12 तुगलक लेन। वो बंगला जहां राहुल गांधी 19 साल रहे। मोदी सरनेम मामले में 2 साल की सजा मिलने के बाद 22 अप्रैल 2023 को उन्हें ये बंगला खाली करना पड़ा था।
खाली करने के ठीक 104 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी है। यानी अब उनकी सांसदी भी बहाल हो जाएगी।
20 जुलाई तक की अपडेट के मुताबिक 12 तुगलक लेन वाला बंगला खाली है। ऐसे में सवाल उठ रहा कि क्या राहुल गांधी को ये दोबारा आवंटित किया जाएगा?
राहुल गांधी 2004 में पहली बार अमेठी से सांसद बने। तब तक वो अपनी मां के साथ 10 जनपथ स्थित बंगले में रहते थे। सांसद बनने पर 2005 में उन्हें पहली बार 12 तुगलक लेन वाला बंगला एलॉट किया गया था।
ये दिल्ली के लुटियंस जोन में स्थित टाइप-8 बंगला है, जो हाइएस्ट कैटेगरी है। इस आलीशान बंगले में 5 बेडरूम, 1 हॉल, 1 डायनिंग रूम, 1 स्टडी रूम और सर्वेंट क्वार्टर हैं। राहुल गांधी इस बंगले में एक प्राइवेट गृह प्रवेश के बाद शिफ्ट हुए थे। इस सेरेमनी में सोनिया, प्रियंका, रॉबर्ड समेत उनके करीबी लोग ही शामिल थे। इसकी कोई सार्वजनिक तस्वीर भी मौजूद नहीं है।
राहुल गांधी ने इस घर में राहुल गांधी ने 19 साल बिताए। मोदी सरनेम मामले में दोषी पाए जाने के 4 दिन बाद लोकसभा हाउसिंग कमेटी ने 1 महीने के अंदर राहुल गांधी को ये बंगला खाली करने को कहा था। राहुल ने 22 अप्रैल 2023 को ये बंगला खाली कर दिया।
राहुल गांधी ने इसी साल 26 फरवरी को कांग्रेस के 85वें अधिवेशन में बताया था कि मेरे पास कोई घर नहीं है। राहुल 12, तुगलक लेन वाले सरकारी बंगले को खाली करने के बाद 10 जनपथ स्थित अपनी मां सोनिया गांधी के आवास में शिफ्ट हो गए थे।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बंगले को लेकर उठे जरूरी सवाल और जवाब…
1. क्या राहुल गांधी को दोबारा मिल सकता है 12 तुगलक लेन वाला बंगला?
12 तुगलक लेन वाला बंगला टाइप-8 कैटेगरी में आता है। इस कैटेगरी के बंगले आमतौर पर कैबिनेट मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश इत्यादि को दिए जाते हैं। राहुल 4 बार से सांसद जरूर हैं, लेकिन फिलहाल उनके पास कोई बड़ा पद नहीं है। ऐसे में ये पूरी तरह लोकसभा हाउसिंग कमेटी पर निर्भर करता है कि वो ये बंगला उन्हें अलॉट करता है या नहीं।
क्या राहुल गांधी को वही बंगला मिलना चाहिए, इस सवाल पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बंगला मिलना उनका अधिकार है, चाहे जो मिले। हालांकि, कांग्रेस के सीनियर नेताओं का कहना है कि अगर राहुल गांधी को पुराना बंगला आवंटित भी किया जाता है, तो वो नहीं लेंगे। वजह पूछने पर बताते हैं कि हो सकता है कि इस जगह के साथ छेड़छाड़ की गई हो। इससे राहुल गांधी की प्राइवेसी और सिक्योरिटी को खतरा हो सकता है। राहुल गांधी जब 2004 में इस बंगले में शिफ्ट हुए थे, तो कांग्रेस की सरकार थी। वहां किसी संदिग्ध को जाने की अनुमति नहीं थी।
2. वो नियम-कानून क्या हैं, जिनके तहत नेताओं को दिल्ली में बंगला अलॉट किया जाता है?
लोकसभा सदस्यों को दिल्ली में बंगले का आवंटन ‘डायरेक्टरेट ऑफ स्टेट्स’ करता है। यह मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स के तहत आता है। ‘डायरेक्टरेट ऑफ स्टेट्स’ के अंदर भी यह काम जनरल पूल रेसिडेंशियल अकॉमोडेशन यानी GPRA एक्ट के तहत किया जाता है। इसमें घरों के आवंटन के लिए केंद्र सरकार के जनरल पूल रेसिडेंशियल अकॉमोडेशन रूल्स 2017 का पालन किया जाता है।
GPRA में केंद्र सरकार का कोई भी कर्मचारी घर के लिए आवेदन कर सकता है, लेकिन अलॉटमेंट के लिए पे स्केल, ऑफिस और पोजिशन को देखा जाता है और उसी के अनुसार आवास दिए जाते हैं। इन आवासों के लिए सरकार की तरफ से एक मासिक किराया भी तय है। इसे सरकार मार्केट रेट के हिसाब से ही रखने की कोशिश करती है। इन घरों के रख-रखाव के लिए सरकार की तरफ से भत्ता भी दिया जाता है।
3. जिन सांसदों को आवास नहीं मिलता, वो कहां रहते हैं?
जिन सांसदों को सरकार बंगला नहीं दे पाती वो सांसद दिल्ली के किसी भी होटल में सरकार के खर्चे पर रह सकते हैं। सांसद जितने दिन भी अपने काम से दिल्ली में ठहरता है उसका खर्च केंद्र सरकार उठाती है।
सरकार सांसदों के लिए होटल में अस्थायी आवास कैटेगरी के तहत भी रहने की व्यवस्था करती है। होटल में सिंगल सूइट दिया जाता है। यह तब तक के लिए होता है जब तक सरकार उस सांसद के लिए नियमित घर की व्यवस्था नहीं कर देती है।
4. बंगला खाली करवाना हो तो उसके लिए नियम क्या हैं?
राहुल गांधी जैसे या अन्य इसी तरह के मामलों में सरकारी बंगला खाली कराने का भी एक कानून है। इसके लिए पब्लिक प्रिमाइसेस (एविक्शन ऑफ अनऑथोराइज्ड ऑक्यूपेंट्स एक्ट) का इस्तेमाल किया जाता है। कानून के नियमों के मुताबिक…
• नोटिस मिलने के 30 दिन के अंदर बंगला खाली करने को कहा जाता है।
• बंगला खाली नहीं करने वाले को 3 दिन में इस नोटिस का जवाब देना होता है।
• जवाब में यह बताना होता है कि उन्हें प्रॉपर्टी को खाली करने का आदेश क्यों ना दिया जाए।
दोनों पक्षों में कोई विवाद होने पर शो-कॉज नोटिस भी जारी किया जाता है। फिर डायरेक्टोरेट ऑफ स्टेट्स मामले की सुनवाई करता है। इतने के बावजूद भी कोई जवाब नहीं मिलता है तो बंगला खाली कराने के लिए राज्य बल प्रयोग कर सकता है। 2019 में इस कानून में एक संशोधन के मुताबिक बंगला खाली नहीं करने पर अब 10 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।