PM Modi की तारीफ कर फंसे शशि थरूर, कांग्रेस में बढ़ी नाराजगी
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद शशि थरूर ने शनिवार (15 फरवरी) को PM Narendra Modi की अमेरिका यात्रा और केरल की वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) सरकार की प्रशंसा करने को लेकर उठे विवाद पर जवाब दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह हमेशा सरकार के अच्छे कार्यों की सराहना करते हैं, चाहे वह उनकी पार्टी की सरकार हो या किसी अन्य पार्टी की। साथ ही, गलत फैसलों की आलोचना करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
थरूर ने कहा, “मैं पिछले 16 वर्षों से राजनीति में हूं। जब कोई सरकार अच्छा काम करती है, तो उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए और जब कोई गलती होती है, तो आलोचना भी आवश्यक है। अगर मैं हमेशा सिर्फ प्रशंसा करूंगा, तो लोग मुझे गंभीरता से नहीं लेंगे और अगर मैं केवल आलोचना करूंगा, तो मेरी विश्वसनीयता भी समाप्त हो जाएगी। लोकतंत्र में संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है।”
पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा पर उठाए सवाल
शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा को लेकर कुछ सवाल भी उठाए। उन्होंने कहा कि इस यात्रा में भारतीयों के पक्ष में कई सकारात्मक फैसले लिए गए, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं।
थरूर ने कहा, “अवैध प्रवासियों को भारत वापस भेजने के मुद्दे पर चर्चा क्यों नहीं हुई? क्या पीएम मोदी ने इसे बंद कमरे में चर्चा की? यह एक बड़ा सवाल है।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और शुल्क को लेकर अगले 9 महीनों में बातचीत करने का निर्णय लिया गया है, जो कि एक अच्छा कदम है।
‘हमें केवल पार्टी हितों के बारे में नहीं सोचना चाहिए’ – थरूर
थरूर ने कहा कि वह इस बात से खुश हैं कि भारत को कुछ अच्छे परिणाम मिले हैं और वह इस उपलब्धि की सराहना “एक भारतीय के रूप में” करते हैं।
उन्होंने कहा, “हमें हमेशा पार्टी हितों के नजरिए से नहीं सोचना चाहिए। जब कुछ अच्छा होता है, तो उसकी सराहना करना जरूरी होता है।”
उनके इस बयान के बाद कांग्रेस के भीतर एक नई बहस छिड़ गई है। कुछ नेताओं का मानना है कि विपक्षी पार्टी का कर्तव्य है कि वह सरकार की आलोचना करे, जबकि थरूर जैसे नेता संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की वकालत कर रहे हैं।
केरल की स्टार्टअप नीति की तारीफ पर विवाद
पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा की तारीफ के साथ ही शशि थरूर ने केरल की एलडीएफ सरकार द्वारा स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के प्रयासों की भी प्रशंसा की। उन्होंने एक अखबार में लेख लिखकर सरकार की इस क्षेत्र में नीतियों की सराहना की। हालांकि, केरल कांग्रेस के नेताओं को यह पसंद नहीं आया।
केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई और कांग्रेस आलाकमान (AICC) को पत्र भेजकर थरूर के रुख पर सवाल उठाए। वरिष्ठ कांग्रेस नेता वी.डी. सतीशन ने यहां तक कि थरूर द्वारा दिए गए आंकड़ों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए।
कांग्रेस में बढ़ा आंतरिक मतभेद
शशि थरूर के इस रुख से कांग्रेस के भीतर मतभेद बढ़ गए हैं। कांग्रेस के कई नेता मानते हैं कि एक विपक्षी पार्टी के रूप में कांग्रेस को सरकार के हर फैसले की आलोचना करनी चाहिए, जबकि थरूर का कहना है कि “अच्छे कार्यों की सराहना करना और गलत फैसलों की आलोचना करना” लोकतांत्रिक संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
कांग्रेस के कुछ नेता थरूर के इस बयान को पार्टी विरोधी गतिविधि के रूप में देख रहे हैं, जबकि थरूर इसे अपनी स्वतंत्र विचारधारा बताते हैं।
शशि थरूर का संतुलित रुख
शशि थरूर कांग्रेस के उन गिने-चुने नेताओं में से हैं, जो सरकार के अच्छे कार्यों की सराहना करने से पीछे नहीं हटते। उनका मानना है कि राजनीति में नकारात्मकता से बचना जरूरी है और जब कोई अच्छी नीति लागू होती है, तो उसकी प्रशंसा करना भी विपक्ष का कर्तव्य होना चाहिए।
उनके इस दृष्टिकोण को कुछ कांग्रेस नेताओं से समर्थन भी मिल रहा है, लेकिन पार्टी के भीतर इस पर असहमति बनी हुई है।
आगे क्या होगा?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस आलाकमान इस पूरे विवाद पर क्या रुख अपनाता है। क्या शशि थरूर को पार्टी के भीतर विरोध झेलना पड़ेगा या फिर कांग्रेस उनके संतुलित दृष्टिकोण को स्वीकार करेगी? यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।
इस पूरे मामले ने कांग्रेस के अंदर की गहरी खाई को उजागर कर दिया है। जहां कुछ नेता पारंपरिक विपक्ष की भूमिका निभाने पर जोर दे रहे हैं, वहीं कुछ नेता संतुलित राजनीति की वकालत कर रहे हैं। शशि थरूर इस संतुलित राजनीति के सबसे बड़े पैरोकार बनकर उभरे हैं, लेकिन क्या कांग्रेस उनकी इस सोच को अपनाएगी? यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है।