मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती, मायके वालों ने बनाया डॉक्टर तो ससुराल वालों ने बनाया जज, यह कहानी है कैथल की शिल्पा शर्मा के संघर्ष की
शिल्पा ने बताया कि मेरी सासू सुनीता ने भी एलएलबी की हुई है। कभी उनका भी सपना था कि वह जज बने। जब उन्हें पता चला कि उनकी बहू शिल्पा जज बनाना चाहती है तो उन्हें लगा कि वह उनके सपने को पूरा कर सकती है।
मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती। मन में अगर कुछ करने का जज्बा हो तो जीवन में हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। कठिन परिश्रम कर अपने सपनों को साकार किया जा सकता है। यह वाक्य सिद्ध कर दिखाया है कैथल की बेटी शिल्पा शर्मा ने। शादी से पहले मायके में पढ़ाई कर वह बीडीएस डॉक्टर बनीं और शादी के बाद ससुराल वालों के सहयोग से उन्होंने जज बनने का अपना सपना साकार किया।
सोमवार देर रात शिल्पा शर्मा सुसराल पक्ष के सदस्यों के साथ अपने घर कैथल पहुंची तो परिवार के सदस्यों ने जोरदार स्वागत किया। मां किरण शर्मा ने बेटी शिल्पा को तिलक कर उसकी आरती उतारी व परिवार के अन्य सदस्यों ने भी बेटी को मिठाई खिलाकर, ढोल ढमाके सहित नाचते गाते स्वागत किया। इस खुशी के मौके पर बेटी शिल्पा ने दोनो परिवारों के साथ मिलकर केक काटा। इस अवसर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया। माता-पिता ने बताया कि उनकी बेटी शिल्पा शर्मा बचपन से ही अपनी मेहनत व लगन से पढ़ाई में अव्वल रही है। पिता उमेश शर्मा रिटायर्ड इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं व मां रिटायर्ड मुख्याध्यापिका हैं। भाई शुभम शर्मा व बहन शिफाली शर्मा है।
पंजाब की जज बनी शिल्पा शर्मा ने अपने संघर्षशील जीवन की दास्तान सुनाई उन्होंने बताया कि बचपन से ही उसका सपना जज बनने का था। माता-पिता के घर से मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की व बारहवीं कक्षा में टॉप रही। वर्ष 2012 में महर्षि मार्कंडेय विव मुलाना से पांच वर्ष की बीडीएस की डिग्री हासिल की। उसके बाद 2014 में पंजाब के अबोहर निवासी दंत चिकित्सक पति हर्ष टक्कर से उसकी शादी हुई। ससुर भी रिटायर्ड डॉक्टर है। 2017 में लॉ ज्वाइन की व 2020 में एलएलबी की परीक्षा पास की।
शिल्पा ने बताया कि मेरी सासू सुनीता ने भी एलएलबी की हुई है। कभी उनका भी सपना था कि वह जज बने। जब उन्हें पता चला कि उनकी बहू शिल्पा जज बनाना चाहती है तो उन्हें लगा कि वह उनके सपने को पूरा कर सकती है। उन्होंने मुझे कॉफी प्रोत्साहित किया ओर ससुर जगदीश टक्कर, पति हर्ष टक्कर, देवर गौरव व अन्य परिवार के सदस्यों ने मुझे हर कदम कदम पर बहुत सहयोग किया। जज बनकर ही मैं उनके सपने को साकार कर सकी हूं। इस बात की मुझे बहुत खुशी है। मैं भगवान की भी बहुत शुक्रगुजार हूं। सुसराल पक्ष व मायका पक्ष के सदस्यों का भी बहुत बहुत आभार व धन्यवाद करती हूं, जिनकी बदौलत से ही मैं इस मुकाम पर पहुंच कर जज बनी हूं।
वर्ष 2015 में बेटे रेयांश टक्कर ने जन्म लिया। अब वह साढ़े आठ वर्ष का है। जब मेरा बेटा स्कूल चला जाता था तो वह अपने लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत में जुट जाती थीं। जब तक वैकेंसी आउट नहीं हुई थी तो वह प्रतिदिन सात आठ घंटे पढ़ती थी। जब वैकेंसी आउट हुई तो रात को नन्हें बेटे को सुलाकर 14 से 18 घंटे जागकर पढ़ाई करती थी। युवा पीढ़ी को मेरा यही संदेश है कि आप अपनी मेहनत में कोई कमी न आने दें। भगवान पर भरोसा रखें, अपने आप में धैर्य बनाए रखें व अपनी शिक्षा पर ध्यान रखें और अपने विषय का निरंतर अभ्यास करें। इस अवसर पर मामा अधिवक्ता विरेंद्र शर्मा व मामी शशि शर्मा सहित अन्य परिवार के सदस्यों ने भी जज बनी बेटी शिल्पा शर्मा को मिठाई खिलाकर बधाई दी।