स्पोर्ट्स के विद्यार्थी स्वयं का एंटरप्रेन्योरशिप शुरू करें और जॉब लेने वाले नहीं, जॉब देने वाले बनें – श्री अशोक कुमार, कुलपति
खेलों के साथ-साथ मीडिया एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में भी जॉब की अनेक संभावनाएं हैं– प्रो. आशुतोष मिश्रा

खेलों में करियर की असीम संभावनाएं : खेल अब केवल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि प्रोफेशन का भविष्य बन चुका है।
अनिल जिंदल, सोनीपत, 28 मई : आज खेल केवल मैदान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह शिक्षा, विज्ञान, तकनीक और मीडिया से जुड़कर युवाओं के लिए करियर के नए द्वार खोल रहे हैं — यह बात खेल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री अशोक कुमार ने मुख्य अतिथि के तौर पर विश्वविद्यालय में आयोजित “प्ले, परफॉर्म, प्रोस्पर: करियर इन स्पोर्ट्स” एक दिवसीय विचार गोष्ठी के दौरान कही। इस विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली से डिप्टी डायरेक्टर स्पोर्ट्स डॉ. विक्रम सिंह ने खेल में करियर की जानकारी दी, वहीं चितकारा यूनिवर्सिटी, राजपुरा से आए मीडिया विभाग के डीन प्रो. आशुतोष मिश्रा ने मीडिया एवं जनसंचार में करियर के बारे में बताया। इस विचार गोष्ठी का आयोजन प्रो. योगेश ठाकुर द्वारा किया गया।
कुलपति श्री अशोक कुमार ने कहा कि खेल सम्मान, पहचान और आत्मनिर्भरता का माध्यम है। अब खिलाड़ी न केवल रोजगार की तलाश में हैं, बल्कि वे खुद एंटरप्रेन्योर, टेक्नोलॉजिस्ट और मोटिवेशनल लीडर बन रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्पोर्ट्स टेक्नोलॉजी, इक्विपमेंट डिज़ाइन और फिटनेस स्टार्टअप्स जैसे क्षेत्रों में भी विशाल अवसर हैं। उन्होंने कहा कि हमें जॉब लेने वाला नहीं, जॉब देने वाला बनना होगा| कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को खेल के प्रति जागरूक करना और यह बताना था कि कैसे खेल एक करियर विकल्प के रूप में भविष्य संवार सकता है। आज खेलों का दायरा केवल एथलेटिक्स या प्रतियोगिताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक और समृद्ध करियर सेक्टर बन चुका है। खेल से जुड़कर छात्र न केवल खिलाड़ी बन सकते हैं, बल्कि विज्ञान, तकनीक, मीडिया, प्रबंधन आदि कई क्षेत्रों में भी भविष्य बना सकते हैं। पेशेवर खिलाड़ी, कोच/ट्रेनर, स्पोर्ट्स साइंस में करियर, स्पोर्ट्स फिजियोलॉजिस्ट, न्यूट्रिशनिस्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, साइकोलॉजिस्ट, स्ट्रेंथ एंड कंडिशनिंग एक्सपर्ट, स्पोर्ट्स मैनेजमेंट, इवेंट मैनेजर, लीग मैनेजमेंट, टीम मैनेजर, स्पोर्ट्स मीडिया और पत्रकारिता, रिपोर्टर, एंकर, विश्लेषक, ब्लॉगर या यूट्यूबर के रूप में अवसर हैं। डिजिटल मीडिया, ओटीटी, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म, स्पोर्ट्स टेक्नोलॉजी, एनालिटिक्स, प्लेयर परफॉर्मेंस ट्रैकिंग, वीडियो एनालिसिस, ऐप डेवलपमेंट आदि में भी करियर की संभावनाएं हैं। भारत सरकार की प्रमुख पहलें – खेलो इंडिया योजना, फिट इंडिया मूवमेंट – खेलों को बढ़ावा देने में सहायक हैं।
प्रो. आशुतोष मिश्रा, डीन, मास कम्युनिकेशन, चितकारा यूनिवर्सिटी, राजपुरा ने खेल और मीडिया के बीच गहरे संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “खेल पत्रकारिता आज एक बड़ा और सम्मानजनक क्षेत्र बन चुका है। सोशल मीडिया, डिजिटल प्लेटफॉर्म और ओटीटी माध्यमों ने खेल कंटेंट को नई ऊँचाइयाँ दी हैं।” उन्होंने ‘दंगल’, ‘भाग मिल्खा भाग’, ‘सुल्तान’ जैसी फिल्मों का उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह खेल आधारित कहानियाँ समाज को प्रेरित कर रही हैं और मीडिया में नई संभावनाओं को जन्म दे रही हैं।
डॉ. विक्रम सिंह, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली ने ‘कॅरियर इन स्पोर्ट्स’ विषय पर आयोजित एक परिचर्चा में बताया कि खेल विज्ञान अब एक मजबूत शैक्षणिक अनुशासन बन चुका है, जिसमें खेल पोषण, स्पोर्ट्स साइकोलॉजी, स्ट्रेंथ एंड कंडिशनिंग, फिजियोथेरेपी, इंजरी प्रिवेंशन, और ह्यूमन एनाटॉमी जैसे विषय शामिल हैं। उन्होंने कहा, विराट कोहली खिलाड़ी की ब्रांड वैल्यू 171 करोड़ तक पहुँच चुकी है — यह दिखाता है कि खेल न केवल जुनून, बल्कि एक आर्थिक शक्ति भी बन चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि बी.ए. इन स्पोर्ट्स परफॉर्मेंस भारत सरकार की एक उल्लेखनीय योजना है, जो युवाओं को प्रशिक्षित खिलाड़ी, कोच, या स्पोर्ट्स साइंटिस्ट बनने का अवसर देती है। आज हमारे पास 50 से अधिक ऐसे करियर विकल्प हैं, जो पहले केवल कोच या खिलाड़ी तक सीमित रहते थे, उन्होंने कहा।
कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. विवेक ने किया। डॉ. ज्योति (डीन) सहित अनेक शिक्षाविद एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। इस दौरान उपस्थित विद्यार्थियों ने करियर से संबंधित विशेषज्ञों से सवाल-जवाब किए, जिनका उत्तर विशेषज्ञों ने बहुत अच्छे ढंग से दिया।