हरियाणा में कुंवारों का छलका दर्द: कहा- चुनाव में दिखाएंगे ताकत, आज तक किसी ने सुनवाई नहीं की, गांव-गांव में करेंगे एकजुट
एसोसिएशन का दावा है कि प्रदेश के 60 हलकों में अविवाहितों का पूरा दखल है। उनके पास पूरी ग्राउंड रिपोर्ट है कि इन हलकों में 5 से 8 हजार अविवाहित और विधुर लोग हैं। खासकर जाटलैंड की तमाम विधानसभा सीटों पर इनकी संख्या अधिक है। एकजुटता और जागरूकता की कमी के चलते आज तक उनकी सुनवाई नहीं हुई है।
चंडीगढ़ :- 2024 के चुनाव का खुमार सभी राजनीतिक दलों के साथ-साथ समाज के विभिन्न वर्गों पर भी चढ़कर बोल रहा है। इसमें अब हरियाणा के अविवाहित पुरुष और विधुर भी शामिल हो गए। पिछले 14 साल से अपनी मांगों के लिए संघर्ष कर रही अविवाहित एसोसिएशन व अविवाहित एकता मंच ने इसके लिए पूरा खाका तैयार किया है। इन दोनों संगठनों के सदस्य अविवाहितों को जागरूक और एकजुट करने के लिए गांव-गांव जाएंगे और इसके बाद जींद या हिसार में प्रदेशस्तरीय सम्मेलन के जरिए ताकत का अहसास कराएंगे।
60 हलकों पर कुंवारों की नजर
एसोसिएशन का दावा है कि प्रदेश के 60 हलकों में अविवाहितों का पूरा दखल है। उनके पास पूरी ग्राउंड रिपोर्ट है कि इन हलकों में 5 से 8 हजार अविवाहित और विधुर लोग हैं। खासकर जाटलैंड की तमाम विधानसभा सीटों पर इनकी संख्या अधिक है। एकजुटता और जागरूकता की कमी के चलते आज तक उनकी सुनवाई नहीं हुई है। सरकार ने पेंशन तो शुरू की है लेकिन आज तक मिल नहीं पाई। जो भी दल उनकी मांगों का समर्थन करेगा, चुनाव में एसोसिएशन उसका साथ देगी।
एसोसिएशन की मांगें
- दिव्यांगों की तर्ज पर रांडा शब्द के स्थान पर सम्मानजक शब्द हो।
- मासिक पेंशन के बजाय अविवाहितों को जीवन बसर के लिए रोजगार चाहिए।
- रांडा शब्द कहने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
- सामाजिक और सरकारी कार्यक्रमों में जोड़ा जाए।
- अविवाविहत और विधुरों की जनगणना कराई जाए, विशेष पहचान पत्र दिया जाए।
- फैमिली आईडी बनाई जाए, पंचायती राज में आरक्षण दिया जाए
आज किसी भी दल की रैली हो, उसको सफल करने का काम हमारे वर्ग के अविवाहित लोग ही करते हैं। पिछले कुछ सालों में अचानक से एसोसिएशन में भी सदस्यों की संख्या बढ़ी है। हमें रोजगार चाहिए, ताकि जीवन बसर हो सके। सरकार ने जो मासिक पेंशन शुरू की थी, वो भी अभी मिलनी शुरू नहीं हो पाई। – वीरेंद्र सांगवान, राज्य प्रधान, अविवाहित एकता मंच।


