NCP किसकी, अजित या शरद पवार, इसे लेकर दोनों गुटों के ऑफिस में कार्यकर्ताओं का हुजूम देखा जा रहा है। अपने-अपने समर्थक विधायकों, सांसदों और कार्यकर्ताओं से एफिडेविट भराने के लिए काउंटर बनाए गए हैं।
अजित गुट की बैठक कुछ देर में बांद्रा के भुजबल नॉलेज सिटी के MET सेंटर में शुरू होगी। यहां कार्यकर्ताओं का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। इन्हें किसी तरह की असुविधा न हो इसके लिए चाय और नाश्ते की व्यवस्था की गई है। इनके समर्थन में विधायकों की संख्या कितनी है, यह अभी तक साफ नहीं हो पाई है, लेकिन भारी संख्या में समर्थक मौजूद हैं। अजित पवार, छगन भुजबल और प्रह्लाद पटेल यहां पहुंच चुके हैं।
इसी तरह का माहौल शरद पवार गुट के नरीमन पॉइंट स्थित यशवंतराव चव्हाण सेंटर का है। यहां भी कार्यकर्ताओं की भीड़ देखी जा रही है। सुबह करीब 11 बजे से सुप्रिया सुले, अनिल देशमुख, जितेंद्र आव्हाड समेत कई नेता यहां मौजूद हैं और कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं।
कुल 53 विधायकों में से जिस गुट में जितने ज्यादा विधायक, वही असली NCP होने का संवैधानिक दावा कर सकेगा। इस बीच, अजित गुट ने अपने साथ 42 विधायकों के समर्थन की बात कही है।
NCP के विवाद से जुड़े अपडेट्स
• शरद पवार गुट के लोगों ने उनके घर सिल्वर ओक के बाहर पोस्टर लगाए हैं, जिनमें कहा गया है कि 83 साल का एक योद्धा लड़ाई लड़ने के लिए अकेले जा रहा है।
• अजित गुट की बैठक में एनसीपी नेताओं और समर्थकों का जुटना शुरू हो गया है। समर्थन देने पहुंच रहे विधायकों से हलफनामे में हस्ताक्षर लिए जा रहे हैं।
• छगन भुजबल ने कहा, ‘फैसले एक दिन में नहीं लिए जाते। हमने पार्टी के लिए जो अच्छा है, वह किया है. हमने एनसीपी को सत्ता में लाकर शरद पवार को गुरुदक्षिणा दी है। उनके भतीजे डिप्टी सीएम बने हैं। हमने यह सब योजना के तहत किया है. अगर अजित 60 सालों से राजनीति में हैं, तो हम भी 56 साल से राजनीति कर रहे हैं। हम इस लड़ाई को चुनाव आयोग में लड़ेंगे।’
• शिंदे गुट के नेता संजय शिरसाट ने कहा कि हमारे कुछ साथी निराश हैं। हम पहले भी एनसीपी के खिलाफ थे। हम उनके पास नहीं गए, वे हमारे पास आए हैं। उन्हें हमारी बात माननी होगी।
अब आगे क्या: पूर्व CM पृथ्वीराज चव्हाण के मुताबिक NCP के 53 में से 37 से ज्यादा विधायक अजित के साथ जाते हैं तो दल-बदल कानून से बच जाएंगे। 36 से कम रहे तो निलंबन तय है। CM शिंदे के खिलाफ उद्धव गुट फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। मांग है कि शिंदे के विधायकों की लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर जल्द फैसला हो।
दल-बदल कानून की दो शर्तें हैं। जिस दल को नेता छोड़ रहा है, उसका दूसरे दल में विलय हो जाए। दो तिहाई विधायक सहमत हों। दोनों स्थितियां अजित के पक्ष में हैं। अजित पवार का दावा है कि उन्हें राज्य विधानसभा में NCP के कुल 53 विधायकों में से 40 से अधिक का समर्थन प्राप्त है। दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों से बचने के लिए अजित के पास 36 से अधिक विधायक होने चाहिए।
उधर, महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा, ‘अभी किसी भी पक्ष ने दावा नहीं किया है कि पार्टी का विभाजन हुआ है। अजित पवार और शरद पवार गुटों के बीच अभी लंबी लड़ाई चलेगी। संभावना है कि आगामी मानसून सत्र में इस बारे में यह स्थिति साफ हो सकेगी कि विधानसभा में पार्टी का मुख्य सचेतक कौन होगा।’