एसजीटी विवि की विशेष पहल, शरीर दान पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित,’ चिकित्सा शिक्षा के लिए किसी वरदान से कम नहीं शरीर दान ‘
आयुर्वेद संकाय के अध्ययन के लिए बेलगावी से भेजी गई दो 'डोनेटेड बॉडी'

गुरुग्राम : एसजीटी विश्वविद्यालय, गुरुग्राम के फैकल्टी ऑफ इंडियन मेडिकल सिस्टम में शरीर दान (बॉडी डोनेशन) के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों एवं संकाय सदस्यों को इस महान कार्य के प्रति संवेदनशील बनाना था ताकि अनुसंधान में और प्रभावशाली प्रगति करके सबके स्वास्थ्य की रक्षा करने का उद्देश्य पूरा किया जा सके। इस अवसर पर
दो पवित्र शरीरों को एक गरिमामयी “कैडेवर स्वीकृति समारोह” के माध्यम से स्वीकार किया गया, जो कि केएलई एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च, बेलगावी से आयुर्वेद संकाय के छात्रों के अध्ययन हेतु प्राप्त हुए थे।
इस कार्यक्रम में कई गण्यमान्य अतिथि, आयुर्वेद, मेडिकल, डेंटल, नेचुरोपैथी और नर्सिंग के सैकड़ों छात्र शामिल हुए।
कार्यक्रम का आयोजन एसजीटी विश्वविद्यालय के सलाहकार प्रो. (डॉ.) श्याम लाल सिंगला, प्रबंधन के वरिष्ठ सदस्य रजनीश यादव, डीन प्रो. (डॉ.) अनिल शर्मा, एसोसिएट डीन डॉ. विद्यावती हिरेमठ तथा डेंटल, नेचुरोपैथी और नर्सिंग संकायों के डीन और संकाय सदस्यों की उपस्थिति में हुआ।
कैडेवर: मूक शिक्षक, अनमोल योगदान
कार्यक्रम की शुरुआत धन्वंतरि वंदना के साथ हुई। इसके पश्चात केएलई सोसाइटी के बेलगावी कंकणावाड़ी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. महांतेश रमन्नवर ने शरीर दान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “एक कैडेवर (शव) केवल अध्ययन की वस्तु नहीं है, बल्कि यह एक मौन शिक्षक है, जो भावी डॉक्टरों को मूल्यवान ज्ञान और कौशल प्रदान करता है। ऐसे उदार दानों के माध्यम से हम पाठ्यपुस्तकों से आगे बढ़कर वास्तविक शारीरिक संरचना को समझ सकते हैं।”
प्रो. (डॉ.) अनिल शर्मा, डीन, फैकल्टी ऑफ इंडियन मेडिकल सिस्टम ने इस महान पहल के पीछे छिपे भावनात्मक उद्देश्य पर प्रकाश डाला और कहा कि यह समाज और चिकित्सा क्षेत्र के लिए अत्यंत प्रेरणादायक कदम और प्रयास है। उन्होंने डॉ. महांतेश रमन्नवर की इस दान प्रक्रिया में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की।
एसजीटी विश्वविद्यालय के सलाहकार प्रो. (डॉ.) श्याम लाल सिंगला ने कहा कि शरीर दान चिकित्सा विज्ञान के विकास और भावी डॉक्टरों के प्रशिक्षण में अहम भूमिका निभाता है।
चिकित्सा शिक्षा के लिए किसी वरदान से कम नहीं है शरीर दान। उन्होंने अधिक से अधिक लोगों से इस पुनीत कार्य के लिए आगे आने का आग्रह किया।
इसके पश्चात उपस्थित लोगों ने दिवंगत शरीर दाताओं को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिजनों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. महांतेश रमन्नवर ने एसजीटी विश्वविद्यालय और फैकल्टी ऑफ इंडियन मेडिकल सिस्टम को स्मृति चिन्ह भेंट किया। साथ ही इस आयोजन को सफल बनाने वाले सभी सदस्यों को सम्मानित किया गया।