हरियाणा में B J P क्यों J J P से अलग होना चाहती है सभी 10 लोकसभा की सीट पर जीत की प्लानिंग मोदी मेजिक से,गठबंधन रहा तो कुछ सीट मांग सकता है J J P
अभी सूबे की सभी 10 सीटों बीजेपी के सांसद हैं, ऐसे में यदि गठबंधन में चुनाव होगा तो अपने हिस्से की कुछ सीटें जजपा को देनी होंगी। ऐसा हुआ तो लोकसभा के बाद विधानसभा में फिर भाजपा पर जजपा का दबाव बढ़ेगा।
वैसे तो 2024 में पूरे देश में लोकसभा चुनाव होने हैं, लेकिन हरियाणा में अभी से ही राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ी हुई है। इसकी एक वजह इन दिनों BJP-JJP गठबंधन टूटने की चर्चा भी है। हालांकि बीजेपी के पास जजपा से गठबंधन तोड़ने की खास वजह भी हैं। बीजेपी के नेता यह मान रहे हैं कि जजपा के साथ लोकसभा चुनाव लड़ने से पार्टी को नुकसान होगा।
अभी सूबे की सभी 10 सीटों बीजेपी के सांसद हैं, ऐसे में यदि गठबंधन में चुनाव होगा तो अपने हिस्से की कुछ सीटें जजपा को देनी होंगी। ऐसा हुआ तो लोकसभा के बाद विधानसभा में फिर भाजपा पर जजपा का दबाव बढ़ेगा।
हिंदी बैल्ट में मोदी मैजिक का फायदा
हरियाणा BJP के साथ ही पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी यह मान रहा है कि लोकसभा चुनाव में फिर मोदी मैजिक चलेगा। चूंकि हरियाणा हिंदी बेल्ट है, इसलिए यहां इसकी ज्यादा संभावनाएं हैं। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में इस वजह के कारण पार्टी ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की। 2024 में भी पार्टी इसी फार्मूले के साथ ही आगे बढ़ना चाहती है।
गठबंधन तोड़ने के लिए पंजाब वाला फार्मूला
हरियाणा में गठबंधन तोड़ने के लिए BJP अपने ऊपर कोई ब्लैम नहीं लेना चाहती है, यही कारण है कि वह अभी तक पंजाब फार्मूले पर ही चल रही है। पंजाब में भी किसान आंदोलन के वक्त भाजपा ने खुद अकाली दल से गठबंधन तोड़ने के बजाय उन्हें ही मजबूर कर दिया। जिसके बाद शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रधान सुखबीर बादल ने खुद 23 साल पुराने गठबंधन को तोड़ दिया। हालांकि अब अकाली दल फिर गठबंधन चाहता है लेकिन भाजपा उन्हें पास नहीं फटकने दे रही। हरियाणा में भी BJP प्रभारी बिप्लब देब सरकार चलाने के साढ़े तीन साल बाद इसी फार्मूले पर चल रहे हैं।
दिल्ली में कोर ग्रुप का मंथन
दिल्ली में दो घंटे चली मीटिंग में हरियाणा के सियासी हालातों पर गहन मंथन किया गया। बैठक का प्रमुख मुद्दा बीजेपी-जेजेपी गठबंधन रहा। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस बैठक में प्रमुख रूप से शामिल हुए। इसमें हरियाणा के CM मनोहर लाल खट्टर, प्रदेश प्रभारी बिप्लब देब, प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ और हरियाणा बीजेपी कोर ग्रुप के नेता मौजूद रहे।
केंद्रीय फीडबैक में गठबंधन पर अच्छी रिपोर्ट नहीं
सिरसा की रैली के तुरंत बाद BJP की हरियाणा इकाई ने बीजेपी आलाकमान को ताजा फीडबैक दिया है। इस फीडबैक में गठबंधन को अच्छा नहीं बताया गया है। इसके साथ ही BJP के कई नेता पहले भी अकेले चलने की सलाह दे चुके हैं। बीजेपी प्रभारी बिप्लब पहले ही निर्दलीय विधायकों को लेकर चर्चा कर चुके हैं। यह प्लान भी बन चुका है कि हरियाणा में बीजेपी निर्दलीय विधायकों के भरोसे सरकार खड़ी कर सकती है।
क्यों सख्त है BJP का रुख
गठबंधन को लेकर हरियाणा BJP नेताओं रुख इसलिए भी सख्त है क्योंकि जजपा का साथ टूटने के बाद भी सरकार को कोई खतरा नहीं है। इसे ऐसे समझिए कि राज्य में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं। सरकार को बहुमत के लिए 46 सीटें चाहिए। अभी BJP के पास कुल 41 विधायक हैं।
10 विधायकों का समर्थन जजपा से है। इस वक्त 4 निर्दलीय विधायक खुलकर सरकार के साथ हैं और हलोपा के संयोजक गोपाल कांडा भी सरकार के साथ होने का ऐलान कर चुके हैं। इन 5 विधायकों को मिलाकर भाजपा सरकार के बहुमत की स्थिति में है। इनके इनके अलावा भी दो और निर्दलीय विधायक सरकार का अप्रत्यक्ष रूप से साथ दे चुके हैं। ऐसे में जजपा साथ छोड़ती भी है तो भाजपा की सरकार को फर्क नहीं पड़ेगा।