जनता संस्था बुटाना को रजिस्ट्रार की तरफ से नहीं मिली क्लीन चिट
रजिस्ट्रार ने पीके खन्ना एवं डॉ अनुपम भाटिया को गलत इंक्वायरी रिपोर्ट एवं भ्रष्ट बिहेवियर के कारण किया नोटिस जारी

*रिपोर्ट पर डॉ भाटिया के हस्ताक्षर न होना मिलीभगत दिखा रहा हैं*
गोहाना, 21 मई : विदित रहे कि 20 जनवरी, 2025 को एसडीएम गोहाना ने जनता संस्था में छापा मार कर कैश इन हैंड एवं 150 से ज्यादा कर्मचारी गैरहाजिर पकड़े गए। जनता संस्था की जांच के लिए पीके खन्ना को नियुक्त किया गया। इसके बाद चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अनुपम भाटिया को फैक्ट फाइंडिंग के लिए न्युक्ति दी गई। जनता विद्या भवन संस्था की जांच में कोई भी ठोस कार्यवाही न होने की वजह से शिकायतकर्ता पूर्व अध्यक्ष अजीत सिंह सांगवान एवं पूर्व सचिव कृष्ण सांगवान ने रजिस्ट्रार, फर्म एंड सोसाइटी को पत्र लिख कर जांच में संदेह जताया एवं कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाएं।
रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसाइटी ने 12 मई को जांच अधिकारी पीके खन्ना एवं फैक्ट फाइंडिंग के लिए नियुक्त चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अनुपम भाटिया के नाम पत्र जारी कर जवाब मांगा है।
जिन 9 बिंदु की जांच शुरू हुई थी। पीके खन्ना ने कोई भी ठीक कार्यवाही नहीं की। 20 जनवरी,2025 को एसडीएम गोहाना के खुद कैश इन हैंड में एवं 150 से ज्यादा कर्मचारी गैरहाजिर पकड़े गए थे। परन्तु इतनी बड़ी कार्यवाही के रजिस्टर पकड़े जाने के बाद भी पीके खन्ना ने कुछ नहीं लिखा। अजीत सिंह सांगवान ने आरोप लगाया कि स्पष्ट तौर से भ्रष्टाचार की तरफ इशारा है।
पीएफ की जांच में भी कोई कार्यवाही नहीं की गई।
वर्कलॉड से ज्यादा कर्मचारी लगाए गए एवं जो पोस्ट नहीं होती उन पर भी कर्मचारी भर्ती कर दिए गए। हमने सबूत भी दिए परन्तु कुछ भी कार्यवाही नहीं हुई।
प्रधान ने अपनी फर्म के नाम ही मिट्टी का बिल काट कर पैसे निकाल लिए। मिट्टी के बिल की कॉपी देने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।
जनता संस्था के संविधान के अनुसार अपने परिवार के सदस्यों को नौकरी पर नहीं लगाया जा सकता। परन्तु सभी मेंबर्स के परिवार की लिस्ट के बाद भी पीके खन्ना ने कुछ नहीं लिखा।
अजीत सिंह सांगवान ने कहा कि अगर रिपोर्ट ठीक है तो क्या सचिन जिनको चौधरी धज्जा राम जनता महाविद्यालय में कार्यरत प्रधान सत्यपाल सांगवान का बेटा नहीं है?
खन्ना ने इस पर भी कुछ नहीं लिखा। ये सभी मिलीभगत एवं बड़े भ्रष्टाचार की तरफ इशारा हैं। अगर रिपोर्ट जमा हुई है तो डॉ अनुपम भाटिया के हस्ताक्षर क्यों नहीं हैं? क्या उन्होंने इस रिपोर्ट पर सिग्नेचर करने से मना कर दिया ? इस बात की जांच भी की जाए।
पीके खन्ना एवं डॉ अनुपम भाटिया दिनों से रजिस्ट्रार ने जवाब तलब कर लिया है। दोनों के जबाव के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। रजिस्ट्रार की तरफ से अभी क्लीन चिट नहीं मिली है। क्योंकि पत्र जारी करके स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है। डॉ अनुपम भाटिया के हस्ताक्षर न होना इंक्वायरी रिपोर्ट पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा हैं। दोनों इंक्वायरी ऑफिसर क्या जवाब देते हैं तभी स्थिति स्पष्ट हो सकती हैं। एक बात स्पष्ट है कि अभी कुछ बड़ा गोल मॉल जरुर हुआ है क्योंकि सरकार द्वारा जवाब मांगना एवं दूसरे अधिकारी के हस्ताक्षर न होना कुछ बड़ा इशारा जरुर है।