ग्राम सुधार समिति खन्दराई ने मनाया “विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस”

गोहाना, 21 अगस्त : आज 21 अगस्त “विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस” मनाया जा रहा है। इस अवसर पर ग्राम सुधार समिति खन्दराई के संस्थापक अध्यक्ष जगमहेन्द्र सिंह ने विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस पर अपने विचार सांझा करते हुए कहा कि यह दिन विश्व भर में वरिष्ठ नागरिकों के योगदान को सम्मानित करने और उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाने का विचार सबसे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने 1988 में प्रस्तावित किया था तथा यह दिन पहली बार 1991 में मनाया गया था। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने इसे विश्व स्तर पर 21 अगस्त को प्रतिवर्ष मनाने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि जिंदगी के सबसे खूबसूरत दौर में जब हम छोटे थे, तो किसी ने हमें चलना सिखाया। जब हम गिरे, तब किसी ने हाथ पकड़ कर उठाया। जब हम रोए, तब हमें किसी ने अपनी बाहों में छुपा लिया। यह कोई और नही, हमारे बुजुर्ग, हमारे मां- बाप, हमारे दादा- दादी थे। समय कभी रुकता नहीं है जो हाथ कभी हमें चलना सीखते थे ।वही हाथ आज हमारे सहारे की तलाश में हैं। जो आंखें कल हमें सपनों की उड़ान देती थी ।वही आंखें आज हमारे साथ का इंतजार कर रही है।
लेकिन सोचिए, वही हमारे माता-पिता, हमारे दादा-दादी, जिन्होंने हमें सपनों के पंख दिए थे। क्या आज यह अकेले हैं या हम उनके साथ खड़े हैं। वरिष्ठ नागरिक हमारी जड़े हैं। उनसे अलग होकर कोई पेड़ जीवित नहीं रह सकता। 21 अगस्त हमें यह याद दिलाता है कि जिनके कंधों पर बैठकर हमने बचपन काटा है। आज उन्हें हमारी जरूरत है। सोचिए वह मां जिसने अपनी नींद बेचकर आपको सुलाया है। वह पिता जिन्होंने अपनी भूख छुपा कर तुम्हें रोटी खिलाई है। वह दादा – दादी जिन्की कहानियों ने आपको उड़ान दी है। उनकी झुर्रियों में उनके अनुभव की किताब छुपी है। उनकी मुस्कान में आशीर्वाद की रोशनी है और उनकी आंखों में पूरी जिंदगी का सत्य है। आज वही लोग अकेले पन के बोझ से जुझते हैं। घर में तो होते हैं, पर साथ महसूस नहीं करते। यह उनकी गलती नहीं है, इंसानियत का सबसे बड़ा धर्म है। हम उनका सम्मान करें। उनका हाथ हमारे सिर पर होता है। उनकी सेवा करना हमारी पूजा है। उनका सम्मान करना हमारा संस्कार है। उनका सहारा बनना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेवारी है।
अगर हम अपने बुजुर्गों का सम्मान करना भूलते हैं। तो आगे आने वाली पीढ़ी हमें कैसे याद रखेंगी और कैसे सम्मान देगी। इसलिए इंसानियत का धर्म है कि हम अपने बुजुर्गों का सम्मान करें और उनकी सेवा करें। उनके चेहरे पर मुस्कान ही हमारे लिए उनका सच्चा सम्मान है। बुजुर्गों के बिना हमारी पहचान अधूरी है। इस अवसर पर सोनू पांचाल, सुरेश कुमार, सचिन, विशाल पांचाल, गुड्डू, ओम प्रकाश, काला, सतीश कुमार, सुरेश मिस्त्री, हिमांशु आदि मौजूद रहे है।