Haryana: महाकुंभ को ‘मृत्युकुंभ’ कहने पर ममता बनर्जी पर बरसीं बबीता फोगाट, बोलीं- ‘गंगा मैया उन्हें सद्बुद्धि दें’
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Haryana: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा महाकुंभ को ‘मृत्युकुंभ‘ कहे जाने पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नेता और ‘दंगल गर्ल’ के नाम से मशहूर बबीता फोगाट ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर ममता बनर्जी के इस बयान की कड़ी आलोचना की और कहा कि यह करोड़ों हिंदू श्रद्धालुओं की आस्था का अपमान है।
बबीता फोगाट ने मंगलवार रात फेसबुक पोस्ट में लिखा, “ममता दीदी ने करोड़ों हिंदू श्रद्धालुओं की आस्था का मज़ाक उड़ाकर अपनी क्रूरता दिखाई है। केवल एक वर्ग को खुश करने के लिए महाकुंभ को ‘मृत्युकुंभ’ कहकर उन्होंने घोर पाप किया है। गंगा मैया उन्हें सद्बुद्धि दें। महाकुंभ सिर्फ एक स्नान नहीं बल्कि मोक्ष का मार्ग है, जिसमें सामाजिक समरसता और एकता की झलक मिलती है। इसे मृत्युकुंभ कहना स्वयं पाप की धारा में बहने के समान है।”
ममता बनर्जी ने क्यों दिया था यह बयान?
दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महाकुंभ में हुई कुछ अप्रिय घटनाओं का जिक्र करते हुए इसे ‘मृत्युकुंभ’ कहा था। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। हिंदू संगठनों और बीजेपी नेताओं ने इसे हिंदू आस्था पर सीधा हमला बताया और कड़ी प्रतिक्रिया दी।
महाकुंभ हिंदू धर्म के चार प्रमुख तीर्थस्थलों (प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक) में 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित किया जाता है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है, जिसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु शामिल होते हैं। ऐसे में, ममता बनर्जी द्वारा इसे ‘मृत्युकुंभ’ कहना बीजेपी और हिंदू संगठनों को नागवार गुजरा है।
बबीता फोगाट ने क्यों उठाई आवाज़?
बबीता फोगाट न केवल कुश्ती के मैदान में देश का नाम रोशन कर चुकी हैं, बल्कि वे राजनीति में भी मुखर रही हैं। वे हरियाणा में बीजेपी की नेता हैं और हिंदू संस्कृति व परंपराओं के समर्थन में अक्सर खुलकर बोलती हैं। महाकुंभ पर ममता बनर्जी की टिप्पणी से आहत होकर उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रियाएं
बबीता फोगाट के अलावा अन्य बीजेपी नेताओं ने भी ममता बनर्जी के बयान की कड़ी आलोचना की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा, “महाकुंभ सनातन संस्कृति की पहचान है। इसे अपमानित करने वाले असल में भारत की आत्मा को चोट पहुंचा रहे हैं। ऐसे नेताओं को जनता सबक सिखाएगी।”
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी कहा, “महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है। ममता बनर्जी द्वारा इसे ‘मृत्युकुंभ’ कहना उनकी संकीर्ण सोच को दर्शाता है।”
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों में किया जाता है, जबकि अर्धकुंभ हर 6 साल में होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदें चार स्थानों पर गिरी थीं, जिन्हें आज प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक के नाम से जाना जाता है। इसी कारण इन स्थानों पर कुंभ का आयोजन किया जाता है।
महाकुंभ सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों का पर्व नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है। इस दौरान लाखों साधु-संतों, विद्वानों और आम श्रद्धालुओं का संगम होता है, जहां वे ध्यान, साधना और सत्संग के माध्यम से आत्मशुद्धि का मार्ग अपनाते हैं।
राजनीतिक रंग लेता विवाद
महाकुंभ पर ममता बनर्जी की टिप्पणी और बबीता फोगाट की प्रतिक्रिया के बाद यह मुद्दा पूरी तरह राजनीतिक बन चुका है। बीजेपी इसे हिंदू आस्था पर हमला बता रही है, जबकि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता इस बयान का बचाव कर रहे हैं।
टीएमसी नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा, “ममता बनर्जी ने कुंभ मेले में हुई अव्यवस्थाओं और वहां हुई मौतों को लेकर चिंता व्यक्त की थी। बीजेपी इसे सांप्रदायिक रंग देकर सियासी फायदा उठाना चाहती है।”
हालांकि, बीजेपी इसे वोट बैंक की राजनीति से जोड़ते हुए ममता बनर्जी पर तुष्टिकरण का आरोप लगा रही है। बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, “ममता बनर्जी को हिंदू आस्था से इतनी नफरत क्यों है? वे हमेशा हमारे धार्मिक आयोजनों पर सवाल उठाती हैं, जबकि अन्य समुदायों के त्योहारों पर चुप्पी साध लेती हैं।”
संत समाज की प्रतिक्रिया
महाकुंभ को लेकर हुए इस विवाद पर देश के प्रमुख साधु-संतों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा, “महाकुंभ का महत्व हजारों वर्षों से बना हुआ है। इसे लेकर अनर्गल बयानबाजी करना निंदनीय है। जो लोग इसे ‘मृत्युकुंभ’ कह रहे हैं, उन्हें गंगा मैया अवश्य सबक सिखाएंगी।”
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
ममता बनर्जी के बयान और बबीता फोगाट की प्रतिक्रिया के बाद सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई है। कई यूजर्स ने ममता बनर्जी के बयान की आलोचना की और कहा कि यह हिंदू आस्था का अपमान है।
एक यूजर ने लिखा, “महाकुंभ सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व है। इसे ‘मृत्युकुंभ’ कहकर ममता बनर्जी ने हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।”
वहीं, कुछ लोग ममता बनर्जी के समर्थन में भी दिखे। एक यूजर ने कहा, “उन्होंने सिर्फ कुंभ में हुई मौतों पर चिंता व्यक्त की है, इसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।”
क्या होगा असर?
यह विवाद आने वाले चुनावों में भी अहम मुद्दा बन सकता है। खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में बीजेपी इस बयान को लेकर ममता बनर्जी और विपक्षी दलों को घेरने का पूरा प्रयास करेगी। वहीं, पश्चिम बंगाल में टीएमसी इसे बीजेपी की साजिश बताकर अपना बचाव कर सकती है।
महाकुंभ को ‘मृत्युकुंभ’ कहने पर बबीता फोगाट और बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया ने इस मुद्दे को तूल दे दिया है। यह विवाद अब धार्मिक से ज्यादा राजनीतिक होता जा रहा है। एक तरफ बीजेपी इसे हिंदू आस्था पर हमला बता रही है, तो दूसरी तरफ टीएमसी इसे गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगा रही है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला राजनीतिक रूप से कितना असर डालता है और क्या ममता बनर्जी अपने इस बयान पर सफाई देती हैं या नहीं।