हिंदी भारतीय संस्कार की भाषा है, हिंदी का भविष्य उज्जवल-पद्मश्री डॉ.सन्तराम देशवाल

सानीपत,(अनिल जिंदल ), 27 जून। मुरथल में स्थित केन्द्रीय पैट्रोरसायन अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (सिपेट) में शुक्रवार को तिमाही हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्यअतिथि पद्मश्री से अलकृत डॉ. सन्तराम देशवाल ने शिरकत करी। कार्यशाला के आरंभ में संस्थान के निदेशक एवं प्रमुख, डॉ. हरेन्द्र कुमार ने मुख्य अतिथि को पुष्प गुच्छ देकर व शाल ओढाकर सम्मानित किया और उन्हें पद्मश्री पुरस्कार मिलने पर बधाई दी।
पद्मश्री डॉ. सन्तराम देशवाल ने बताया कि हिंदी का भविष्य बहुत उज्जवल है। इसका डंका विश्वभर में बज रहा है। हिंदी हर हाल में राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनकर रहेगी। उन्होंने बताया कि हिंदी भाषा हमारे संस्कारों की भाषा है। जिसकी पावन धारा गंगा की तरह बह रही है।
निदेशक एवं प्रमुख डॉ. हरेन्द्र कुमार ने डॉ. सन्तराम देशवाल के व्याख्यान की प्रशंसा की ओर बताया कि हिंदी का कार्यन्वयन करना हमारा दायित्व भी है और कर्तव्य भी है। इस दौरान उन्होंने संस्थान के दैनिक कार्यो में हिंदी की प्रगति के बारे मे विस्तार से बताया तथा उपस्थित सभी कर्मियों को कार्यालय के कार्य को समर्पित भाव से हिंदी में करने बारे प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया।
डॉ. सन्तराम देशवाल ने किया संस्थान से आह्वान
पद्मश्री डॉ. सन्तराम देशवाल ने संस्थान के सभी अधिकारियों, प्रशिक्षकों, संकाय, के सदस्यों और कर्मिकों को आह्वान किया कि वो दिल लगाकर कार्यालय के सभी दैनिक कामों को सरल हिंदी का प्रयोग यह मानकर करें कि हम राष्ट्रभक्ति कर रहे है व राष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा कर रहे है।
इस अवसर पर संस्थान के प्रबन्धक (तकनीकी) एसएम खाजा, वरिष्ठ अधिकारी(वित्त एवं लेखा) विनीत सिंघल, प्रशानिक प्रभारी सुश्री सोनम, तकनीकी अधिकारी नावेद सिराज व अन्य सभी मौजूद रहे।