Haryana news: हरियाणा सरकार के अनुसूचित जाति वर्गीकरण पर हाईकोर्ट की सख्ती, नोटिफिकेशन को चुनौती
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Haryana news: हरियाणा सरकार द्वारा 13 नवंबर 2024 को जारी अनुसूचित जाति वर्गीकरण से संबंधित अधिसूचना को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इस मामले में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए 17 मार्च तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
17 मार्च को होगी अगली सुनवाई
मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) ने अदालत को सूचित किया कि आवश्यक शपथ पत्र दाखिल कर दिया गया है। हालांकि, उन्होंने विस्तृत लिखित जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा। इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 17 मार्च 2025 तय की है।
यह याचिका हरियाणा प्रदेश की एक महासभा द्वारा दायर की गई है, जिसमें सरकार की इस अधिसूचना को असंवैधानिक और मनमाना बताया गया है।
याचिका में क्या कहा गया?
याचिका में दावा किया गया है कि हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जातियों को दो वर्गों में बांटा है— वंचित अनुसूचित जाति (Deprived Scheduled Castes) और अन्य अनुसूचित जाति (Other Scheduled Castes)।
इस वर्गीकरण का आधार 16 अगस्त 2024 को हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट को बनाया गया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह रिपोर्ट मात्र दो सप्ताह में तैयार की गई, जिससे इसकी वैधता और निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि अधिसूचना में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि किन जातियों को वंचित और सामाजिक रूप से उन्नत श्रेणी में रखा गया है। इस अस्पष्टता के चलते यह अधिसूचना कई वर्गों के लिए भेदभावपूर्ण साबित हो सकती है।
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ग्रुप C और D पदों की प्राथमिकता सूची रद्द
इसी बीच, हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) द्वारा ग्रुप C और D पदों की भर्ती प्रक्रिया में तैयार की गई प्राथमिकता सूची को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है।
हाईकोर्ट ने साफ कहा कि भर्ती प्रक्रिया में ऐसा कोई नियम लागू नहीं किया जा सकता जो भर्ती विज्ञापन में स्पष्ट रूप से उल्लेखित न हो।
क्या था मामला?
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने ग्रुप C और D पदों के लिए भर्ती अधिसूचना जारी की थी, जिसमें आवेदन के लिए सामान्य पात्रता परीक्षा (CET) पास करना अनिवार्य था। लेकिन मुख्य परीक्षा के दौरान आयोग ने एक प्राथमिकता सूची तैयार कर दी, जिसमें कहा गया कि भूतपूर्व सैनिक श्रेणी में दिव्यांग भूतपूर्व सैनिकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
हाईकोर्ट ने इसे भर्ती प्रक्रिया में अनुचित हस्तक्षेप मानते हुए इस प्राथमिकता सूची को रद्द कर दिया और कहा कि किसी भी चयन प्रक्रिया में नियमों में पारदर्शिता और पूर्वनिर्धारित दिशानिर्देशों का पालन आवश्यक है।
क्या होगा आगे?
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अनुसूचित जाति वर्गीकरण मामला:
- हरियाणा सरकार को 17 मार्च तक हाईकोर्ट में अपना विस्तृत जवाब दाखिल करना होगा।
- अगर अदालत सरकार की अधिसूचना को असंवैधानिक मानती है तो यह अधिसूचना निरस्त की जा सकती है।
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ग्रुप C और D भर्ती मामला:
- हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन को अपनी भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी होगी।
- दिव्यांग भूतपूर्व सैनिकों को दी गई प्राथमिकता अब प्रभावी नहीं रहेगी।
सरकार के फैसले पर बढ़ा विवाद
हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों के नए वर्गीकरण और भर्ती प्रक्रिया में बदलाव को लेकर राज्य में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है।
अब देखना होगा कि 17 मार्च को हाईकोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है और हरियाणा सरकार इस कानूनी चुनौती का सामना कैसे करती है।