जनता संस्था बुटाना में जांच के लिए सीबीआई ने किया डीएसपी नियुक्त, प्रधान की शक्तियों पर लगाई लगाम, किसी भी फैसले लेने पर रोक,
जनता संस्था में हुए भ्रष्टाचार एवं 170 फर्जी भर्ती की जांच शुरू

गोहाना, 7 मार्च : जनता संस्था बुटाना में लगातार विवाद बढ़ता जा रहा हैं। एसडीएम गोहाना श्रीमती अंजली ने 20 जनवरी को छापा मार कर कार्यवाही की थी। उसके बाद संस्था के प्रधान ने नम्रता, असिस्टेंट प्रोफेसर को बिना नोटिस जारी किए नियुक्ति को गलत बताते हुए नियुक्ति को रद कर दिया। नम्रता ने संस्था के इतिहास में पहली बार धरना दिया। प्रशासन ने 28 फरवरी को प्रधान को नोटिस जारी करके जवाब मांगा। उसकी कार्यवाही जारी है।
दूसरी तरफ 170 फर्जी कर्मचारी भर्ती किए गए हैं। वे हाजिर नहीं पाए गए। उनकी सैलरी निकाली जा रही हैं। कैश इन हैंड में गड़बड़ पाई गई। जांच में डिग्री कॉलेज के प्रिंसिपल नरेंद्र सांगवान एवं स्कूल के प्रिंसिपल दलबीर भाग गए।
प्रधान से सभी बिंदुओं पर नोटिस जारी कर लिखित में एवं 27 फरवरी को पक्ष रखने का मौका दिया।
इनके जवाब से प्रशासन संतुष्ट नहीं हुआ।
अब रजिस्ट्रार, फर्म एंड सोसाइटी की तरफ से जांच के लिए सीबीआई से रिटायर्ड डीएसपी पी.के खन्ना को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया है। प्रधान की शक्तियों को भी रोक लगा दी गई हैं। अब जांच होने तक प्रधान संस्था से संबंधित कोई फैसला नहीं ले सकता। किसी तरह के रिकॉड लेने पर भी पाबंदी लगा दी गई हैं।
जनता संस्था के पूर्व अध्यक्ष अजीत सांगवान ने जांच का स्वागत किया एवं कहा कि संस्था के इतने बुरे हालात हो गए कि सैलरी देने के भी रुपए नहीं बचे। दूसरी तरफ 15 जून,2022 से पहले के लगे हुए कर्मचारियों को हटाने पर लगा हुआ है। महिलाओं को भी तंग किया जा रहा हैं।
अयोग्य कर्मचारियों को लगा रहा है। जो कर्मचारी योग्य है, उनको दुर्भावना से हटा रहा है। सरकार से जल्द से जल्द प्रशासक नियुक्त करने की मांग की। पूर्व सचिव कृष्ण सांगवान ने कहा कि करोड़ों के भ्रष्टाचार करने एवं कर्मचारियों को तंग करने वाला सत्यपाल सांगवान जांच के बाद हरियाणा का सबसे भ्रष्ट प्रधान के रूप में जाना जाएगा। क्योंकि ऐसा किसी संस्था में नहीं हुआ जहां इतना भ्रष्टाचार हुआ हो एवं बिना आए कर्मचारियों की सैलरी निकाली जाती हो।अपने परिवार के सदस्यों को नौकरियों पर दिखा कर सैलरी निकाली गई हैं। संस्था के कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष डॉ रवींद्र सांगवान ने जिन्होंने संस्था को स्टेट यूनिवर्सिटी बनाने को लेकर अग्रिम भूमिका निभाई ने भी जांच का स्वागत किया। इन्होंने कहा कि प्रधान सत्यपाल सांगवान का व्यक्तिगत लोभ संस्था को स्टेट यूनिवर्सिटी बनाने में रोड़ा बना हुआ हैं। ये अपने परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरी दिलवाने एवं अन्य को हटाने पर लगा हुआ है। इन्होंने इस बात की पुष्टि की, संस्था में ऐसे कर्मचारी है जो संस्था में नहीं आते एवं सैलरी निकाली जा रही हैं। सीसीटीवी फुटेज इस बात का सबूत है। संस्था में लगातार विवाद बढ़ रहा है। सूत्रों से पता चला है कि अभी बहुत तेजी के साथ ओर भी परिवर्तन देखने को मिलेंगे। क्योंकि संस्था में लगभग 10 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। इसकी जांच सीबीआई अधिकारी को दे कर सरकार ने सख्त रूख अख्तियार कर लिया है।