CEC Gyanesh Kumar: ज्ञानेश कुमार बने नए मुख्य चुनाव आयुक्त, राजीव कुमार की जगह संभाली कमान
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CEC Gyanesh Kumar: नए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने आज, बुधवार (19 फरवरी 2025) को अपना कार्यभार संभाल लिया। उन्होंने राजीव कुमार की जगह यह पद लिया है। ज्ञानेश कुमार अब अगले चार सालों तक इस पद पर कार्यरत रहेंगे। उनके सामने कई बड़ी चुनौतियाँ हैं, जिनमें से प्रमुख चुनौती विपक्ष का विश्वास जीतना है। साथ ही, चुनाव आयुक्त विवेक जोशी ने भी अपना पद ग्रहण किया।
ज्ञानेश कुमार का पहला बयान
अपने पद का कार्यभार संभालने के बाद, ज्ञानेश कुमार ने सबसे पहले यह कहा कि राष्ट्र निर्माण की दिशा में पहला कदम मतदान है। इसलिए, भारत के प्रत्येक नागरिक को, जो 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका है, एक मतदाता बनना चाहिए और हमेशा मतदान में भाग लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संविधान, चुनावी कानून, नियमों और दिशानिर्देशों के अनुसार, भारत चुनाव आयोग हमेशा मतदाताओं के साथ है, था और रहेगा।
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में निर्णय लिया गया
सोमवार (17 फरवरी, 2025) को देर रात केंद्रीय सरकार ने ज्ञानेश कुमार को नए मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में चयन समिति की बैठक के कुछ घंटों बाद लिया गया। इस बैठक में सूखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया। ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति 2023 के कानून के तहत की गई है। इस कानून के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी अध्यक्ष के रूप में, प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक कैबिनेट मंत्री – अमित शाह और लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में नियुक्तियों को लेकर सुनवाई
यह नियुक्तियाँ ऐसे समय में की गई हैं, जब सुप्रीम कोर्ट 19 फरवरी को इस मुद्दे पर सुनवाई करेगा कि क्या 2023 के कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्तियाँ संवैधानिक रूप से सही हैं। इस कानून के तहत की गई नियुक्तियों को चुनौती दी गई है और इस पर सर्वोच्च न्यायालय में प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई होने वाली है।
बिहार, पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु में चुनाव की तैयारी
ज्ञानेश कुमार के कार्यभार संभालने के बाद उन्हें कई महत्वपूर्ण चुनावों की जिम्मेदारी मिलेगी। इस साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव और अगले साल पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु में होने वाले चुनावों की जिम्मेदारी भी उनके ऊपर होगी। इन चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी रूप से सम्पन्न कराना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी। चुनावों के दौरान हर प्रकार के दबाव, विवाद और चुनौती से निपटना होगा।
नए चुनाव आयुक्त के सामने चुनौतीपूर्ण कार्य
ज्ञानेश कुमार के लिए सबसे बड़ी चुनौती विपक्ष का विश्वास जीतना होगी। चुनाव आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर हमेशा सवाल उठाए जाते रहे हैं, खासकर चुनावी नतीजों को लेकर। विपक्षी दलों का आरोप है कि चुनाव आयोग का कामकाज कभी-कभी सरकार के प्रभाव में आ जाता है। ऐसे में, ज्ञानेश कुमार के लिए यह सुनिश्चित करना बेहद महत्वपूर्ण होगा कि चुनाव आयोग निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम करे। उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए समान अवसर सुनिश्चित किए जाएं।
चुनाव आयोग का भविष्य
ज्ञानेश कुमार के पद ग्रहण के साथ, चुनाव आयोग के कार्यों में और सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। वे चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी, सुलभ और कुशल बनाने के लिए कदम उठा सकते हैं। इसके अलावा, उन्हें डिजिटल मतदान प्रक्रिया और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के प्रति बढ़ते भरोसे को बनाए रखना भी एक चुनौती होगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन की प्रक्रिया
मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया काफी संवेदनशील और महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लोकतंत्र की नींव को मजबूती प्रदान करती है। चुनाव आयोग की भूमिका चुनावी प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने में अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और यह लोकतांत्रिक ढांचे का अहम हिस्सा है। 2023 के कानून के अनुसार, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और विपक्ष के नेता की सहमति आवश्यक होती है, जो यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव आयोग पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष हो।
ज्ञानेश कुमार की पिछली भूमिका और अनुभव
ज्ञानेश कुमार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से अपनी सेवा शुरू की थी और उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। उनकी प्रशासनिक क्षमता और नेतृत्व कौशल को देखते हुए उन्हें इस पद के लिए चुना गया है। इसके अलावा, चुनाव आयोग में उनका लंबा अनुभव भी इस पद के लिए उन्हें उपयुक्त बनाता है।
ज्ञानेश कुमार का मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में पदभार संभालना भारतीय चुनाव आयोग के लिए एक नई शुरुआत है। उनके सामने कई चुनौतियाँ होंगी, लेकिन उनकी कुशलता और निष्पक्षता से चुनावी प्रक्रिया को बेहतर बनाने की उम्मीद की जा रही है। विपक्ष का विश्वास जीतने और चुनाव आयोग को पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाए रखना उनकी प्राथमिकता होगी। उनके नेतृत्व में चुनाव आयोग को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के प्रयास किए जाएंगे, ताकि भारतीय लोकतंत्र में लोगों का विश्वास और मजबूत हो सके।