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लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की फ़िर हुई अनदेखी : डॉ इंदु बंसल

टोल शुल्क (फास्टटैग) में नही मिली पत्रकारों को छूट

लोकतंत्र के तीनों स्तम्भो को किया गया शामिल।

चंडीगढ/ दिल्ली (अनिल जिंदल ), 5 जुलाई : देश के चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकारों को मौजूदा सरकार ने छूट या नि : शुल्क टोल सुविधा में शामिल नहीं किया है, एक बार फ़िर चौथे स्तम्भ को सुविधाओं से वंचित रखा गया है।

उक्त विषय पर सरकार से पत्रकारो के हितों में मांग करते हुए श्रमजीवी पत्रकार संघ हरियाणा की संस्थापक व् प्रदेश अध्यक्ष डॉ इंदु बंसल ने कहा कि सरकार की इस अनदेखी से लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ में मायूसी छा गई है।

डॉ बंसल ने कहा कि पत्रकारों की टोल को निःशुल्क करने की मांग काफ़ी लम्बे समय से चली आ रही है,लेकिन सरकार पत्रकारो की इस जायज़ मांग की और कोई ध्यान नही दे रही।

डॉ बंसल ने कहा कि पत्रकारों को अनेको बार खबर कवर करने के लिए अपने ही जिले में बने टोल को पार करके जाना पड़ता है, जिस के लिये पत्रकार को हर टोल पर शुल्क देना पड़ता है। एक श्रमजीवी पत्रकार की इतनी आय नही होती की वो हर बार टोल शुल्क भरता रहे।

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डॉ बंसल ने कहा कि सरकार को कम से कम प्रथम चरण में मान्यता प्राप्त (एक्रिडेटिड) पत्रकारों का तो टोल शुल्क अवश्य ही माफ़ कर देना चाहिए।

डॉ बंसल ने बताया कि लोगों की सुविधा के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा देश में फास्टैग सिस्टम द्वारा नेशनल हाइवे और एक्सप्रेस वे पर टोल शुल्क लिया जाता है हाल ही में मंत्रालय ने देश के तीनों स्तम्भों से जुड़े गणमान्य पदों पर कार्यरत लोगों को फास्टैग से छूट दी है, जिन्हें टोल शुल्क नहीं देना पड़ेगा।

डॉ बंसल ने कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा भारत के तीनो स्तम्भों न्यायपालिका, विधानपालिका व कार्यपालिका से जुड़े गणमान्य व्यक्तियों को इस निःशुल्क टोल नीति के तहत लाभ दिया गया है,लेकिन लोकतंत्र के चौथे आधारभूत स्तम्भ कहे जाने वाले खबरपालिका (पत्रकारों) को इस लाभ से वंचित रखा गया है।

डॉ बंसल ने भारत सरकार व् केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से पत्रकारों के हितों में निःशुल्क टोल की मांग करते हुए कहा कि जल्द से जल्द इस निःशुल्क टोल योजना में लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकार वर्ग को भी शामिल किया जाए।

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