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बड़ौली ने किया चुनाव के बाद पेमेंट का वायदा, गोहाना में धरने पर बैठे किसानों की मोदी से मिलने की तैयारी

भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष की दो टूक : धरना तभी करेंगे खत्म, जब खाते में आ जाएगी रकम

गोहाना:-14 मई: गोहाना बार एसोसिएशन में वकीलों से रू-ब-रू होने के लिए गए भाजपा प्रत्याशी मोहन लाल बड़ौली वापसी में किसानों के धरना स्थल के निकट पहुंचे

उन्होंने चुनाव के बाद मुआवजे के भुगतान का वायदा किया। लेकिन भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल ने दो टूक कहा कि 107 दिन से चल रहा धरना तभी खत्म होगा जब किसानों के खातों में पेमेंट आ जाएगी। अब भाकियू जहां अपने अल्टीमेटम के पूरा होने पर बुधवार को धरना स्थल पर ही प्रदेश स्तर की महापंचायत करेगी, वहीं 18 मई के पी.एम. नरेंद्र मोदी के गोहाना आगमन में उनसे मिलने का प्रयास करेगी।

सोनीपत जिले के किसान गोहाना के लघु सचिवालय में 29 जनवरी से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। उनका आरोप है कि रिलायंस बीमा कम्पनी ने 2021 और 2022 में उनकी फसलों को हुए नुकसान का मुआवजा देने की बजाय अवैध रूप से उनकी पॉलिसियां ही रद्द कर दीं। जिला स्तर की अपील किसान जीत चुके हैं। कम्पनी ने राज्य स्तर पर चुनौती दे रखी है। भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष का आरोप है कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारी कम्पनी को संरक्षण दे रहे हैं। राज्य स्तर की जिस अपील का फैसला एक महीने की अधिकतम अवधि में हो जाना वांछित था, उस पर डेढ़ साल से अधिकारी दबाए बैठे हैं।

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किसानों के 107 दिन लंबे आंदोलन में पूर्व सी.एम. मनोहर लाल खट्टर और सी.एम. नायब सिंह सैनी तक की एंट्री हो चुकी है। खट्टर के वायदे के बाद पेमेंट मिलने की उम्मीद जागी, पर अफसरों ने कागज दोबारा मांग लिए। किसानों से पुन: देने से इंकार कर दिया। सी.एम. सैनी 7 दिन पहले 7 मई को भैंसवाल कलां गांव में किसानों से मिले । वायदा तो किया, पर डेडलाइन फिक्स नहीं की। उसी से भड़के किसानों ने 7 दिन का अल्टीमेटम दे दिया । वह अल्टीमेटम मंगलवार को खत्म हो गया। कोई समाधान न होने से नाराज किसान बुधवार को
धरना स्थल पर ही प्रदेश स्तर की महापंचायत करेंगे। आगामी रणनीति तय करने के लिए स्वयं भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी भी पहुंचेंगे।

भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष नरवाल ने बताया कि प्रशासन ने लिखित अनुरोध किया जाएगा कि 18 मई को जब देश के पी.एम. नरेंद्र मोदी गोहाना आएं, किसानों के प्रतिनिधिमंडल को उनसे मिलवाएं ताकि किसान पी.एम. को बता सकें कि अधिकारी कैसे उनकी एक योजना को मजाक बताने पर तुले हुए हैं।

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