राष्ट्र व समाजहित को ध्यान में रखकर करें पत्रकारिता : राजेश कुमार
जींद 13 मई। विश्व संवाद केंद्र, हरियाणा के सचिव राजेश कुमार ने कहा कि आज दुनिया विचार पर चल रही है इसलिए पत्रकार को समाज तक अच्छा विचार पहुंचाने के लिए प्रयासरत होना चाहिए। आपके द्वारा लिखा गया समाचार समाज को सही दिशा भी दे सकता है और समाज को दिशाहिन भी कर सकता है। पत्रकार को टीआरपी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। सत्य व तथ्य को जांच परख कर सही तरीके से समाचार को प्रस्तुत करना चाहिए। एक सच्चे पत्रकार का यह कर्त्तव्य बनता है कि वह राष्ट्र व समाजहित को ध्यान में रखकर पत्रकारिता करे। राजेश कुमार मंगलवार को देवर्षि नारद की जयंती के अवसर पर चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय व मीडिया क्लब, जींद के संयुक्त तत्वावधान में सीआरएसयू के इंटरनेशनल गेस्ट हाउस में आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में मुख्यातिथि के तौर पर वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्त व वशिष्ट अतिथि के तौर पर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार अशोक छाबड़ा ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन ने की। जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजमेर सिंह, सहायक प्राध्यापक डॉ. बालाराम, टिवंकल, गौरव नरवाल, दीपक अरोड़ा, पूनम खटकड़, प्रदीप कुमार, सत्यव्रत, कृष्ण कुमार ने भी कार्यक्रम में अपना विशेष योगदान दिया। राजेश कुमार ने कहा कि देवर्षि नारद जमीन से जुड़े पत्रकार थे। जहां पर भी घटना घटती वह तुरंत ही वहां पहुंच जाते थे और वहां घटित घटना को बिना किसी फेरबदल के सही ढंग से देव व दानवों तक पहुंचाने का काम करते थे। देवर्षि नारद ने हमेशा समाजहित के लिए काम किया। लेकिन कुछ तथाकथित बुदिधजीवियों ने उनकी छवि को धूमिल करने का काम किया। देवर्षि नारद से बिना यश-अपयश की चिंता किए समाजहित के लिए सूचनाओं का आदान-प्रदान किया। आज हमें भी उनके जीवन से प्रेरणा लेकर बिना किसी यश-अपयश कि चिंता किए समाजहित के लिए पत्रकारिता करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें देवर्षि नारद जी की जयंती पर आज यह संकल्प लेना चाहिए कि हम ऑफिस की नहीं धरातल की पत्रकारिता करें। उन्होंने कहा कि आज समाज में दो तरह के पत्रकार हैं एक बी फॉर गूगल और दूसरे ऑफटर गूगल यानि एक वह पत्रकार जिन्होंने गूगल से पहले धरातल पर रहकर पत्रकारिता की है और दूसरे वह जो आज ए.सी. कार्यालय में बैठकर गूगल से सर्च करके कॉपी-पेस्ट की पत्रकारिता कर रहे हैं। आज हमें पत्रकरिता के साथ-साथ पढ़ने व अध्ययन करने का काम भी करना चाहिए ताकि हम समाचार लिखने के अलावा समाज को नई दृष्टि देने वाली पत्रकारिता का हिस्सा बन सकें।
वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि एक अच्छे पत्रकार का निर्भीक और निष्पक्ष होना चाहिए पर अगर बात देशहित की हो तो वहां देशहित को महत्व देना चाहिए। देश पर आपदा या विपदा के समय धर्म-अधर्म, सच-झूठ को छोड़कर देशहित को ध्यान में रख कर पत्रकारिता करनी चाहिए। क्योंकि पत्रकार बड़ा नहीं होता देश बड़ा होता है। उन्होंने कहा कि निष्पक्षता तथ्यों की होती है इसलिए पत्रकार को तथ्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। नारद जी की तरह निर्भिक होकर सही तथ्य समाज के सामने रखने चाहिएं। उन्होंने कहा कि भारत में पत्रकारिता का जन्म ही भारत को आजादी दिलवाने के लिए हुआ था लेकिन आज पत्रकारिता के मायने कुछ और ही हो गए हैं। उन्होंने कहा कि हमें फेक न्यूज से बचना चाहिए। अगर वैचारिक चासनी में लपेट कर फेक न्यूज को बार-बार प्रस्तुत करेंगे तो समाज उसी फेक न्यूज को सच मानने लगेगा। श्रीवास्तव ने कहा कि आज पत्रकारिता का गोल्डन दौर है। एक पत्रकार अगर उसके पास अच्छा समाचार है तो वह बड़ी आसानी से सोशल मीडिया के माध्यम से करोड़ों लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकता है। आज वार ऑफ नेरेटिव का दौर चल रहा है। इसलिए हमें प्रोपगेंडा वार से बचना चाहिए और टीआरपी के चक्कर में गलत न्यूज नहीं देनी चाहिए। युद्ध जैसे हालात के दौरान हमें लाइव रिपोर्टिंग के चक्कर में दुश्मन देश के टूल नहीं बनना चाहिए। देवरिषी नारद जी की तरह समाजहित को ध्यान में रखकर तरह सत्य खबर समाज तक पहुंचानी चाहिए।
मुख्यमंत्री के मीडिया कोर्डिनेटर अशोक छाबड़ा ने कहा कि समाज व देश को जोड़ने का काम करने वाली पत्रकारिता लाभकारी है। सोशल मीडिया का लाभ है तो नुकसान भी है। यहां बेरियर या फेक्ट चैक की व्यवस्था नहीं है। इसलिए हमें जल्दबाजी में सोशल मीडिया पर कोई सूचना नहीं डालनी चाहिए। उसके बड़े नुक्सान हो सकते हैं। कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन ने कहा कि प्रिंट व इलैक्ट्रोनिक मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है लेकिन अब सोशल मीडिया 5वां स्तम्भ बनकर उभरा है। आज डिजिटल मीडिया का दौर है और डिजिटल मीडिया का भी राष्ट्र निर्माण में काफ़ी योगदान है। पत्रकार को समाचार लिखने के साथ-साथ रिसर्च पर भी काम करना चाहिए। पूर्व कालखंड में देश के इतिहास के साथ जो छेड़छाड़ की गई है आज हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम उस इतिहास पर रिसर्च करके सही ढंग से लोगों तक अपना इतिहास पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि देवर्षि नारद सृष्टि के प्रथम पत्रकार थे और वह ज्ञान व अनुभव के धनी थे। इसलिए बिना किसी रोकटोक के तीनों लोकों में कहीं भी विचर सकते थे। ज्ञान व्यक्ति को निभिर्क बनाता है इसलिए हमें नारद मूनि के जीवन से प्रेरणा लेते हुए अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित करने की तरफ ध्यान देना चाहिए। यानि हमें रिसर्च पर काम करना चाहिए। मास कॉम के विभागध्यक्ष डॉ. अजमेर सिंह ने कार्यक्रम के आयोजन के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।