Haryana Congress में बड़ा बदलाव: उदयभान की जगह मुल्लाना और राव दान सिंह के नाम सामने

Haryana विधानसभा के बजट सत्र से पहले Congress पार्टी में संगठनात्मक बदलाव की संभावना जताई जा रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने इस्तीफे की पेशकश की है, जबकि प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने इसके लिए नैतिक जिम्मेदारी नहीं ली है।
कांग्रेस के उच्च नेतृत्व ने कई राज्यों में संगठनात्मक बदलाव की योजना बनाई है और अब हरियाणा में भी चौधरी उदयभान को बदलने के संकेत मिल रहे हैं। उदयभान भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी सहयोगी माने जाते हैं और वे पिछड़ी जातियों के बीच एक प्रमुख नेता हैं।
नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की चर्चा
हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र 7 मार्च से शुरू होगा। इसके ठीक पहले 2 मार्च को शहरी निकाय चुनाव होंगे, जिसके बाद कांग्रेस पार्टी प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा दल के नेता के पदों पर महत्वपूर्ण निर्णय ले सकती है।
कांग्रेस को इस समय राज्य में पिछड़ी जातियों और दलितों के बीच बढ़ती नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है यदि वे चौधरी उदयभान को अध्यक्ष पद से हटाते हैं। हालांकि, कांग्रेस अगर पिछड़ी जाति या ओबीसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है, तो इस नाराजगी को शांत किया जा सकता है।
वरण चौधरी को मिल सकता है प्रदेश अध्यक्ष बनने का मौका
अगर कांग्रेस पार्टी ओबीसी समुदाय से किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है, तो अम्बाला सांसद वरुण चौधरी का नाम सबसे आगे हो सकता है। वरुण चौधरी को दीपेन्द्र सिंह हुड्डा का करीबी माना जाता है और वे पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता चौधरी फूलचंद मुलाना कई वर्षों तक हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं, और उनकी पत्नी पूजा चौधरी मौजूदा समय में कांग्रेस विधायक हैं।
वरुण चौधरी एक ऊर्जावान और सशक्त नेता हैं, जो कांग्रेस की विचारधारा को आगे बढ़ाने में सक्षम हैं। उनका नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सबसे मजबूत उम्मीदवार के रूप में सामने आ रहा है।
क्या कांग्रेस की नजर राव दान सिंह पर है?
कांग्रेस अगर ओबीसी से किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है, तो महेन्द्रगढ़ के विधायक राव दान सिंह का नाम भी सामने आ सकता है। राव दान सिंह को भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेन्द्र सिंह हुड्डा का करीबी सहयोगी माना जाता है। वे पूर्व में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ काम कर चुके हैं और उनका राजनीतिक अनुभव भी गहरा है।





राव दान सिंह ने भी क़ीरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी की टिकट काटकर लोकसभा चुनाव में भाग लिया था और इसके परिणामस्वरूप दीपेन्द्र सिंह हुड्डा को अहिर वोटों का समर्थन मिला। राव दान सिंह का नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए एक मजबूत विकल्प हो सकता है।
आशोक अरोड़ा और गीता भूकल भी हो सकते हैं प्रदेश अध्यक्ष के उम्मीदवार
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पूर्व मंत्री आशोक अरोड़ा और गीता भूकल के नाम भी विचाराधीन हैं। दोनों ही विधायक हैं और अपनी-अपनी जातियों के बीच मजबूत पकड़ रखते हैं। आशोक अरोड़ा पंजाबी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि गीता भूकल दलित समुदाय से हैं। दोनों को हुड्डा के करीबी सहयोगियों के रूप में देखा जाता है।
कांग्रेस विधायक दल के नेता के लिए हुड्डा का नाम सबसे आगे
कांग्रेस विधायक दल के नेता के पद के लिए भी आशोक अरोड़ा और गीता भूकल के नाम पर चर्चा हो रही है। हालांकि, कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को देखते हुए ऐसा लगता है कि केवल पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही इस पद को संभाल सकते हैं।
कांग्रेस उच्च कमान ने पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस के महासचिव बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। हुड्डा ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि वे हरियाणा से बाहर काम नहीं कर सकते, जिससे यह संभावना और भी कम हो गई है कि हुड्डा को महासचिव के रूप में नियुक्त किया जाए। इस स्थिति में यह संभावना बहुत अधिक है कि हुड्डा फिर से कांग्रेस विधायक दल के नेता बने और विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद संभालें।
बीजेपी का कांग्रेस में विधायकों को तोड़ने की कोशिश
हरियाणा कांग्रेस के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। हाल ही में दो कांग्रेस विधायक गोविंद सेठिया और शैलेली चौधरी ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ मंच साझा किया। इसके अलावा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने मुख्यमंत्री के कार्यों की सराहना की थी, जो कांग्रेस के भीतर असंतोष का संकेत है।
पूर्व विधायक बिशनलाल सैनी 15 फरवरी को कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं, जबकि तिगांव विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक लालित नागर ने भी कांग्रेस से अपना रिश्ता खत्म कर लिया है।
इसके अलावा, अजय गौड़, जो पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के राजनीतिक सचिव थे, ने हाल ही में लालित नागर की मुलाकात मनोहर लाल से करवाई। इस प्रकार, बीजेपी का कांग्रेस में विधायकों को तोड़ने का प्रयास अब किसी भी समय नई स्थिति उत्पन्न कर सकता है।
हरियाणा कांग्रेस में हो रहे इस उथल-पुथल के बीच कांग्रेस उच्च कमान को जल्दी ही कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे। प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता के पद पर बदलाव, ओबीसी और पिछड़ी जातियों के नेताओं को प्रमुखता देने के चलते पार्टी की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं। कांग्रेस को अपने संगठनात्मक बदलावों के माध्यम से न केवल पार्टी को फिर से संगठित करना है, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों में मजबूती से मुकाबला भी करना है।