ऐडमिनिस्ट्रेटर के समय लगे हुए नम्रता एवं 21 अन्य कर्मचारियों की जांच भी सीबीआई डीएसपी पीके खन्ना करेंगे।
अब संस्था के 170 फर्जी भर्ती समेत192 कर्मचारियों की जांच होगी
प्रशासन ने प्रस्ताव पारित करके हटाना, प्रथम दृष्टांत में गलत माना
गोहाना, 25 अप्रैल : जनता विद्या भवन, बुटाना संस्था के प्रधान सत्यपाल सांगवान द्वारा लिए गए सभी फैसले लगातार विवादों में आ रहे हैं। जनता विद्या भवन संस्था जहां सरकार द्वारा स्टेट यूनिवर्सिटी बनाने की प्रक्रिया जारी है। संस्था में हुए भ्रष्टाचार, 170 फर्जी भर्तियां से संस्था लगातार विवादों में आ गई। संस्था के महासभा के सदस्यों ने करोड़ों रुपए के गबन का आरोप लगाया। नम्रता असिस्टेंट प्रोफेसर इन इंग्लिश को हटाने के बाद संस्था के इतिहास में पहली बार महिला कर्मचारी को धरने पर बैठना पड़ा। इसका समर्थन महासभा के सदस्यों ने भी किया। महासभा के सदस्यों ने आरोप लगाया था कि प्रधान गलत तरीके से परिवार के सदस्यों को लगाया एवं अन्य को हटाने पर लगा हुआ है।
महासभा के सदस्यों ने सरकार से मांग की:
1. नम्रता देवी (असिस्टेंट प्रोफ़ेसर) की ज्वाइनिंग 7 मार्च,2022 को ऐडमिनिस्ट्रेटर द्वारा सिलेक्शन प्रक्रिया को पूरा करते हुए करवाई गई थी।
इन्होंने 20 मार्च,2025 को टर्मिनेशन पत्र जारी कर दिया। आपके ऑफिस से इस संदर्भ में जवाब भी मांगा गया था।
जबकि ऐडमिनिस्ट्रेटर के समय नियुक्त हुए 21 अन्य कर्मचारी आज भी कार्य कर रहे है। सिर्फ एक महिला कर्मचारी को हटाना गलत मनसा दर्शाता है।
इन सभी कर्मचारियों की जांच को भी इसमें सम्मिलित किया जाए।
2. इनके द्वारा 19 मार्च,2025 को प्रस्ताव पारित किया गया है। इस प्रस्ताव में स्पष्ट लिखा गया है कि इनको बार बार स्वेच्छा से त्याग पत्र देने के लिए कहा गया। कोई भी मैनेजमेंट किसी को स्वेच्छा से त्याग पत्र के लिए दबाव नहीं दे सकती। अगर ऐसा किया गया है तो पूछा जाए किसने कहा एवं किसके आदेश पर कहा? उनके खिलाफ एक महिला कर्मचारी को तंग करने के मामले में केस दर्ज किया जाए।
3. सोसाइटी एक्ट 2012 के अनुसार कोई भी गवर्निंग बॉडी ओर महासभा ऐसे कोई भी प्रस्ताव को पारित नहीं कर सकती। क्योंकि ऐसा प्रस्ताव सोसाइटी एक्ट 2012 एवं संस्था के संविधान के विपरीत है। ये प्रस्ताव सोसाइटी एक्ट 2012 के किसी भी किसी नियम एवं उपनियम के अंतर्गत नहीं आता। इस प्रस्ताव को कैंसिल करने की मांग की गई थी।
महासभा के सदस्यों ने कहा कि कोई भी मैनेजमेंट सेलेक्टिव एप्रोच निर्धारित नहीं कर सकती। एक महिला कर्मचारी की न्युक्ति को रद करके अन्य 21 कर्मचारियों की न्युक्ति रद नहीं करती।
जहां एक तरफ 170 भर्ती हुए कर्मचारियों की जांच जारी हैं वही 22 अन्य कर्मचारियों को भी जांच में सम्मिलित कर लिया गया है। अब संस्था के भर्ती हुए 192 कर्मचारियों की जांच होगी।
ऐसा शायद ही किसी संस्था में हुआ होगा कि 192 कर्मचारियों समेत, मिट्टी डालने, कैश इन हैंड, अटेंडेंस समेत अन्य अनियमितताओं की जांच हो रही हैं। महासभा के सदस्य पूर्व अध्यक्ष अजीत सांगवान, महासभा सदस्य एवं पूर्व सचिव कृष्ण सांगवान समेत अन्य सदस्यों की जांच की मांग पर ये जांच की कार्यवाही जारी है। सूत्रों से पता चला है कि लगभग 8 से 10 हजार संस्था के कागज इस सप्ताह इंक्वायरी ऑफिसर के पास पहुंचे हैं। संस्था में लगे हुए कर्मचारियों पर भी गंभीर आरोप लगे हुए हैं। इसमें जर्मनी एवं इंग्लैंड में गए हुए कर्मचारियों की सैलरी निकाली गई है। कुछ की डिग्रियों, योग्यता, वर्किंग कमेटी के सदस्यों के परिवार को नौकरियों देने, रेगुलर स्टूडेंट्स होते हुए सैलरी निकाली गई है।
संस्था में जहां मैनेजमेंट 15 जून 2022 को कार्यभार लेते समय ऐडमिनिस्ट्रेटर ने कई करोड़ रुपए सौंपे थे। आज साथ में ऐसे हालत बन गए कि कर्मचारियों को सैलरी देने के रुपए नहीं बचे हैं।
जहां प्रधान सत्यपाल सांगवान को प्रशासन ने आईना दिखाते हुए नाम का प्रधान रखा हुआ है। संस्था के किसी भी रिकॉर्ड को एक्सेस करने, डिसीजन करने समेत हस्ताक्षर पावर पर रोक लगाई हुई है। अब तो सैलरी एवं कोई भी ट्रांजेक्शन करने पर भी रोक लगी हुए हैं । ऐसा भी संस्था में पहली बार हुआ है। संस्था में विवाद कम होने की बजाय लगातार प्रधान एवं वर्किंग कमेटी के सदस्यों द्वारा लिए गए गलत फैसलों की वजह से बढ़ रहे हैं।