नए परिसीमन के बाद हरियाणा में लोकसभा की सीटें बढ़कर 14 और विधानसभा की 126 सीटें हो सकती हैं।
हरियाणा में 2029 के चुनाव से पहले परिसीमन होगा। अभी हरियाणा विधानसभा में 90 और लोकसभा में 10 सीटें हैं। आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में लोकसभा की सीटें बढ़कर 14 और विधानसभा की 126 सीटें हो सकती हैं।
BJP ने ग्राउंड लेवल पर इसकी अभी से तैयारी शुरू कर दी है। BJP हरियाणा के हर गांव का सर्वे करा रही है। इसमें देखा जा रहा है कि ऐसे कितने गांव हैं, जहां भाजपा आज तक चुनाव नहीं जीती? और ऐसे कितने गांव हैं, जहां से BJP चुनाव जीत रही है? इसमें पिछले 2 चुनाव का डाटा निकाला जा रहा है।
लोकसभा और विधानसभा वाइज यह रिपोर्ट तैयार हो रही है। भाजपा को इसकी मदद परिसीमन कराने में मिल सकती है।
इससे पहले 2007-2008 में हरियाणा में परिसीमन हुआ था। उस समय राज्य में कांग्रेस की हुड्डा सरकार थी। इस दौरान कई विधानसभा को तोड़कर नया बनाया गया था। खासकर सिरसा, हिसार और अहीरवाल क्षेत्र में कई जगह परिसीमन से बदलाव हुए थे।
हुड्डा और सैलजा के गढ़ टूट सकते हैं
नए परिसीमन में हुड्डा और सैलजा के गढ़ में छेड़छाड़ हो सकती है। इसके लिए BJP सर्वे कर डाटा तैयार रही है। इस हिसाब से विधानसभा को तैयार किया जाएगा, जिससे कांग्रेस को सीधा-सीधा नुकसान हो। रोहतक, हिसार, सिरसा, फतेहाबाद और मेवात के एरिया में परिसीमन कर बदलाव किया जा सकता है। यहां भाजपा ने विधानसभा की एक भी सीट नहीं जीती है।
कालांवाली, गढ़ी सांपला किलोई, उकलाना, कलानौर, शाहबाद जैसी सीटें भाजपा के टारगेट पर हैं। हुड्डा की विधानसभा सीट गढ़ी सांपला किलोई को रिजर्व किया जा सकता है। कलानौर को जरनल सीट में बदला जा सकता है। इसी तरह ऐलनाबाद विधानसभा से दड़बा या चौपटा नई विधानसभा निकाली जा सकती है। हिसार लोकसभा से उचाना हलके को बाहर कर जींद को लोकसभा क्षेत्र बनाया जा सकता है।
परिसीमन आयोग करता है कार्य
हरियाणा में विधानसभा की 36 और लोकसभा की 4 सीटों की संभावित बढ़ोतरी के साथ प्रदेश राजनीतिक रूप से काफी ताकतवर राज्य के रूप में उभरकर सामने आएगा। परिसीमन आयोग हर 10 साल बाद विधानसभा और लोकसभा सीटों की संख्या में कमी या वृद्धि करता है।
इन 10 सालों के अंतराल में आयोग के पास बहुत से ऐसे केस और अर्जियां पहुंचती हैं, जिनमें लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या बढ़ाने के साथ ही उन्हें आरक्षित करने के प्रस्ताव दिए जाते हैं। संबंधित लोग अपने-अपने हिसाब से आयोग के पास दलीलें भेजते हैं, जिनका धरातल पर वैरिफिकेशन करने के बाद परिसीमन नए सिरे से किया जाता है।
फिलहाल, प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों में से 2 सीटें अंबाला और सिरसा आरक्षित हैं। जबकि, 90 विधानसभा सीटों में से 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।
2021 में विधानसभा अध्यक्ष ने लिखा था पत्र
2021 में हरियाणा विधानसभा के स्पीकर रहे ज्ञानचंद गुप्ता ने नए विधानसभा भवन के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को जो पत्र लिखा गया था, उसमें 2029 में प्रस्तावित परिसीमन का जिक्र करते हुए स्पष्ट उल्लेख किया था कि राज्य में विधानसभा और लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ने जा रही है। जबकि, मौजूदा विधानसभा भवन में मात्र 90 विधायकों के ही बैठने की व्यवस्था है।
इसलिए, हरियाणा विधानसभा को अपना अलग भवन चाहिए। पंजाब विधानसभा ने हरियाणा के 30 से ज्यादा कमरे कब्जा रखे हैं, जो दिए नहीं जा रहे। इसलिए हरियाणा ने अपनी विधानसभा के नए भवन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब तो केंद्र ने भी हरियाणा की नई विधानसभा को मंजूरी दे दी है और वन विभाग ने इसके लिए NOC जारी कर दी है।
इसलिए बदलाव की जरूरत
हरियाणा की मौजूदा 10 लोकसभा सीटों में अधिकतर ऐसी हैं, जो घनत्व और आबादी के लिहाज से 2 से 4 जिलों तक में फैली हुई हैं। कई बार ऐसा भी हुआ है कि एक जिले में कुछ राजनीतिक समीकरण हैं तो दूसरे जिले में कुछ। ऐसे में लोकसभा चुनाव के दौरान नतीजे चौंकाने वाले होते हैं।
यही स्थिति विधानसभा सीटों की भी है। राज्य में 40 विधानसभा ऐसी हैं, जिनका ग्रामीण व शहरी एरिया काफी बढ़ चुका है। उदाहरण के लिए करनाल, पंचकूला या गुरुग्राम विधानसभा से बिल्कुल सटे इलाके नजदीकी विधानसभा में पड़ते हैं, जबकि गांव व शहरी लोगों के कामकाज के लिए मुख्यालय संबंधित शहर में होता है। ऐसे में परिसीमन के जरिए इन विधानसभा क्षेत्रों का फैला हुआ दायरा कम कर नई विधानसभा सीटें बनाई जानी प्रस्तावित हैं।
3 लोकसभा और 25 विधानसभा सीटें रिजर्व होना संभव
परिसीमन के बाद राज्य में 14 लोकसभा सीटों में से 3 आरक्षित हो सकती हैं। जबकि, 126 विधानसभा में से 25 सीटें रिजर्व कैटेगरी में रखी जा सकती हैं। 2007-08 में परिसीमन के बाद भिवानी और महेंद्रगढ़ निर्वाचन क्षेत्रों को भिवानी-महेंद्रगढ़ बनाने के लिए मिला दिया गया और मौजूदा फरीदाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र को विभाजित कर एक नया गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र बनाया गया।
हरियाणा की स्थिति पर एक नजर
हरियाणा में इस समय 22 जिले, 72 उप-मंडल, 93 तहसीलें, 50 उप-तहसीलें, 142 ब्लॉक, 154 शहर और कस्बे, 6,841 गांव, 6212 ग्राम पंचायतें और कई छोटी ढाणियां हैं।
हरियाणा में 10 नगर निगम (गुरुग्राम, फरीदाबाद, अंबाला, पंचकूला, यमुनानगर, रोहतक, हिसार, पानीपत, करनाल और सोनीपत), 18 नगर परिषद और 52 नगर पालिकाएं हैं।