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हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर लड़ेंगी लोकसभा चुनाव, कांग्रेस को 9 सीट और आप को कुरुक्षेत्र की 1 सीट की घोषणा

दिल्ली :-हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन हो गया है। यहां कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं आम आदमी पार्टी को सिर्फ एक सीट दी गई है। आप कुरुक्षेत्र सीट से लड़ेगी। चंडीगढ़ की सीट कांग्रेस को दी गई है। इसके बदले में कांग्रेस वहां आप का मेयर बना चुकी है।

सीट शेयरिेंग को लेकर दोनों पार्टियों ने शनिवार को जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कांग्रेस की तरफ से मुकुल वासनिक, हरियाणा कांग्रेस इंचार्ज दीपक बाबरिया और अरविंदर सिंह लवली मौजूद रहे। वहीं आप की तरफ से संदीप पाठक, आतिशी और सौरव भारद्वाज मौजूद रहे।

दोनों पार्टियों की तरफ से पंजाब में एक साथ चुनाव लड़ने को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई। दोनों पार्टियों के लोकल नेता भी पंजाब में एक साथ चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री और पंजाब के सीएम भगवंत मान भी पंजाब में अलग चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं।

AAP ने कहा- हर राज्य की अपनी परिस्थिति
आप के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने कहा है कि हर राज्य की अपनी राजनीतिक परिस्थिति है, और परिस्थितियों को देखकर चुनाव जीतने के उद्देश्य से ये बनाया गया है। INDIA गठबंधन का जन्म देश को जिताने के लिए हुआ है, देश की जनता को जिताने के लिए हुआ है किसी को हराने के लिए नहीं हुआ है।

AAP ने हरियाणा में 3 सीटों पर की थी दावेदारी
सीट शेयरिंग को लेकर इससे पहले AAP ने हरियाणा में 3 सीटों पर दावेदारी की थी। आप नेताओं ने अंबाला, कुरुक्षेत्र और सिरसा सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग की। इनमें अंबाला और सिरसा सीट अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं। आप नेताओं ने कहा था कि वह इन 3 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी क्योंकि ये लोकसभा सीटे पंजाब की सीमा से लगती हैं।

2022 में पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों में आप ने जीत हासिल की थी। आप को उम्मीद थी कि अगर उसे ये तीनों सीटों मिलती हैं तो वो इन पर जीत हासिल करेगी।

चंडीगढ़ सीट फिलहाल भाजपा के पास
चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की राजधानी वाला केंद्र शासित प्रदेश है। वर्ष 1952 में पहली बार हुए लोकसभा चुनावों के दौरान यह संसदीय क्षेत्र अस्तित्व में नहीं था। वर्ष 1967 में चंडीगढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बना। इस क्षेत्र में मोहाली, पंचकूला और जीरकपुर आते हैं। इसे सिटी ब्यूटीफुल भी कहा जाता है।

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साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में फिल्म अभिनेत्री और भाजपा प्रत्याशी किरण खेर ने यहां से जीत दर्ज की थी। किरण खेर ने अपने निकटतम प्रतिद्धंदी कांग्रेस उम्मीदवार पवन बंसल को 46970 वोटों से हराया था। किरण खेर को 184218 वोट मिले थे।

2014 से पहले कांग्रेस का गढ़ रही कुरुक्षेत्र सीट
कुरुक्षेत्र सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। वर्ष 1977 से कांग्रेस इस सीट को हमेशा जीतती रही है, 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में पहली बार भाजपा ने यहां से जीत दर्ज की। इसके बाद 2019 में भी भाजपा की टिकट से जीत कर नायब सैनी यहां से सांसद बने।

कुरुक्षेत्र को भले ही सर्वाधिक जाट मतदाताओं वाली सीट के तौर पर जाना जाता हो, लेकिन इस समुदाय से लंबे समय से कोई सांसद नहीं बना है। 1957 (दूसरी लोकसभा) में यहां पहली बार चुनाव हुए, तब यह क्षेत्र कैथल लोकसभा सीट के अंतर्गत आती थी। 1977 तक लगातार यहां कांग्रेस का राज रहा। 1977 में परिसीमन के बाद कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट अस्तित्व में आई। 1977 के आम चुनाव में सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर पहली बार जनता पार्टी के उम्मीदवार रघुवीर सिंह विर्क जीते।

इंदिरा गांधी के निधन के बाद 1984 में यह सीट फिर कांग्रेस के खाते में आ गई। 1998 से 2004 तक 2 बार यह सीट इनेलो के खाते में गई। वर्ष 2004 में कांग्रेस के उम्मीदवार और उद्योगपति नवीन जिंदल ने यहां से रिकॉर्ड बहुमत के साथ जीत दर्ज की। उन्होंने इनेलो के अभय चौटाला को 1 लाख 60 हजार मतों से शिकस्त दी। 2009 में उन्होंने फिर से इस सीट से जीत दर्ज की थी।

कुरुक्षेत्र सीट ने 2 बार दिया कार्यवाहक प्रधानमंत्री
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट के साथ एक खास बात और है। यहां से दो बार 13-13 दिन के लिए (1967 से 1977 तक) कांग्रेस सांसद गुलजारी लाल नंदा कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे। पहली बार 1964 में जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद वह 13 दिन के लिए कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने, तो दूसरी बार लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद अगले प्रधानमंत्री (इंदिरा गांधी) की नियुक्ति तक उन्होंने प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला।

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