NEET Suicide Controversy: Palaniswami का आरोप – CM Stalin के हाथ छात्रों के खून से सने!
NEET Suicide Controversy: तमिलनाडु में 21 वर्षीय नीट छात्रा की आत्महत्या ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। एआईएडीएमके के प्रमुख पलानीस्वामी ने इस मामले में सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पलानीस्वामी ने कहा कि तमिलनाडु में नीट छात्रों की आत्महत्याओं की संख्या बढ़ी है और इसका जिम्मेदार डीएमके सरकार है। उन्होंने यहां तक कहा कि मुख्यमंत्री स्टालिन के हाथ नीट छात्रों के खून से सने हुए हैं। उनका यह बयान राज्य में बड़े राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
नीट बिल का इतिहास और DMK की भूमिका
पलानीस्वामी ने कहा कि नीट परीक्षा की शुरुआत मेंDMK का अहम हाथ था। उन्होंने बताया कि 2010 में जब मनमोहन सिंह सरकार केंद्र में थी, तब डीएमके सांसद ने नीट बिल संसद में पेश किया था। 2012 में डीएमके के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के राज्य मंत्री गांधी सेल्वन ने इस बिल को संसद में प्रस्तुत किया था। इसके बाद, 2013 में नीट परीक्षा का पहला आयोजन हुआ था। इससे पहले, हर राज्य का अपना मेडिकल प्रवेश परीक्षा हुआ करती थी, लेकिन नीट के बाद राज्यों के लिए अलग-अलग परीक्षा का आयोजन खत्म कर दिया गया था। पलानीस्वामी ने इस पूरे घटनाक्रम को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि नीट को लागू करने के कारण तमिलनाडु के छात्रों को नुकसान हुआ।
पलानीस्वामी का आरोप: नीट से छात्रों के सपने टूटे
पलानीस्वामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, “2014 से पहले जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, तब डीएमके ने नीट की शुरुआत की थी। नीट परीक्षा को रोकने के खिलाफ डीएमके ने सुप्रीम कोर्ट में जाकर याचिका दायर की थी, ताकि यह परीक्षा रुक न सके। इसने तमिलनाडु के छात्रों के मेडिकल सपनों को नष्ट करने की नींव रखी। अब डीएमके खुद कह रहा है कि अगर केंद्र में उनकी सरकार बनेगी, तो वे नीट परीक्षा को नहीं होने देंगे।” पलानीस्वामी ने कहा कि तमिलनाडु में नीट के कारण हुई मौतें डीएमके के लिए कोई मायने नहीं रखती हैं।
नीट में फेल होने के डर से आत्महत्या
चेनई में 21 वर्षीय देवदर्शिनी ने नीट परीक्षा में चारवीं बार असफल होने के डर से आत्महत्या कर ली। देवदर्शिनी को यह डर था कि वह इस बार भी नीट परीक्षा पास नहीं कर पाएगी, जिससे वह मानसिक दबाव का शिकार हो गई और उसने आत्महत्या कर ली। इससे पहले भी वह तीन बार नीट परीक्षा में असफल हो चुकी थी। उसकी आत्महत्या ने एक बार फिर नीट परीक्षा के मानसिक दबाव और इसके कारण छात्रों पर पड़ने वाले असर को सामने ला दिया है।
यह घटना तमिलनाडु में नीट को लेकर चल रहे विवाद को और तीव्र कर सकती है, क्योंकि कई छात्रों और राजनीतिक दलों का मानना है कि नीट परीक्षा तमिलनाडु के छात्रों के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है।