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138 दिन से गोहाना में धरने पर बैठे किसानों की हुई बातचीत, अफसरों ने मांगा 10 दिन का वक्त

खुलासा : अप्रूवल के बावजूद किसानों को इस लिए नहीं मिला मुआवजा क्योंकि वायरस के अटैक से उड़ गया डाटा पॉलिसी रद्द करने के मामले में भी कम्पनी मिली दोषी, मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर बीमा के लिए पंजीकरण नहीं है अनिवार्य

गोहाना :-13 जून : रिलायंस बीमा कम्पनी द्वारा मुआवजा देने की जगह उलटे किसानों की पॉलिसियां ही रद्द करने के मामले में कम्पनी का यह दावा गलत साबित हो गया है कि पीड़ित किसानों ने मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण नहीं करवाया था। इसी तरह से 2021-22 और 2022-23 में बर्बाद हुई फसलों के मुआवजे को ले कर खुलासा हुआ कि वायरस के प्रकोप से नुकसान और मुआवजे का डाटा ही उड़ गया ।

भारतीय किसान यूनियन को ये दोनों जानकारियां तब मिलीं जब उसके प्रतिनिधिमंडल ने पंचकूला में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आला अधिकारियों से मुलाकात की । भाकियू के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल ने किया। उनके प्रतिनिधिमंडल में सतीश बनवासा, सोनू बनवासा, जगमंद्र कालीरामण और संदीप भावड़ थे ।

गोहाना के लघु सचिवालय में 138 दिन से सोनीपत जिले के किसान अनिश्चितकालीन धरने पर डटे हुए हैं। उनका संघर्ष 29 जनवरी से लगातार जारी है। जहां वे रिलायंस बीमा कम्पनी पर गंभीर आरोप लगा कर उस पर केस दर्ज करने की मांग पर अड़े हैं, वहीं किसान देय मुआवजे का भुगतान उस ब्याज दर के साथ चाहते हैं जो दर उनसे कर्ज की वसूली के समय चार्ज की जाती है। ये दोनों मांगें पूरी होने से पहले किसान अपना आंदोलन खत्म करने के लिए तैयार नहीं हैं।

किसानों का रिलायंस बीमा कम्पनी पर यह आरोप गंभीर है कि बीमा प्रीमियम चुका देने के बाद जब फसलें खराब हो गईं, तब कम्पनी ने किसानों को छला तथा उन्हें मुआवजा देने की जगह उलटे उनकी बीमा पॉलिसियां ही रद्द कर दीं तथा उन्हें मात्र उनका प्रीमियम रिफंड करते हुए मुआवजा डकार लिया ।

किसानों का प्रतिनिधिमंडल जब पंचकूला में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उच्च अधिकारियों से मिला, तब यह साफ हो गया कि किसानों का किसी भी स्तर पर कोई कसूर नहीं है तथा उन्हें तो कम्पनी, विभाग के अधिकारियों की कोताही की सजा भोगनी पड़ रही है । किसान पहले विभाग के निदेशक राज नारायण कौशिक से मिले। उन्हीं के निर्देश पर उप निदेशक डॉ. राजीव मिश्रा ने अपनी पूरी टीम के साथ किसानों के प्रतिनिधिमंडल से वन-बाई – वन विस्तार से बातचीत की।

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भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल ने बताया कि सोनीपत जिले के जिन किसानों की पॉलिसियां रद्द की गई हैं, उनकी कुल संख्या 1079 है। इनमें से रिलायंस बीमा कम्पनी 150 किसानों को मुआवजा देने के लिए तैयार हो गई है। बाकियों के लिए उसका इंकार है। कम्पनी का कहना है कि उन किसानों को मुआवजा नहीं दिया जा सकता जिन्होंने अपनी फसल का ब्यौरा मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्टर नहीं किया था।

इस पर किसानों ने अधिकारियों से कह कर प्रधानमंत्री किसान बीमा योजना का विस्तृत प्रारूप मौके पर मंगवा लिया। अधिकारियों ने निरीक्षण में पाया कि प्रारूप में यह कहीं उल्लेख नहीं था कि कम्पनी केवल उन किसानों को मुआवजा देगी जिन्होंने अपना ब्यौरा मेरी फसल- मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपलोड कर रखा होगा ।

सत्यवान नरवाल ने बताया कि किसानों को अब तक 2021-22 और 2022-23 में खराब हुई रबी और खरीफ की फसलों का मुआवजा भी नहीं दिया गया है । अप्रूवल के बावजूद किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया। ऐसा नहीं है कि सब किसानों को मुआवजा नहीं मिला है, कुछ किसानों को भुगतान हो चुका है।

इस भेदभाव को ले कर जब आला अधिकारियों ने सख्ती की, तब कर्मचारियों ने खुलासा किया कि नुकसान और मुआवजे के डाटा पर वायरस का अटैक हो गया। इससे वह डाटा उड़ गया और किसान मुआवजे से वंचित रह गए।

किसानों से बातचीत में कृषि एवं किसान कल्याण अधिकारियों ने दस दिन का समय मांगा। भाकियू ने मौके पर चेता दिया कि अगर इस अंतराल में भुगतान नहीं दिया गया, गोहाना में 138 दिन से चल रहा सोनीपत का जिला स्तर का धरना पंचकूला में विभाग के मुख्यालय के बाहर शिफ्ट कर दिया जाएगा।

Khabar Abtak

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