सर्वाइकल कैंसर के बारे महिलाओं को जागरूक होना जरूरी : डॉ. डबास

रोहतक, 31 जनवरी। भारत में महिलाओं में सबसे सामान्य प्रकार के कैंसर में से एक सर्वाइकल कैंसर है, जिसके बारे में महिलाओं को जागरूक होना बहुत जरूरी है। यह बात मैक्स हॉस्पिटल में ऑन्कोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. सुरेंद्र डबास ने शुक्रवार को सर्वाइकल कैंसर से बचाव बारे जागरूक करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यह कैंसर आमतौर पर 40 से 55 वर्ष की आयु के बीच विकसित होता है। इसके मुख्य जोखिम कारको में नियमित जांच न करवाना, एचपीवी संक्रमण, यौन संचारित रोग, कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र और पारिवारिक इतिहास शामिल हैं। सर्वाइकल कैंसर की पहचान के लिए पैप स्मियर और एचपीवी टेस्ट मुख्य जांच प्रक्रियाएं हैं। पैप स्मियर के माध्यम से सर्विक्स की सतह से कोशिकाओं लेकर उनका परीक्षण किया जाता है, जबकि एचपीवी टेस्ट सर्विक्स की कोशिकाओं में संक्रमण का पता लगाने में सहायक होता है। उन्होंने कहा कि 21 से 29 वर्ष की महिलाओं को हर तीन साल में, और 30 से 65 वर्ष की महिलाओं को हर तीन से पांच साल में इन परीक्षणों को करवाना चाहिए। उन्होंने बताया कि सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय के निचले भाग को प्रभावित करता है, जो योनि के ऊपरी हिस्से तक फैलता है। यह स्थिति तब शुरू होती है जब सर्विक्स की सतह की कोशिकाएं ह्यूमन पैपिलोमावायरस से संक्रमित हो जाती हैं और असामान्य रूप से बढऩे लगती हैं। उन्होंने कहा कि नियमित जांच और एचपीवी टीकाकरण से यह कैंसर टाला जा सकता है, जिससे मरीज का जीवन स्तर बेहतर हो सकता है।