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एसजीटीयू के 194 प्रोजेक्ट में दिखा ज्ञान, रिसर्च व उत्साह का संगम

'नॉलेज व स्किल का गैप दूर होना चाहिए'

गुरुग्राम, (अनिल जिंदल) 26 नवंबर । 194 प्रोजेक्ट, चार थीम, 13 यूनिवर्सिटी व बड़ी संख्या में स्कूली छात्रों की भागीदारी का संगम दिखाई दिया आज देश के प्रमुख शिक्षण संस्थान एसजीटी यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम में।

हेल्थकेयर, फ्यूचर टेक एंड इनोवेशन, नेचुरल रिसोर्स एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट एवं सोसाइटल डेवलपमेंट की थीम व विज्ञान, हेल्थ, कृषि, कला क्षेत्र में छात्रों के प्रभावशाली प्रोजेक्टों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। हर पैवेलियन पर उमड़ी भीड़ पैमाना थी किसी बड़ी विशेषता की।

सफलता के तीन बिंदु हैं ‘डिसिप्लिन, डिटर्मिनेशन एवं ड्रीमिंग बिग’।

इस अवसर पर

देश की सबसे बड़ी फार्मास्यूटिकल्स कंपनियों में शुमार ओरोबिंदो फार्मा लिमिटेड के डायरेक्टर मदन मोहन रेड्डी ने एसजीटी यूनिवर्सिटी में ‘सिनर्जी 2025’ के आठवें संस्करण के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में कहा कि

सफलता के तीन बिंदु हैं ‘डिसिप्लिन, डिटर्मिनेशन एवं ड्रीमिंग बिग’।

उन्होंने बताया कि व्यावसायिक, सामाजिक तौर पर पांच वैल्यूज का ही महत्व है। ये वैल्यूज हैं- इंटिग्रिटी, अकाउंटेबिलिटी,टीम लीडरशिप, ह्यूमैनिटी और इनोवेशन एंड एंटरप्रिन्योरशिप। छात्रों में ये गुण कालेज टाइम से ही डेवलप किए जाने चाहिए। हाल का जो दौर, जो कल्चर चल रहा है, उसे बदल कर फ्यूचरिस्टिक एवं पाज़िटिव रूप देना होगा। सफलता हौसला बढ़ाती है तो विफलता बहुत कुछ सिखाती है। उन्होंने कहा कि आज कंपीटीशन बहुत कठिन है, ऐसे में स्टूडेंट की मेंटल वेलबीइंग बहुत जरूरी है। मदन मोहन रेड्डी ने अपनी कंपनी की विकास यात्रा पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।

इस अवसर पर

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‘सिनर्जी2025’ कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि लाइफ साइंस सेक्टर स्किल डेवलपमेंट काउंसिल के चीफ एग्जिक्यूटिव आफिसर गौतम भट्टाचार्य ने एसजीटी विश्वविद्यालय की कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए इसे फ्यूचर ओरिएंटेड यूनिवर्सिटी बताया। उन्होंने कहा कि कंपनियां स्किल्ड वर्कर्स तलाश करती हैं और शिक्षण संस्थानों की यह शिकायत रहती है कि उनके यहां अच्छी कंपनियां नहीं आतीं। संगठनात्मक एबिलिटी आज एक बड़ी चुनौती है। नॉलेज व स्किल का गैप दूर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह वही स्थिति है कि छात्र ने तैरने के बारे में पढ़ा तो खूब है पर उसे तैरना नहीं आता। इस विडंबना को दूर करना होगा। उन्होंने कहा कि इनोवेशन के लिए उनकी संबंधित काउंसिल 52 कार्यक्रम आयोजित कवि चुकी है। उन्होंने एसजीटी के साथ ऐसे ही कार्यक्रम आयोजित करने का प्रस्ताव रखा।

विशिष्ट अतिथि सिस्टोपिक लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर पीके दत्ता ने इस अवसर पर एसजीटीयू की मेडिकल क्षेत्र की उपलब्धियों व कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी मनमोहन सिंह चावला से अगर वह पहले मिले होते तो आज उनके बिजनेस पार्टनर होते। उन्होंने कहा कि गायनाकोलोजी एसजीटी यूनिवर्सिटी में श्रेष्ठ तरीके से होती है। उन्होंने कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर)

का विशेष तौर पर उल्लेख किया और बताया कि उनकी कंपनी हर साल पांच करोड़ रुपए वृक्षारोपण पर खर्च करती है। यही उनकी सीएसआर है। उन्होंने इस संबंध में एक महिला का जिक्र भी किया जिसने अपने खर्च पर दस लाख पौधे लगाए और किसी से एक पैसे की भी मदद नहीं ली। अधिकांश पौधे राजस्थान में भारत पाकिस्तान सीमा पर लगाए हैं।

एसजीटी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. (डॉ.) हेमंत वर्मा ने अपने स्वागत भाषण में छात्रों की ऊर्जा, प्रतिभा का उल्लेख करते हुए चीफ गेस्ट एवं विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया। एसजीटी यूनिवर्सिटी के प्रो वाइस चांसलर प्रो(डा.) अतुल नासा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस अवसर पर एसजीटी यूनिवर्सिटी के मैनेजिंग ट्रस्टी मनमोहन सिंह चावला, चेयरपर्सन श्रीमती मधु प्रीत कौर,गवर्निंग बॉडी के सदस्य अमृत चावला भी उपस्थित थे।

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