रबी सीजन के अंतर्गत जिला की मण्डियों में अब तक की जा चुकी है 3753.47 मीट्रिक टन सरसों की खरीद
एचडब्ल्यूसी द्वारा खरखौदा व सोनीपत तथा हैफेड द्वारा गन्नौर तथा गोहाना की मण्डियों में की जा रही है खरीद
सोनीपत, 08 अप्रैल। उपायुक्त डॉ0 मनोज कुमार ने बताया कि रबी सीजन के तहत जिले में सरसों की खरीद प्रक्रिया सुचारू रूप से जारी है। प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार किसानों की उपज निर्धारित मानकों के अनुरूप खरीदी जा रही है और उनकी सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। अब तक जिले में कुल 3753.47 मीट्रिक टन सरसों की खरीद हो चुकी है। इसमें से 3400.8 मीट्रिक टन सरसों की लिफ्टिंग पूरी हो चुकी है और शेष लिफ्टिंग का कार्य तेज गति से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरसों की खरीद निर्धारित एमएसपी मूल्य 5950 पर की जा रही है।
उन्होंने बताया कि हरियाणा वेयरहाउस कॉरपोरेशन (एचडब्ल्यूसी) और खरखौदा व सोनीपत तथा हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति और विपणन संघ (हैफेड) की ओर से गन्नौर तथा गोहाना की मण्डियों में सरसों खरीदी गई। उन्होंने बताया कि मण्डियों में खरीद की गई 3753.47 मीट्रिक टन सरसों में से गन्नौर मण्डी में 1005 मीट्रिक टन, गोहाना मण्डी में 640 मीट्रिक टन, खरखौदा में 1173.4 मीट्रिक टन तथा सोनीपत मण्डी में 935.07 मीट्र्रिक टन सरसों की आवक हुई है, जिसकी एचडब्ल्यूसी व हैफेड द्वारा खरीद की जा चुकी है।
उपायुक्त ने खरीद एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसानों को समय पर भुगतान किया जाए ताकि उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना न करना पड़े। लिफ्टिंग कार्य में तेजी लाई जाए ताकि मंडियों में जगह की कमी न हो और नई फसल की आवक बाधित न हो। खरीद एजेंसियों द्वारा स्टोरेज व्यवस्था को बेहतर ढंग से प्रबंधित किया जाए, जिससे खरीदी गई सरसों का सुरक्षित भंडारण किया जा सके। किसानों की सुविधा के लिए अनाज मंडियों में जरूरी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।
प्रशासन की ओर से अपील:-
उपायुक्त डॉ0 मनोज कुमार ने किसानों से अपील की कि वे अपने अनाज को तय मानकों के अनुसार सूखाकर ही मंडियों में लेकर आएं, ताकि उनकी उपज बिना किसी रुकावट के खरीदी जा सके। साथ ही उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि मंडियों में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो और सभी कार्य सुचारू रूप से संपन्न किए जाएं। जिला प्रशासन खरीद प्रक्रिया को सुचारू रखने के लिए लगातार निगरानी कर रहा है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य समय पर मिले और उन्हें किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।