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166 दिन से गोहाना में मुआवजे के लिए अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं सोनीपत जिले के किसान, 7 दिन की मोहलत मांगी थी, दोबारा इंतजार का झुनझुना थमा दिया

भाकियू का आरोप : रिलायंस कम्पनी पर केस दर्ज करवाने के मंत्री के आदेश को भी दबा रहे हैं अधिकारी

गोहाना :-11 जुलाई : शहर के लघु सचिवालय में 166 दिन से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे सोनीपत जिले के किसानों को एक बार फिर मायूसी हाथ में लगी है। जून में भुगतान का वायदा करते हुए 7 दिन की मोहलत मांगी गई थी, लेकिन अब पुन: इंतजार का झुनझुना थमा दिया गया है। अब सुनवाई पंचकूला नहीं, सोनीपत में डी.एल.एम.सी. द्वारा की जाएगी। भाकियू का यह आरोप गंभीर है कि रिलायंस कम्पनी पर मंत्री ने केस दर्ज करवाने का जो आदेश दिया था, उसे भी अफसर दबा रहे हैं।

किसान एक बार फिर से जब चंडीगढ़ गए, बड़ी उम्मीद से गए थे। किसानों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल कर रहे थे । उनकी टीम के शेष सदस्य सतीश बनवासा, शमशेर भैंसवाल कलां, राम किशन मदीना और सतपाल मदीना थे | प्रतिनिधिमंडल राजधानी में पहले सी.एम. नायब सिंह सैनी से मुखातिब हुआ। उनसे संक्षिप्त बातचीत हुई। विस्तृत वार्ता के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर के पास भेज दिया गया।

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भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष नरवाल का कहना है कि ज्वाइंट डायरेक्टर ने प्रतिनिधिमंडल से क्षमायाचना की कि जून में हुई पिछली बातचीत में मुआवजे की पेमेंट के लिए 7 दिन का समय मांगा गया था । आला अधिकारी ने बताया कि किसानों के केस को सोनीपत में डी.एल.एम.सी. में रेफर कर दिया गया है। वहां जब इस कमेटी की डी.सी. की अध्यक्षता में बैठक होगी, तब विचार किया जाएगा। यह बैठक कब होगी, यह तय नहीं है । चंडीगढ़ से लौटने के बाद पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश उपाध्यक्ष नरवाल ने कहा कि सरकार की नीयत मुआवजा देने की नहीं है। उन्होने याद दिलाया कि जिस डी.एल.एम.सी. को मामला भेजा गया है, उसी की दिसंबर 2022 में हुई बैठक में तत्कालीन डी.सी. ने जहां 15 दिन में मुआवजे के भुगतान का आदेश दिया था, वहीं रिलायंस बीमा कम्पनी पर एफ. आई. आर. दर्ज करने और उसे ब्लैकलिस्ट करने का आदेश भी दिया था। डेढ़ साल बाद भी उस आदेश पर अमल नहीं हुआ। नरवाल ने खुलासा किया कि डी.एल.एम.सी. के उसी आदेश के खिलाफ रिलायंस कम्पनी जनवरी 2023 में राज्य स्तर की अपील में गई थी। फैसला एक महीने में होना था, पर कम्पनी को खुला संरक्षण दे रहे अधिकारी अब तक फाइल पर कुंडली मारे बैठे हैं। सत्यवान नरवाल ने यह खुलासा भी किया कि भंडेरी गांव के किसान की शिकायत पर जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने कम्पनी पर एफ.आई. आर. दर्ज करने का आदेश दिया था, उसे भी डी.एल.एम.सी. को भेज कर अधिकारियों ने मंत्री तक को धता बता दिया है। वैसे भी मुद्दा एक अकेले किसान का न हो कर जिले के 1079 किसानों का है जिन्हें कम्पनी ने मुआवजा देने की जगह अवैध रूप से उनकी बीमा पॉलिसियां रद्द कर दी थीं ।

 

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