बाल विवाह अब स्वतः अमान्य, यह सिर्फ कानून नहीं समाज सुधार की दिशा में बड़ा कदम – संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता
हरियाणा सरकार के बाल विवाह अधिनियम में हुए संशोधन पर की गई विस्तार में चर्चा

सोनीपत, 05 अगस्त। हर बच्चा पढ़ने, खेलने और सपने देखने के लिए जन्म लेता है, बाल विवाह के लिए नही। मंगलवार को महिला थाना सोनीपत में पुलिस आयुक्त ममता सिंह के निर्देशन में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजित की गई, जिसमें बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 (पीसीएमए) की धाराओं, सजाओं तथा हरियाणा सरकार द्वारा हाल ही में किए गए संशोधनों पर विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक को संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी सुश्री रजनी गुप्ता ने संबोधित करते हुए बताया कि अधिनियम की धारा 9, 10 व 11 के तहत यदि 21 वर्ष से कम आयु का लड़का विवाह करता है, तो उसे दो वर्ष की सजा, एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों हो सकते हैं, और विवाह में सहयोग करने वाले चाहे वे पुरोहित हों, पंचायत सदस्य या माता-पिता सभी को कानूनी दंड का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने बताया कि विवाह योग्य आयु लड़कियों के लिए 18 वर्ष व लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित है, और जिले में पीएचसी/सीएचसी से लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें नाबालिग लड़कियाँ गर्भवती पाई जा रही हैं, जिन पर पीएमए और पोस्को कानून के अंतर्गत कड़ी कार्रवाई की जा रही है। विशेष रूप से उन्होंने हरियाणा सरकार के बाल विवाह अधिनियम में हुए संशोधन को महत्वपूर्ण बताया, जिसके तहत अब हर बाल विवाह स्वतः अमान्य माना जाएगा अर्थात ऐसे विवाह को अब कोर्ट में जाकर रद्द कराने की आवश्यकता नहीं होगी। यह बदलाव बाल विवाह को जड़ से समाप्त करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
इस बैठक में एसीपी अमित ढांढकड़, महिला थाना सोनीपत की थाना प्रभारी कविता, गोहाना महिला थाना की प्रभारी सरोज बाला, सभी संबंधित पुलिस स्टेशनों के चाइल्ड वेलफेयर अधिकारी, महिला थाना स्टाफ, तथा सीएमपीओ कार्यालय से राजेश, सिपाही स्वीटी एवं ईएचसी राजमल उपस्थित रहे और सभी ने इस सामाजिक बुराई के विरुद्ध एकजुट होकर सामूहिक प्रयास की प्रतिबद्धता जताई।