गोहाना की सी. ए. एसोसिएशन ने नए बजट में किये गए टैक्स बदलाव की दी जानकारी
12 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं

गोहाना : 7 फरवरी : आज सी. ए. एसोसिएशन, गोहाना की मीटिंग सीए कर्मबीर लठवाल की अध्यक्षता में सी ए नवीन गर्ग के कार्यालय में हुई। जिसमे सीए नवीन गर्ग, सीए सोनू फ़ोर, सीए सौरभ गोयल, सी ए हिमांशु रंग, सी ए सुमित मित्तल आदि उपस्थित रहे ।
जिसमे कुछ विषयों पर चर्चा की गईं तथा मीटिंग के बाद सी. ए. एसोसिएशन के अध्यक्ष सी. ए. कर्मबीर लठवाल ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि नये बजट में क्या बदलाव किये गए हैं |
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को प्रस्तुत बजट 2025-26 में व्यक्तिगत आयकर के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है। इन परिवर्तनों का उद्देश्य मध्यम वर्ग के करदाताओं को राहत प्रदान करना और उपभोग को बढ़ावा देना है। प्रमुख बदलाव निम्नलिखित हैं:-
नई आयकर स्लैब दरें:
₹0 से ₹4 लाख तक की आय: कोई कर नहीं।
₹4 लाख से ₹8 लाख तक की आय: 5% कर।
₹8 लाख से ₹12 लाख तक की आय: 10% कर।
₹12 लाख से ₹24 लाख तक की आय: 15% कर।
₹24 लाख से अधिक की आय: 30% कर।
इन नई दरों के अनुसार, 12 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई आयकर नहीं देना होगा, क्योंकि धारा 87A के तहत उन्हें पूरी कर राशि की छूट मिलेगी। वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए 75,000 रुपये के मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) के साथ, यह छूट 12.75 लाख रुपये तक की आय पर लागू होगी।
स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि: वेतनभोगी और पेंशनभोगियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है, जो पहले 50,000 रुपये था।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष प्रावधान: 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए कर मुक्त आय सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है, जबकि 80 वर्ष से अधिक आयु के अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 7.5 लाख रुपये निर्धारित की गई है।
वरिष्ठ नागरिक के लिए ब्याज आय पर टीडीएस छूट सीमा: वरिष्ठ नागरिकों के लिए बैंक और डाकघर के ब्याज से होने वाली आय पर टीडीएस कटौती की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1,00,000 रुपये कर दी गई है और किराये के केस में टीडीएस ना काटने की अधिकतम सीमा 2.40 लाख से बढ़ाकर 6.00 लाख (50000 प्रति माहा ) कर दी गई है।
इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप, 12 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं को लगभग 80,000 रुपये की वार्षिक बचत होगी। हालांकि, सरकार को इससे प्रति वर्ष लगभग 1 लाख करोड़ रुपये के राजस्व की हानि होने का अनुमान है। इन किये गए बदलावों का उद्देश्य उपभोक्ता ज्यादा खर्च करें, बचत, और निवेश को प्रोत्साहित करना है।
इन परिवर्तनों से मध्यम वर्ग के करदाताओं को महत्वपूर्ण राहत मिलेगी और उनकी व्यय योग्य आय में वृद्धि होगी, जिससे अर्थव्यवस्था में उपभोग और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।