140 दिन से गोहाना के लघु सचिवालय में बेमियादी धरने पर बैठे किसानों के लिए राहत का संदेश ; अब सब पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए तैयार है सरकार
कोई भी हकदार किसान न रह जाए वंचित, इस लिए भारतीय किसान यूनियन से मांग ली लिस्ट
गोहाना :-15 जून : लोकसभा चुनाव में करारी मात के बाद भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश सरकार अब किसानों के आगे पूरी तरह से बिछ गई है। राज्य सरकार सभी पीड़ित किसानों को मुआवजा देने के लिए तैयार हो गई है। कोई भी पीड़ित किसान मुआवजे से वंचित न रह जाए, इस के लिए अब भारतीय किसान यूनियन से ही लिस्ट मांग ली गई है। 140 दिन से गोहाना के लघु सचिवालय में बेमियादी धरने पर बैठे किसानों के लिए राहत का यह संदेश तब आया जब कृषि एवं किसान कल्याण विभाग एक आला अधिकारी ने भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल से उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क किया।
गोहाना के लघु सचिवालय में सोनीपत जिले का जिला स्तरीय धरना 29 जनवरी से लगातार चल रहा है। इसी सप्ताह पंचकूला में किसानों और अधिकारियों के बीच जो आमने-सामने की सीधी बातचीत हुई, उसमें भाकियू विभाग के अधिकारियों के प्रत्येक तर्क को निरस्त करने में सफल रहे। उसी के चलते अब विभाग पूरी तरह से असहाय और इस हद तक मजबूर हो गया है कि दोबारा दस्तावेज न देने की जिद्द पर अड़े किसानों के आगे घुटने टेक दिए हैं तथा भाकियू से उन सब किसानों की केवल लिस्ट भर मांग ली है जिन्हें 2021-22 और 2022-23 की रबी और खरीफ की फसलों में नुकसान हुआ, पर मुआवजा अब तक नहीं मिला ।
मुआवजा आंदोलन के दो पहलू हैं। पहला : उक्त दोनों लेखा वर्षों की बर्बाद फसलों का मुआवजा । दूसरा : उन किसानों को मुआवजा जिनको मुआवजा देने से बचने के लिए उनकी बीमा पॉलिसियां ही रद्द कर दी गई थीं। ये कदम पी.एम. किसान बीमा योजना में रिलायंस कम्पनी का कथित छल था। इससे भड़के किसान इस कम्पनी के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज करवाने के लिए अडिग हैं। गोहाना जिला पुलिस के डी.सी.पी. कार्यालय को इस की बाकायदा लिखित शिकायत भी दी जा चुकी है।
किसानों के आंदोलन के पहले बिंदु पर भाकियू के प्रतिनिधिमंडल और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के बीच हुई बातचीत में आला अधिकारियों के पैरों तले की जमीन तब सरक गई थी जब उन्हीं के कर्मचारियों ने खुलासा किया था कि वायरस के प्रकोप से पीड़ित किसानों का डाटा उड़ गया है। दूसरे बिंदु को ले कर तर्क दिया गया था कि जिन किसानों ने मेरी फसल मेरा ब्यारा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया था, उन्हीं के बीमा रद्द किए गए। इस पर भाकियू का दावा था कि ऐसा कोई प्रावधान पी. एम. किसान बीमा योजना के प्रारूप में है ही नहीं । प्रारूप मौके पर मंगवाया गया तो वास्तव में उसमें मुआवजे के लिए ऐसी कोई शर्त दर्ज नहीं मिली ।
दोनों बिंदुओं को लेकर किसान पंचकूला से विजयी मुद्रा में लौटे थे और यह चेतावनी दे कर आए थे कि अगर दस दिन में मुआवजा नहीं मिला, तब धरना गोहाना से पंचकूला शिफ्ट कर दिया जाएगा।
हरियाणा भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल ने कहा कि उनके पास कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक का फोन आया है। संयुक्त निदेशक ने भाकियू ने उन किसानों की सूची मांग ली है जिनका भी फसलों का नुकसान हुआ, पर उनको मुआवजा नहीं मिला। नरवाल ने कहा कि वांछित सूची तत्काल भेज दी गई है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि अब कोई किंतु-परंतु नहीं होगा तथा जल्दी मुआवजा किसानों के खातों में आ जाएगा।
भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष ने यह भी साफ किया कि गोहाना में 140 दिन से जारी अनिश्चितकालीन धरना तभी खत्म किया जाएगा जब मुआवजे की रकम किसानों के खातों में आ जाएगी तथा राज्य सरकार रिलायंस बीमा कम्पनी के खिलाफ केस दर्ज करवा देगी। सत्यवान नरवाल ने कहा कि चूं कि किसान पहले सब दस्तावेज दे चुके हैं, ऐसे में वे अब किसी भी अवस्था में स्वयं दस्तावेज नहीं देंगे। अगर डाटा में वायरस से रिकॉर्ड खत्म हुआ है, उस के लिए विभाग जिम्मेदार है, किसान नहीं ।