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लिंगानुपात सुधार के लिए किडौली में चलाया जागरूकता कार्यक्रम अभियान

-बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ समाज को आगे बढ़ाओ  

 

अनिल जिंदल, सोनीपत, 20 मई। उपायुक्त डॉ0 मनोज कुमार के निर्देशन में बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं अभियान के तहत जिले में लिंगानुपात सुधार के लिए गाँव किडौली (खरखौदा )में विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। उन गाँवों में विशेष जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जहाँ लिंगानुपात अपेक्षाकृत कम है। इस श्रृंखला मे मंगलवार को किडौली गाँव में जिला महिला एवं बाल विकास विभाग व जिला लोकसम्पर्क विभाग की टीम द्वारा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।

सीडीपीओ खरखौदा नीलम देवी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के तहत बताया इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्रमुख रुप से लिंगानुपात सुधार के लिए पुरानी सामाजिक रुढियों की मानसिकताओं को बदलना व “बेटा-बेटी एक समान” की सोच के प्रति जनसाधारण वर्ग में जागरूकता पैदा करना आवश्यक है। गांव के माथे पर लगा कम लिंगानुपात का कलंक हटाने में सभी ग्रामवासियों को सहभागी बनाना है। जिला महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने गांव में 12 मई को वर्ष 2025 में पैदा हुई पहली बेटी का जन्मोत्सव केक काटकर मनाया वीडियो वैन के माध्यम से ग्रामीणों को लिंगानुपात सुधार और बेटियों की शिक्षा व सुरक्षा को लेकर जागरूक किया गया। इस दौरान सीडीपीओ नीलम देवी द्वारा लिंगानुपात सुधार के लिए आंगनबाड़ी में गोद भराई रस्म, कुआं पूजन, लड़कियों द्वारा पौधारोपण करवाया गया। इस दौरान लोक संपर्क विभाग की टीम व महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम द्वारा ग्रामीण महिलाओं को शपथ दिलाई गई कि वे बेटा बेटी में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करेंगे व बेटियों को आगे बढऩे का समान अवसर देगी। ताकि लडक़े लडक़ी के भेदभाव को समाप्त किया जा सके। गांव के सरपंच ने लिंगानुपात सुधार में प्रशासन का सहयोग करने का वचन दिया।

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इस दौरान ग्रामीणों में कानूनी जागरूकता के लिए एनडीपीटी एक्ट (प्री-कॉन्सेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स अधिनियम) के बारे में ग्रामीणों को बताकर जागरूक किया गया। इसमें बताया गया कि एनडीपीटी एक्ट एक भारतीय कानून है, जो गर्भावस्था के दौरान लिंग निर्धारण और लिंग-चयनात्मक गर्भपात को प्रतिबंधित करता है। इस अधिनियम को 1994 में लागू किया गया था। एनडीपीटी एक्ट का उद्देश्य लिंगानुपात को सुधारना और लड़कियों की भ्रूण हत्या को रोकना है। यह अधिनियम गर्भावस्था के दौरान लिंग निर्धारण और लिंग-चयनात्मक गर्भपात को प्रतिबंधित करके लड़कियों के अधिकारों की रक्षा करने में मदद करता है। यदि कोई लिंग जांच का मामला मिलता है। तो अधिनियम 1994 के अनुसार 3 साल की सजा व 10 हजार जुर्माने का इस अधिनियम में प्रावधान किया गया है।उन्होने बताया की गर्भवती स्त्रियों का संपूर्ण रिकॉर्ड ग्राम स्तर पर आशा वर्कर के पास होता है। यदि किसी भी स्थान पर लिंग जांच जैसी अवैध गतिविधि की जानकारी मिले, तो इसकी सूचना तुरंत जिला प्रशासन को दें। लोक संपर्क विभाग की टीम द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर सुंदर वक्तव्य की की प्रस्तुति देकर ग्रामीणों को जागरूक किया।

इस जागरूकता अभियान के दौरान जिला महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम, जिला लोक संपर्क विभाग की टीम, किडौली के नंबरदार सत्य प्रकाश, महिला पंच मीना व निर्मला, महिला सुपरवाइजर सुमित्रा, शालिनी एवं सुदेश, सीएचओ सुशील कुमारी, एएनएम करतारी देवी, मुकेश देवी, आशा वर्कर अनीता देवी, अंजू रानी, ने ग्रामीणों में जागरूकता पैदा करने व बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को आगे बढ़ाने का संदेश दिया।

Khabar Abtak

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