदस्य बैठक को स्थगित कर बाहर आ गए और विरोध प्रदर्शन करने लगे।

विरोध प्रदर्शन के पीछे का कारण

विरोध करने वाले सदस्यों का कहना था कि सरकार के इस फैसले ने बैठक के सही संचालन में रुकावट डाल दी। पहले तय किया गया था कि रिटायर्ड जज एच.एस. भल्ला समिति के 9 सदस्य चुनाव करेंगे, लेकिन सरकार की ओर से यह घोषणा की गई कि सदस्य चयन के लिए नियम अब तक तैयार नहीं किए गए हैं, जिससे प्रक्रिया में देरी हुई है। इस असमंजस और देरी के कारण बैठक को स्थगित कर दिया गया। सदस्य इस निर्णय से निराश थे, क्योंकि यह फैसला पहले से तय नियमों के विपरीत था।

धरने में शामिल सदस्य मानते हैं कि यह सरकार का एक अन्य तरीका है, जिससे वे समिति के चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि नियम पहले से तैयार नहीं थे तो सरकार को पहले ही इस मामले में स्पष्टता देनी चाहिए थी, ताकि बैठक और चुनाव प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के चल सकें।

जगदीश झिंडा का बयान

इस मामले में जब जगदीश झिंडा से प्रतिक्रिया ली गई, तो उन्होंने कहा कि जो लोग धरना प्रदर्शन कर रहे थे, उन्हें नियमों की पूरी जानकारी नहीं है। झिंडा ने इस धरने को बेतुका करार दिया और कहा कि यह आंदोलन किसी ठोस आधार पर नहीं खड़ा है। उनके अनुसार, बैठक को स्थगित करना कोई हल नहीं है, और यह प्रदर्शन एक तरह से अनावश्यक था। उनका यह भी कहना था कि यदि लोगों को नियमों के बारे में सही जानकारी होती तो शायद वे इस तरह का विरोध प्रदर्शन न करते।

Haryana सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति की बैठक स्थगित, चुनाव समिति के सदस्यों ने किया विरोध प्रदर्शन

चयन प्रक्रिया और बैठक का महत्त्व

बैठक का प्रमुख उद्देश्य हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष का चुनाव करना था, जिसके लिए सभी 40 विजेता उम्मीदवारों को बुलाया गया था। इस बैठक में यह तय किया जाना था कि समिति के अध्यक्ष का चुनाव किस प्रकार किया जाएगा। हालांकि, बैठक के स्थगित होने के बाद यह प्रक्रिया अब और अधिक समय तक टलने की संभावना है।

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बैठक के दौरान रिटायर्ड जज एच.एस. भल्ला, जो हरियाणा सिख गुरुद्वारा चुनाव समिति के अध्यक्ष हैं, ने अपनी अध्यक्षता में बैठक शुरू की थी। भल्ला को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वे चुनाव प्रक्रिया के समुचित संचालन को सुनिश्चित करें और समिति के चुनाव को सही तरीके से संपन्न कराएं। हालांकि, सरकार के निर्देशों और नियमों की अनिश्चितता के कारण यह बैठक बीच में ही स्थगित कर दी गई।

चुनाव प्रक्रिया और राज्य सरकार का हस्तक्षेप

हरियाणा सरकार का हस्तक्षेप इस मामले में मुख्य विवाद का कारण बन गया है। पहले से तय नियमों के अनुसार, चुनाव समिति का काम था कि वह सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के लिए 9 सदस्यों का चयन करती, लेकिन सरकार के हस्तक्षेप ने इस प्रक्रिया में बाधा डाली। सरकार का कहना था कि सदस्य चयन के लिए नियमों को फिर से देखा जा रहा है, जिससे चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं।

सदस्यों का आरोप है कि सरकार जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकार का प्रभाव समिति में बना रहे। यही कारण है कि चुनाव समिति के सदस्य गेट पर धरने पर बैठ गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

सिख समाज का असंतोष

हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति का चुनाव केवल एक राजनीतिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण मसला है। इस चुनाव का परिणाम न केवल गुरुद्वारा प्रबंधन के कार्यों को प्रभावित करेगा, बल्कि यह सिख समाज के भीतर भी बड़े बदलाव ला सकता है। ऐसे में, जब बैठक को स्थगित कर दिया जाता है, तो यह केवल चुनाव प्रक्रिया पर ही नहीं, बल्कि सिख समाज की एकजुटता पर भी सवाल उठाता है।

समिति के अध्यक्ष का चुनाव

बैठक का प्रमुख उद्देश्य हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष का चुनाव करना था। इस बैठक में चुने गए सभी 40 उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था। इनमें से कई उम्मीदवार पहले से ही सिख समाज में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं, और उनकी पहचान सिख समुदाय में गहरी है। इस चुनाव का परिणाम यह तय करेगा कि समिति का नेतृत्व किसके पास जाएगा और अगले कुछ वर्षों में गुरुद्वारा प्रबंधन की दिशा क्या होगी।

हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति की बैठक का स्थगित होना और इसके बाद का विरोध प्रदर्शन सरकार के हस्तक्षेप और चुनाव प्रक्रिया में अनिश्चितता के संकेत हैं। सिख समुदाय के नेताओं का मानना है कि सरकार का हस्तक्षेप इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा है। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस विवाद का समाधान कैसे निकाला जाता है और क्या बैठक को फिर से आयोजित किया जाएगा।

Khabar Abtak

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