हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार को सब्जी उत्पादक किसानों की तरफ ध्यान आकर्षित करने को कहा है। उन्होंने कहा कि टमाटर जब तक किसानों के खेतों में था, तब वह 1 से लेकर 5 रुपए प्रति किलो के रेट पर पिट रहा था। किसानों की लागत तक पूरी नहीं हो पाई थी, लेकिन जैसे ही टमाटर किसान के खेत से व्यापारियों के गोदाम में पहुंचा तो 100 रुपए प्रति किलो से ज्यादा रेट पर बिक रहा है।
स्पष्ट है कि सरकार न किसानों के अधिकारों का संरक्षण कर पा रही है और न ही आम जनता को राहत दे पा रही है।
सरकार ने बंद कर दिया पोर्टल
पूर्व CM और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि BJP-JJP सरकार किसानों को मुआवजा, MSP और समय पर खाद देने के मामले में पूरी तरह विफल साबित हुई है। लंबे आंदोलन के बाद सरकार ने सूरजमुखी के किसानों की फसल MSP पर खरीदने का वादा किया था, लेकिन खुद के वादे से मुकरते हुए सरकार ने पोर्टल ही बंद कर दिया। अब किसान अपनी फसल बेचने के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
इसी तरह 1962 रुपए NSP वाली मक्का एक हजार से भी कम रेट पर पिट रही है। इससे पहले सरसों, धान और गेहूं के किसानों को भी घाटे में अपनी फसल बेचने पड़ी थी।
किसानों को आंदोलन के लिए मजबूर कर रही सरकार
मुआवजे के मुद्दे पर बोलते हुए हुड्डा ने कहा कि उन्हें जो डर था आखिर वहीं हुआ। बार-बार मांग किए जाने के बावजूद बीजेपी-जेजेपी ने किसानों को मुआवजा नहीं दिया। एक बार फिर जानबूझकर सरकार किसानों को आंदोलन के लिए मजबूर कर रही है। बेमौसम बारिश से हुए नुकसान की एवज में बमुश्किल 20% किसानों को ही नाममात्र मुआवजा दिया है। 80% किसानों को मुआवजा देने से सरकार ने इनकार कर दिया।
इसके लिए सरकार ने मुआवजे के लिए जानबूझकर ऐसे मानक बनाए और शर्तें थोपी, जिसके चलते 80% किसान मुआवजे की योग्यता के दायरे से बाहर निकल गए।
किसान लगा रहे पोर्टल हटाओ का नारा
पूर्व मुख्यमंत्री के मुताबिक अबकी बार रबी सीजन के दौरान सर्दी के प्रकोप एवं ओलावृष्टि से खराब हुई फसलों का मुआवजा लेने के लिए ऑनलाइन पोर्टल ‘क्षति पूर्ति’ पर शिकायत करने वाले किसानों को मुआवजे से वंचित रखा गया है। जबकि, पूर्व की सभी सरकारें पटवारी द्वारा तैयार की गई एपीआर स्पेशल गिरदावरी की रिपोर्ट के आधार पर किसानों को मुआवजा देती आई हैं।
चरखी दादरी समेत विभिन्न जिलों के किसान उसी पद्धति से मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। गूंगी बहरी सरकार के सामने ‘पोर्टल हटाओ, खेती बचाओ’ का नारा लगा रहे हैं।
सरकार ने लगा दी 5 एकड़ की शर्त
किसानों ने बताया है कि सरकार ने 5 एकड़ से ऊपर खेती करने वालों को समृद्ध किसान मानकर फसल खराबे का मुआवजा नहीं देने की एक नई शर्त लागू की है। इस शर्त के कारण भूमिहीन, ठेके और माल बटाई पर खेती करने वाले किसानों को भी मुआवजा नहीं मिल पा रहा।
इतना ही नहीं, जिन किसानों ने खराबे से बची हुई अपनी गेहूं व सरसों इत्यादि की फसल को बेच दिया, उन किसानों को भी सरकार ने मुआवजा नहीं दिया। छोटी जोत यानी 2 एकड़ से कम पर खेती करने वाले छोटे किसान ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकरण ही नहीं करवाते, इसलिए वो भी मुआवजे से वंचित रह गए।
सभी फसलों की MSP पर हो खरीद
नेता प्रतिपक्ष ने BJP-JJP सरकार को नसीहत दी है कि वो किसानों के साथ ‘पोर्टल-पोर्टल’ खेलना बंद करे और सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित करे। इसी तरह बार-बार मौसम की मार झेल रहे किसानों को समय पर उचित मुआवजा दे। मौजूदा सरकार अगर ऐसा नहीं करती है तो प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर किसानों को एमएसपी की गारंटी के साथ उचित मुआवजे की व्यवस्था की जाएगी।
‘नो प्रॉफिट-नो लॉस’ के सिद्धांत पर काम करने वाली सरकारी कंपनियों द्वारा किसानों को बीमा की सुविधा दी जाएगी।