यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने भारतीय कुश्ती संघ (WFI) की सदस्यता रद्द कर दी है। इस पर सियासत गर्मा गई है। इस पर हरियाणा से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा और पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने तीखे शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया दी है। दोनों ने केंद्र सरकार को इसके लिए बड़ा जिम्मेदार ठहराया है।
सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग द्वारा भारतीय कुश्ती संघ की सदस्यता रद्द किया जाना दुखद है। हम शर्मसार हैं कि एक व्यक्ति के घमंड और कुकृत्यों के कारण हमारे पहलवानों को पोडियम पर तिरंगे व राष्ट्रगान का साया नसीब नहीं होगा। एक आरोपी को बचाने के लिए देश के लिए सर्वाधिक मेडल लाने वाले खेल की बलि चढ़ाई जा रही है।
वहीं वेस्ट बंगाल की CM ममता बनर्जी ने कहा कि मैं यह जानकर स्तब्ध हूं कि यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने भारतीय कुश्ती महासंघ को निलंबित कर दिया है। यह पूरे देश के लिए बेहद शर्मिंदगी की बात है।’ केंद्र सरकार ने शर्मनाक रूप से अहंकारी होकर और हमारी पहलवान बहनों की दुर्दशा के प्रति लापरवाही बरतकर हमारे पहलवानों को निराश किया है।
केंद्र और भाजपा हमारी अदम्य बहनों को स्त्रीद्वेष और असभ्य पुरुषवाद से परेशान करते रहे हैं। भारत को उन लोगों के खिलाफ खड़ा होना चाहिए और उन्हें दंडित करना चाहिए, जिनमें कोई नैतिक संवेदना नहीं बची है और जो राष्ट्र की लड़ाकू बेटियों की गरिमा के लिए खड़े नहीं हो सकते हैं। हिसाब-किताब का दिन अब ज्यादा दूर नहीं है।
पहलवानों को भी बड़ा झटका
संघ की सदस्यता जाने के बाद भारतीयों पहलवानों के लिए यह बड़ा झटका है। इस फैसले के बाद भारतीय पहलवान अब 16 से 22 सितंबर के बीच सर्बिया में होने वाली पुरुषों की वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में भारतीय झंडे के तले नहीं खेल पाएंगे। भारतीय पहलवानों को इस ओलिंपिक-क्वालिफाइंग चैंपियनशिप में UWW के बैनर तले ही खेलना होगा। इन्हें ‘ऑथोराइज्ड न्यूट्रल एथलीट’ (ANA) की कैटेगरी में गिना जाएगा।
किन वजहों से नहीं हो सका चुनाव?
इस साल की शुरुआत से ही भारतीय कुश्ती संघ अपने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं करा सका है। इस साल की शुरुआत में कुश्ती संघ के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण सिंह शरण के खिलाफ पहलवानों ने आंदोलन किया था और उन पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे।
इन आरोपों के बाद भारतीय कुश्ती संघ में तय समय पर चुनाव नहीं हो सके। नियम के मुताबिक इन चुनावों को जून 2023 तक हो जाना चाहिए था। हालांकि फरवरी से ही बृजभूषण को कुश्ती संघ से दूर कर दिया गया था और मई में उनका कार्यकाल भी खत्म हो गया था। लेकिन फिर कई राज्य इकाइयों ने इन चुनावों को लेकर अदालत का रुख कर लिया था।
कौन देख रहा है WFI का कामकाज?
भारतीय कुश्ती संघ की कमेटी को सबसे पहले जनवरी 2023 में भंग कर दिया गया था। उसके बाद इस कमेटी को मई 2023 में भंग किया गया। फिलहाल इसका कामकाज और दैनिक मामलों का प्रबंधन वर्तमान में भारतीय ओलंपिक संघ की समिति कर रही है। इस समिति ने भूपेंदर सिंह बाजवा की अध्यक्षता में यह फैसला लिया है।
महाराष्ट्र और त्रिपुरा के आवेदन खारिज
इस बार के चुनावों में महाराष्ट्र और त्रिपुरा से कुश्ती संघ में कोई प्रतिनिधि नहीं होगा क्योंकि रिटर्निंग ऑफिसर ने दोनों गुटों के दावे को अयोग्य माना। साथ ही त्रिपुरा बीते 6 सालों से कुश्ती संघ से असंबद्ध बना हुआ है। इसके पीछे के कारणों के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है।