उद्योग पैडी स्ट्रॉ सप्लाई चैन स्थापित करने के लिए 15 जुलाई तक करे आवेदन-उपायुक्त सुशील सारवान

सोनीपत, (अनिल जिंदल ) 04 जुलाई। उपायुक्त सुशील सारवान ने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 2025-26 के दौरान फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत उद्योगों के लिए पैडी स्ट्रॉ सप्लाई चैन को स्थापित करने के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इच्छुक किसान 15 जुलाई तक विभाग की वेबसाइट www.agriharyana.gov.in पर ऑनलाईन आवेदन कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि सप्लाई चैन की स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य एक्स-सीटू फसल अवशेषों का प्रबंधन करना है। इसके साथ ही बड़ी मात्रा में फसल अवशेषों को एकत्रित एवं भंडारण करने के लिए बुनियादी ढांचे की स्थापना, बेलिंग, परिवहन और हैंडलिंग के सभी आधुनिक उपकरण आदि इस योजना के अंतर्गत शामिल होंगे। धान के भूसे का उपयोग विभिन्न उद्योगों जैसे बायोमास, बिजली उत्पादन इकाइयां, थर्मल पावर प्लांट में बायोमास सह-फायरिंग, बायो-सीएनजी, जैव इथेनॉल, आदि में कर सकते है, इससे किसानों के लिए और ग्रामीण क्षेत्रो में रोजगार के अवसर बढेंगे।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉ पवन शर्मा ने बताया कि सोनीपत जिले में मौजूद उद्योग 25 किलोमीटर के दायरे में किसान/किसानों के समूह/ग्रामीण उद्यमियों/किसानों की सहकारी समितियों/एफपीओ और पंचायत को एग्रीगेटर के रूप में या फिर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा आवंटित क्लस्टर की पहचान करेगा। उद्योग व एग्री गेटर दोनों द्विपक्षीय सहमति से परियोजना का बकाया 35 प्रतिशत (25 प्रतिशत उद्योग+10 प्रतिशतएग्री गेटर) योगदान करके पोर्टल पर आवेदन कर सकता है। इसके अतिरिक्त केवल एग्रीगेटर भी 65 प्रतिशत अनुदान से अतिरिक्त बकाया 35 प्रतिशत अकेला लगाकर भी आवेदन कर सकता है और इस स्कीम में आवेदन कर्ता को दोनों विकल्पों में बैंक लोन लेना अनिवार्य है ।
उन्होंने बताया कि एग्रीगेटर हरियाणा राज्य का निवासी होना चाहिए। प्राप्त आवेदनों की जांच जिला स्तरीय कार्यकारी समिति (डीएलईसी) द्वारा की जाएगी डीएलईसी परियोजना संबंधित दस्तावेज जैसे वितीय सहायता हेतु बैंक की मंजूरी, परियोजना लागत में शामिल मशीनों के संयोजन में प्रति सीजन 3000/4500 मीट्रिक टन धान के भूसे का प्रबंधन करने की क्षमता होनी चाहिए, उद्योग और एग्रीगेटर द्विपक्षीय समझौता होना, पिछले 2 वर्षों के दौरान धान की फसल के अवशेषों की खरीद और 100 प्रतिशत धान के भूसे पर आधारित उद्योगों को प्राथमिकता दी जाएगी और डीएलईसी राज्य स्तरीय मंजूरी समिति को अनुमोदन के लिए सिफारिशें प्रस्तुत करेगी। उन्होंने बताया कि डीएलईसी द्वारा दी गई सिफारिशों के आधार पर राज्य स्तरीय मंजूरी समिति परियोजना प्रस्ताव का मूल्यांकन करेगी और राज्य सरकार को अनुमोदन या अन्यथा प्रस्ताव की सिफारिश करेगी। बजट की उपलब्धता के अनुसार जिलेवार लक्ष्य राज्य सरकार की मंजूरी के लिए डीएलईसी से प्राप्त अनुमोदन के आधार पर राज्य स्तरीय मंजूरी समिति द्वारा प्रस्तावित किए जाएंगे।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सहायक कृषि अभियंता नवीन हुड्डा ने बताया कि राज्य सरकार की मंजूरी के बाद मशीनरी खरीदने के लिए जिला स्तर पर उद्योग/एग्रीगेटर को ऑनलाइन अनुमति जारी की जाएगी। सरकार से अनुमोदन के बाद सहायक कृषि अभियंता अनुमति/परमिट तैयार करने के लिए विषय को विभाग के पोर्टल पर उप कृषि निदेशक को भेजेगा। भारत सरकार के निर्देशानुसार परियोजनाओं के लिए 50 प्रतिशत पात्र सब्सिडी राशि कृषि विभाग द्वारा संबंधित बैंकों को जारी की जाएगी। उसी को सब्सिडी आरक्षित निधि खातों में उधारकर्ता के पुनर्भुगतान अवधि के अंत तक रखा जाएगा इसके बाद उद्योग/एग्रीगेटर द्वारा मशीनों की खरीद की जाएगी, जिसमे 3000 एमटी के लिए दो 50 एचपी क्षमता के ट्रेक्टर, एक 75 एचपी या ऊपर की क्षमता का ट्रेक्टर, एक श्रब मास्टर, एक स्ट्रॉ रेक, एक टेडर मशीन, 3 ट्रोली, एक बेलर (200- 300 किलोग्राम बेल) चोरस या गोलाकार, टेली हैंडलर, मोशचर मीटर, पानी का टैंक (500 लीटर), आग भुजाने का यंत्र और लाइटनिंग अरेस्टर शामिल होंगे जिनकी कुल अधिकतम लागत 1 करोड़ होगी और 4500 एमटी के लिए दो 50 एचपी क्षमता के ट्रेक्टर, एक 90-110 एचपी की क्षमता का ट्रेक्टर, एक श्रब मास्टर, एक स्ट्रॉ रेक, एक टेडर मशीन, 3 ट्रोली, एक बेलर (200- 500 किलोग्राम बेल) चोरस या गोलाकार, टेली हैंडलर, मोशचर मीटर, पानी का टैंक (500 लीटर), आग भुजाने का यंत्र और लाइटनिंग अरेस्टर शामिल होंगे, जिसकी कुल लागत अधिकतम 1.80 करोड़ (अनुदान अधिकतम 1.5 करोड़ लागत मूल्य पर दिया जायेगा) होगी।
उन्होंने बताया कि परिवहन ट्रॉलियों और ग्रैबर के लिए आवश्यक ट्रैक्टरों को किराये के आधार पर लिया जा सकता है। खरीदी गई मशीनों का भौतिक सत्यापन जिला स्तरीय कार्यकारी समिति (डीएलईसी) द्वारा गठित समिति एवं वित्तपोषक बैंक के अधिकारी द्वारा किया जाएगा। सफल सत्यापन और डीएलईसी के अनुमोदन के बाद शेष 50 प्रतिशत सब्सिडी योजना दिशानिर्देशों अनुसार एक अलग उधार-वार खाते में बैंक को जारी की जाएगी। प्रत्येक वर्ष भौतिक सत्यापन जिला स्तरीय कार्यकारी समिति (डीएलईसी) द्वारा गठित समिति एवं बैंक अधिकारी द्वारा किया जायेगा। सीआरएम स्कीम के अंतर्गत सभी नियम व शर्ते व कृषि विभाग के दिशा-निर्देश लागू रहेंगे। उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिए उप कृषि निदेशक कार्यालय सोनीपत या सहायक कृषि अभियंता, राई कार्यालय या मोबाइल नम्बर 8053664486 या 9468351298 पर संपर्क कर सकते हैं।