बीपीएस महिला विश्वविद्यालय मे “सफलता का व्यक्तिगत ब्रांड—आत्म-सम्मान, आत्म-विश्वास और आत्म-सशक्तिकरण” विषय पर सेमिनार का आयोजन
 
						

अपने सम्बोधन में कुलपति प्रो सुदेश ने कहा कि आज हर कोई दौड़ में है — कोई पद पाने की, कोई प्रसिद्धि की तो कोई पहचान की।लेकिन क्या कभी हमने सोचा है कि इस भीड़ में “हमारी अपनी पहचान” क्या है, क्या चीज हमें भीड़ से अलग बनाती है। कुलपति ने कहा कि किसी व्यक्ति की सबसे बड़ी पहचान, उसका नाम या उसका पद नहीं होता। बल्कि उसका व्यक्तित्व, उसकी सोच और उसके मूल्य ही उसके व्यक्तित्व ब्रांड की पहचान होते हैं। कुलपति ने कहा कि निरंतर संवाद से शोषण की कमी आएगी।
छात्राओं को सम्बोधित करते हुए श्री अनिल मलिक ने कहा कि आज के आयोजन का विषय ऐसा है जो न केवल सफलता से जुड़ा है, बल्कि हमारे पूरे व्यक्तित्व और जीवन दर्शन का मूल आधार है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उदहारण महिला विवि की कुलपति प्रो सुदेश है। जो एक ग्रामीण परिवेश से निकल कर आज उत्तर भारत की एकलौती महिला विश्वविद्यालय के कुलपति पद को सुशोभित कर रहीं है। मलिक ने आगे कहा कि निष्ठा और निस्वार्थ भाव से काम करने के लिए किसी सहारे की जरूरत नहीं होती। महिलाएं बायोलॉजिकल पुरुषों से सशक्त हैं। उन्होंने छात्राओं को कहा कि लोगों के सवालों से निराश नहीं होना। अपने द्वारा किए गए कार्यों का मूल्यांकन जरूर करें। अपनी ही गलतियों से सीखने की आदत हमे सशक्त बनाती है। शिक्षा और जागरूकता आपको सशक्त बनाती है। सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। मलिक ने कहा कि जानकारी ही जागरूकता नहीं है, अपने कर्तव्यों और सही गलत के प्रति जागरूक होना ही असली जागरूकता है। उन्होंने कहा कि हमें लैंगिक रूढ़िवादिता और सामाजिक रूढ़िवादिता महिला सशक्तिकरण की सबसे बड़ी बाधा है। अनिल मलिक ने छात्राओं से आह्वान किया कि उच्च शिक्षा के साथ-साथ अपनी गुणवत्ता बनाए रखे।
इस अवसर पर चाइल्ड वेलफेयर विभाग चंडीगढ़ से पहुंचे मनोवैज्ञानिक कॉउंसलर श्री नीरज कौशिक ने भी छात्राओं को सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों से बचने की सलाह दी।
मंच संचालन डॉ गोल्डी गुप्ता ने किया।
 
				 
					 
					 
							
													 
							
													 
							
													 
							
													 
							
													


