रेडक्रॉस शाखा सोनीपत में फर्स्ट एड वर्कशॉप का किया गया आयोजन, रैडक्रास शाखा सोनीपत नें पुलिस कर्मचारियो को दिया आपातकालीन स्थिति फर्स्ट एड व सीपीआर का प्रशिक्षण

सोनीपत, 10 मार्च : आज दिनांक 10 मार्च दिन सोमवार को पुलिस आयुक्त सोनीपत श्रीमती नाज़नीन भसीन IPS के निर्देशानुसार रेडक्रॉस शाखा कार्यालय सोनीपत में फर्स्ट एड वर्कशॉप का आयोजन किया गया है। जिसमें CID उप निरीक्षक विरेंद्र सिंह, पुलिस फार्मेसी ऑफिसर देवेन्द्र सिँह, मुख्य सिपाही विकास पुनिया व जिला पुलिस के अधिकांश कर्मचारियों ने भाग लिया l
इस दौरान रेडक्रॉस शाखा की टीम में नियुक्त श्री संजय कुमार, जिला प्रशिक्षण अधिकारी, डॉक्टर राजबीर सिंह, प्रवक्ता व फर्स्ट एड मास्टर नीरज ने पुलिस कर्मियों को रेडक्रॉस सोसाईटी/ सैंट जाँन एम्बुलेंस (इण्डिया) की और से प्राथमिक सहायता का प्रशिक्षण दिया गया, प्रशिक्षण में सब से पहले प्राथमिक सहायता के सम्बन्धित मूल विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई व इसी कड़ी में उपस्थित सभी अधिकारियो व कर्मचारियों को सीपीआर से सम्बधित जानकारी दी व्यवहारिक ड्मियो के माध्यम से जागरूक किया गयाl सीपीआर किस व्यक्ति को देना चाहिए व किस को नही देना चाहिए के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई गई।
कैसे देते हैं सीपीआर:-
सीपीआर क्रिया करने में सबसे पहले पीड़ित को किसी ठोस जगह पर लिटा दिया जाता है और प्राथमिक उपचार देने वाला व्यक्ति उसके पास घुटनों के बल बैठ जाता है। उसकी नाक और गला चेक कर ये सुनिश्चित किया जाता है कि उसे सांस लेने में कोई रुकावट तो नहीं है। जीभ अगर पलट गयी है तो उसे सही जगह पर उंगलियों के सहारे लाया जाता है। सीपीआर में मुख्य रुप से दो काम किए जाते हैं। पहला छाती को दबाना और दूसरा मुँह से सांस देना जिसे माउथ टु माउथ रेस्पिरेशन कहते हैं। पहली प्रक्रिया में पीड़ित के सीने के बीचो-बीच हथेली रखकर पंपिंग करते हुए दबाया जाता है। एक से दो बार ऐसा करने से धड़कनें फिर से शुरू हो जाएंगी। पंपिंग करते समय दूसरे हाथ को पहले हाथ के ऊपर रख कर उंगलियो से बांध लें अपने हाथ और कोहनी को सीधा रखें। इस दौरान रेडक्रॉस टीम ने स्ट्रेचर का उचित प्रयोग भी पुलिस कर्मियों को बतलाया और कहा कि अगर पम्पिंग करने से भी सांस नहीं आती और धड़कने शुरू नहीं होतीं तो पम्पिंग के साथ मरीज को कृत्रिम सांस देने की कोशिश की जाती है।ऐसा करने के लिए हथेली से छाती को 1 -2 इंच दबाएं, ऐसा प्रति मिनट में 100 बार करें। सीपीआर में दबाव और कृत्रिम सांस का एक खास अनुपात होता है। 30 बार छाती पर दबाव बनाया जाता है तो दो बार कृत्रिम साँस दी जाती है। छाती पर दबाव और कृत्रिम साँस देने का अनुपात 30 :02 का होना चाहिए। कृत्रिम सांस देते समय मरीज की नाक को दो उंगलियों से दबाकर मुंह से साँस दी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि नाक बंद होने पर ही मुंह से दी गयी सांस फेफड़ों तक पहुंच पाती है।