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दृष्टिबाधितों के लिए नवाचार का मार्ग खोलेगा शोध

औषधि मानक संगठन, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने मांगे सुझाव 

गुरुग्राम, 23 सितंबर । भारत दुनिया की सबसे बड़ी दृष्टिबाधित आबादी वाले देशों में से एक है, जहां लाखों लोग रोजमर्रा की ऐसी समस्याओं से जूझते हैं जिन पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया। हालांकि सहायक तकनीक और नीतियों में प्रगति हो रही है, फिर भी एक कठोर वास्तविकता बनी हुई है।

दृष्टिबाधित रोगियों में चिकित्सक के निर्देशों का पालन न कर पाने के कारण दवा संबंधी त्रुटियों का खतरा अधिक होता है। उन्हें दवाओं की पहचान करने में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जब वे चिकित्सक के निर्देशों को पढ़ने और निर्देशानुसार दवाएं लेने के लिए दूसरों पर निर्भर होते हैं, तो उनकी निजता का हनन होता है। गुरुग्राम स्थित एसजीटी विश्वविद्यालय के एक शोधार्थी डा.धीरज कुमार शर्मा ने 2019 में अपनी पीएचडी की उपाधि के लिए एसजीटी कॉलेज ऑफ फार्मेसी, एसजीटी विश्वविद्यालय, गुरुग्राम में “भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दृष्टिबाधित रोगियों में दवा उपयोग के पैटर्न का अध्ययन” विषय पर शोध परियोजना पर सर्वेक्षण शुरू किया।

यह साक्षात्कार-आधारित अवलोकनात्मक अध्ययन दिल्ली-एनसीआर में 313 दृष्टिबाधित वयस्कों के बीच किया गया। प्रतिभागियों से स्कूलों, गैर-सरकारी संगठनों, व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों और सार्वजनिक पार्कों में संपर्क किया गया। दवा प्रबंधन चुनौतियों, उनसे निपटने के तरीकों और सहायक हस्तक्षेपों के लिए प्राथमिकताओं पर आंकड़े एकत्र किए गए।

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ये निष्कर्ष दृष्टिबाधित व्यक्तियों के सामने आने वाली दवा संबंधी चुनौतियों के समाधान हेतु समावेशी स्वास्थ्य सेवा पद्धतियों और सुलभ तकनीकों की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। ब्रेल लेबल, ऑडियो क्यूआर कोड और ध्वनि-निर्देशित प्रणालियों जैसी नवाचार स्वतंत्रता को बढ़ावा दे सकते हैं और अनुपालन में सुधार ला सकते हैं। डा.धीरज कुमार शर्मा ने बताया कि सुझावों को व्यवहार्यता की समीक्षा के बाद विनियमों में शामिल करने के लिए नियामक प्राधिकरणों को भेजा जाना चाहिए।

अपने शोध कार्य और स्कोपस पत्रिका में प्रकाशित एक लेख का उल्लेख करते हुए डॉ. धीरज कुमार शर्मा ने माननीय के.सी. त्यागी, जे.पी. नड्डा , प्रतापराव गणपतराव जाधव के समक्ष अपना शोध प्रस्तुत किया। भारतीय औषधि महानियंत्रक के समक्ष भी इसे प्रस्तुत किया गया। वहां एक उपसमिति गठित की गई और औषधि परामर्शदात्री समिति में भी इस मामले पर चर्चा हुई।

एक नवीनतम घटनाक्रम में, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (प्रवर्तन प्रभाग), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने नोटिस संख्या डीसी-डीटी-14011(11)8/2024-ईऑफिस के माध्यम से “नेत्रहीन या दृष्टिबाधित लोगों द्वारा दवाइयों, गोलियों/कैप्सूलों की पट्टियों को पढ़ने में आने वाली समस्या के संबंध में प्रस्ताव पर विचार हेतु टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।

यह संशोधन समान अवसर, सामाजिक सुरक्षा, सुलभ स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं और सुरक्षा के अधिकारों को सुनिश्चित करेगा। इसमें सहायक तकनीकों का उपयोग भी शामिल है, और इन अधिकारों को बनाए रखने के उपायों को लागू करने की ज़िम्मेदारी सरकार की होगी।

एसजीटी विश्वविद्यालय के एसजीटी कॉलेज ऑफ फार्मेसी के प्रोफेसर और प्रिंसिपल प्रोफेसर (डॉ.) विजय भल्ला के कुशल मार्गदर्शन में डॉ. धीरज कुमार शर्मा का शोध कार्य दृष्टिबाधित लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा के साथ दवाओं के सेवन में नवाचार का मार्ग प्रशस्त करेगा

Khabar Abtak

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