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Haryana weather: फरवरी में अत्यधिक गर्मी का असर, किसानों को मौसम में बदलाव की चिंता, फसलों पर पड़ने वाला असर

Haryana weather: फरवरी महीने में अत्यधिक गर्मी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। इस महीने में कई जिलों में सामान्य से अधिक तापमान रिकॉर्ड किया गया है, जिससे फसलों के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण बन गया है। अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर था, वहीं न्यूनतम तापमान भी दहाई अंकों में पहुंच चुका है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अगले 24 घंटे तक मौसम शुष्क रहेगा, हालांकि कुछ स्थानों पर बादल दिखाई दे सकते हैं। मौसम में बदलाव 19 फरवरी को देखने को मिल सकता है, जब पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के कारण सोनीपत, पानीपत, करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला और पंचकुला में हल्की बारिश होने की संभावना है। इस बारिश के बाद दिन के तापमान में थोड़ी गिरावट हो सकती है, लेकिन इसके बाद तापमान फिर से बढ़ने लगेगा।

बढ़ते तापमान का असर: किसानों में चिंता

फरवरी में तापमान के सामान्य से ऊपर होने से किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं, विशेष रूप से गेहूं की फसल के लिए। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस समय का तापमान गेहूं की फसल के लिए सही नहीं है। हालांकि, मौसम में जल्द ही बदलाव की संभावना है, जो मौसम की स्थिति को थोड़ा सुधार सकता है।

डॉ. सतपाल सिंह, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र पानीपत के अनुसार, वर्तमान में तापमान सामान्य से अधिक है, जो गेहूं की फसल के लिए अच्छा नहीं है। हालांकि, मौसम में बदलाव की संभावना है, जो मौसम की स्थिति को सुधार सकता है। यदि दिन के तापमान में गिरावट आती है, तो गेहूं की फसल के पकने की प्रक्रिया में देरी हो सकती है, जिससे यह अधिक समय तक सही स्थिति में रहेगा। यदि रात का तापमान सामान्य या इससे कम रहता है और मार्च तक ऐसा ही रहता है, तो स्थिति नियंत्रण में रहेगी। लेकिन यदि तापमान बढ़ता है, तो इससे फसल में समस्या हो सकती है।

Haryana weather: फरवरी में अत्यधिक गर्मी का असर, किसानों को मौसम में बदलाव की चिंता, फसलों पर पड़ने वाला असर

रोहतक में मौसम में अचानक बदलाव

रोहतक में रविवार को मौसम में अचानक बदलाव देखा गया। सुबह में तो तेज धूप थी, लेकिन दोपहर होते-होते बादल छाने लगे। शाम तक आंशिक बादल बने रहे। इस बदलाव का कारण पश्चिमी विक्षोभ का आंशिक प्रभाव माना जा रहा है। मौसम विभाग के अनुसार, मंगलवार और बुधवार को बारिश की संभावना जताई जा रही है।

इस बदलाव के कारण आगामी दिनों में न्यूनतम तापमान में एक से दो डिग्री सेल्सियस की गिरावट हो सकती है। रविवार को रोहतक का अधिकतम तापमान 25.3 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 8.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था। इसके अलावा, रविवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स 152 था, जो कि औसत से अधिक था।

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हवा और बादल, मौसम में बदलाव की संभावना

रविवार को 9 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलीं। इस स्थिति को देखते हुए मौसम विभाग ने सोमवार को भी हवा और आंशिक बादल होने की संभावना जताई है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि 19 और 20 फरवरी को हल्की बारिश हो सकती है। आमतौर पर, फरवरी में बारिश के बाद ठंड एक बार फिर से लौट आती है, और इसके बाद ही मौसम सही तरीके से साफ होता है।

इस प्रकार के मौसम में किसानों को ध्यान रखना होगा, क्योंकि अचानक तापमान का उतार-चढ़ाव उनकी फसलों पर असर डाल सकता है। हालांकि, बारिश के बाद ठंड लौटने से रात के तापमान में गिरावट हो सकती है, जो गेहूं की फसल के लिए लाभकारी हो सकता है। इस समय गेहूं की फसल को तेज़ गर्मी से बचाने के लिए कुछ विशेष सावधानियों की आवश्यकता है।

मौसम का भविष्य पूर्वानुमान

मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक तापमान में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से कुछ क्षेत्रों में हल्की बारिश की संभावना जताई जा रही है, जिसके बाद दिन के तापमान में मामूली गिरावट हो सकती है। हालांकि, इस परिवर्तन के बाद तापमान में फिर से बढ़ोतरी हो सकती है, जो कि गर्मी की वजह से किसानों के लिए एक चिंता का विषय हो सकता है।

मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर रात का तापमान सामान्य या उससे कम रहता है और मार्च तक यह स्थिति बनी रहती है, तो फसलों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। दूसरी ओर, अगर तापमान में अधिक वृद्धि होती है, तो यह फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है।

किसानों के लिए सुझाव

किसानों को अपने खेतों की देखभाल करते समय मौसम परिवर्तन को ध्यान में रखना होगा। फसलों के लिए यह समय बहुत महत्वपूर्ण है, और अगर मौसम में बदलाव आता है, तो उन्हें जल्दी से जल्दी फसलों को प्रभावित होने से बचाने के उपायों को अपनाना चाहिए।

  1. पानी की व्यवस्था: गर्मी के कारण मिट्टी में नमी का अभाव हो सकता है, इसलिए किसानों को फसलों में उचित सिंचाई करनी चाहिए।
  2. कीटों और बीमारियों का नियंत्रण: अत्यधिक तापमान और आर्द्रता से फसलों में कीटों और बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए किसानों को कीटनाशकों का उपयोग सावधानी से करना चाहिए।
  3. फसल की छंटाई: गेहूं जैसी फसल को प्रौढ़ अवस्था में लाने के लिए समय पर छंटाई करना बहुत आवश्यक है, ताकि फसल का विकास सही तरीके से हो सके।

फरवरी में बढ़ते तापमान के कारण किसानों के बीच चिंता का माहौल है। गेहूं की फसल के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन मौसम में बदलाव से स्थिति में सुधार हो सकता है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश और तापमान में गिरावट की संभावना किसानों के लिए राहत का कारण हो सकती है। हालांकि, तापमान में और बढ़ोतरी से फसलों पर असर पड़ सकता है, इसलिए किसानों को मौसम के बदलाव के अनुसार अपनी फसलों की देखभाल करनी होगी।

Khabar Abtak

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