Rahul Gandhi ने तेलंगाना सरकार के ओबीसी आरक्षण फैसले की सराहना की
Rahul Gandhi: हाल ही में तेलंगाना सरकार ने राज्य में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को 42 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का ऐलान किया। इस निर्णय के बाद, राज्य में शिक्षा, नौकरी, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में ओबीसी समुदाय के लिए समान अवसर सुनिश्चित होंगे। यह निर्णय राज्य के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी द्वारा लिया गया था, जिन्होंने इस कदम को ऐतिहासिक और सामाजिक क्रांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया।
Rahul Gandhi ने किया तेलंगाना सरकार के फैसले का समर्थन
तेलंगाना सरकार के इस फैसले की कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष Rahul Gandhi ने सराहना की है। राहुल गांधी ने इस फैसले को क्रांतिकारी कदम बताया और इसे जातिगत जनगणना (X-Ray) के महत्व से जोड़ा। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने विचार साझा किए और कहा कि इस कदम से राज्य में पिछड़े और वंचित समुदायों को उनका सही हक मिलेगा।
Rahul Gandhi ने लिखा, “कांग्रेस सरकार ने तेलंगाना में ओबीसी आरक्षण बढ़ाने का वादा पूरा कर दिया है।” उन्होंने इस कदम को सामाजिक न्याय की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया और कहा कि यह निर्णय पिछड़े समुदायों को शिक्षा, रोजगार और राजनीति में समान अवसर देने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। इसके अलावा, राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना को सही नीतियां बनाने के लिए जरूरी बताया, ताकि हर समुदाय के सामाजिक और आर्थिक हालात का विश्लेषण किया जा सके और उनके विकास के लिए प्रभावी नीतियां बनाई जा सकें।
42 प्रतिशत आरक्षण का ऐलान: रेवंत रेड्डी का बयान
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने इस ऐतिहासिक निर्णय को लेकर अपनी बात रखते हुए कहा कि यह घोषणा भारत में सामाजिक क्रांति का नेतृत्व करने के दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने एक्स पर लिखा, “तेलंगाना को भारत में सामाजिक क्रांति का नेतृत्व करने पर गर्व है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह फैसला भारतीय स्वतंत्रता के बाद से पिछड़े समूहों की सबसे लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करता है।
कांग्रेस सरकार ने तेलंगाना में OBC आरक्षण बढ़ाने का वादा पूरा कर दिया है।
राज्य में वैज्ञानिक तरीके से हुई जातिगत गिनती से मिली OBC समुदाय की वास्तविक संख्या स्वीकार की गई और शिक्षा, रोजगार और राजनीति में उनकी समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विधानसभा में 42% आरक्षण का बिल… https://t.co/MdXwryq34O
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 18, 2025





रेवंत रेड्डी ने इस बात पर भी जोर दिया कि ओबीसी समुदाय की वास्तविक संख्या को स्वीकार किया गया है, जो जातिगत गिनती के जरिए हासिल की गई है। उनके मुताबिक, इस जनगणना ने यह सुनिश्चित किया कि ओबीसी समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा और उन्हें शिक्षा, रोजगार और राजनीति में बराबरी का अवसर मिलेगा।
42 प्रतिशत आरक्षण का सामाजिक महत्व
तेलंगाना सरकार द्वारा ओबीसी को 42 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का यह निर्णय राज्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ओबीसी समुदाय देश की एक बड़ी और विविधतापूर्ण आबादी का हिस्सा हैं, और उनका समाज और अर्थव्यवस्था में समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना जरूरी है। इस निर्णय के बाद, टीचर, डॉक्टर, इंजीनियर, सरकारी अधिकारी और अन्य पेशेवर क्षेत्रों में ओबीसी समुदाय को बड़े पैमाने पर अवसर मिल सकेंगे।
आरक्षण का यह फैसला, विशेष रूप से शिक्षा और रोजगार के अवसरों में समानता लाने के उद्देश्य से लिया गया है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ओबीसी समुदाय के लोग सरकारी नौकरियों और अन्य क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकें और उनका उत्थान हो सके।
जातिगत जनगणना: एक महत्वपूर्ण कदम
Rahul Gandhi ने जातिगत जनगणना (X-Ray) के महत्व को भी रेखांकित किया है। उनका कहना है कि जातिगत जनगणना से ही पिछड़े और वंचित समुदायों को उनका सही हक मिल सकता है। जातिगत सर्वेक्षण या जनगणना से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि हर समुदाय के सामाजिक और आर्थिक हालात का सही विश्लेषण किया जा सके। इससे यह पता चल सकेगा कि किस समुदाय को किस प्रकार के समर्थन और सहायता की आवश्यकता है।
राहुल गांधी ने आगे कहा, “तेलंगाना ने रास्ता दिखा दिया है, यही पूरे देश की जरूरत है। भारत में जाति जनगणना होगी और हम इसे करवा कर रहेंगे।” उनका मानना है कि इस तरह के सर्वेक्षण के बाद ही सरकारें अधिक प्रभावी तरीके से नीतियां बना सकेंगी, जो प्रत्येक समुदाय के हित में काम करेंगी।
तेलंगाना सरकार का यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है, जो राज्य में सामाजिक न्याय और समानता सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है। 42 प्रतिशत आरक्षण से ओबीसी समुदाय को अपने अधिकारों को प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी दोनों ने इस फैसले की सराहना की है और इसे सामाजिक क्रांति के रूप में देखा है।
जातिगत जनगणना का महत्व भी बढ़ गया है, और यह साबित हो रहा है कि इस तरह के डेटा से न केवल सामाजिक और आर्थिक विकास के उपायों की योजना बनाई जा सकती है, बल्कि पिछड़े और वंचित समुदायों को उनका उचित हक भी दिया जा सकता है। आने वाले समय में यह निर्णय देश भर में अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल बन सकता है।